जर्मन अख़बार की चीन के पास १६२ अरब डॉलर्स के मुआवज़े की माँग

बर्लिन, वृत्तसंस्‍था – अमरीका, ब्रिटन, ऑस्ट्रेलिया, जापान के बाद अब जर्मनी में से चीन के पास मुआवज़े की माँग की जा रही है। कोरोनावायरस के बारे में दुनिया को अंधेरे में रखनेवाले चीन ने जर्मनी को १६२ अरब डॉलर्स का मुआवज़ा देना चाहिए, ऐसी माँग जर्मनी के अग्रसर अख़बार ने की। साथ ही, चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग दुनिया को भयंकर संकट की खाई में धकेल रहे हैं, ऐसा आरोप इस जर्मन अख़बार मे किया है। लेकिन जर्मन अख़बार के आरोप विद्वेषी होने की आलोचना चीन ने की है।

‘बिल्ड’ इस जर्मनी के अग्रसर अख़बार के मुख्य संपादक ‘ज्युलियन रिशेल्ट’ ने पिछले हफ़्ते में कोरोनावायरस की महामारी के लिए चीन के राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग तथा उनकी कम्युनिस्ट हुक़ूमत ज़िम्मेदार होने का दोषारोपण किया था। साथ ही, ‘व्हॉट चायना ओज् अस’ अर्थात् चीन को हमें कितनी रक़म लौटानी चाहिए, ऐसा सवाल करनेवाला आर्टिकल लिखकर रिशेल्ट ने यह माँग की थी कि  चीन ने जर्मनी को पूरे १६२ अरब डॉलर्स (१४९ अरब युरो) का मुआवज़ा देना चाहिए।

जर्मन अख़बार ने की हुई इस मुआवज़े की माँग से और चीन को खरी खरी सुनानेवाली जहाल भाषा के प्रयोग के कारण ग़ुस्सा हुए जर्मनीस्थित चीन के दूतावास ने, उपरोक्त अख़बार चीन के विरोध में विद्वेष पैदा कर रहा होने की आलोचना की। साथ ही, दुनियाभर में फ़ैली हुई इस महामारी के लिए चीन ज़िम्मेदार नहीं है, ऐसा यक़ीन चीन के दूतावास ने दिलाया। लेकिन उसके बाद ‘बिल्ड’ ने अधिक तीख़ी आलोचना करके चीन की हुक़ूमत पर का हमला तीव्र किया।

‘राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग, आप, आपकी सरकार और आपके वैज्ञानिक इस महामारी के भीषण संक्रमण के बारे में बहुत पहले से ही जानते थे। लेकिन आपने इस बारे में पूरी दुनिया को अंधेरे में रखा। पश्चिमी विशेषज्ञों ने जब वुहान के संक्रमण के बारे में आपसे पूछा, तब भी आपके अधिकारियों ने उसका जवाब देना टाला’, ऐसे तीव्र , में रिशेल्ट ने, चीन ने किये अपराधों का एहसास इस देश को करा दिया।

वहीं, ‘अपनी जनता पर नज़र रखे बिना, जिनपिंग, आप राष्ट्राध्यक्ष भी बन नहीं सकते। आप हर चिनी नागरिक पर नज़र रखते हैं, लेकिन आपके शहर से दुनियाभर में फ़ैले वायरस पर आप सादी नज़र नहीं रख सके। आपकी हुक़ूमत की आलोचना करनेवाले अख़बार और वेबसाईट बंद कर देते हैं; लेकिन यह वायरस जहाँ से बाहर गया, वह स्थान बंद नहीं करते’, ऐसीं मर्मभेदी टिप्पणियाँ रिशेल्ट ने कीं हैं।

‘जहाँ नागरिकों पर नज़र रखी जाती है, उस देश में आज़ादी होना संभव ही नहीं है। जहाँ आज़ादी नहीं, वहाँ सर्जनशीलता अर्थात् नवनिर्माण नहीं। नवनिर्माण संभव ना होने के कारण, चीन बुद्धिसंपदा की चोरी में सबसे अग्रसर रहनेवाला देश है’, ऐसा कहकर जुलियन रिशेल्ट ने चीन की मूलभूत समस्या दुनिया के सामने बयान की।

अपने संपादकीय आर्टिकल के अन्त में जुलियन रिशेल्ट ने चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग को अत्यधिक तीख़ा संदेश दिया। ‘आपकी निरंकुश सत्ता को अब धक्कें लगने लगे हैं, इसकी खुसुर-फुसुर चिनी जनता में शुरू हो चुकी है। कोरोनावायरस दुनिया में फ़ैलने से पहले, चीन यह अपनी ही जनता पर जासूसी करनेवाले देश के रूप में दुनियाभर में मशहूर था। लेकिन अब, ‘अपने नागरिकों पर नज़र रखनेवाला और विषाणुग्रस्त बनकर सारी दुनिया को भी उसका संक्रमण देनेवाला देश’, ऐसी चीन की ख्याति बनी है’, ऐसे शब्दों में रिशेल्ट ने चीन को आईना दिखाया है।

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