चीन से बाहर निकलना चाहनेवालीं जापान की कंपनियों को ॲबे सरकार की वित्तसहायता

टोकिओ, दि. ९ (वृत्तसंस्‍था) – कोरोनावायरस के कारण चीन में उत्पादन ठप हो चुकीं और इस देश से बाहर निकलने का सोच रहीं अपनीं कंपनियों को विशेष वित्तीय सहायता प्रदान करने की घोषणा जापान की ॲबे सरकार ने की है। जापान में अथवा चीन को छोड़कर अन्य देशों में कारखाना शुरू करने के लिए तैयारी होनेवालीं कंपनियों के लिए २.२ अरब डॉलर्स की सहायता प्रदान की जानेवाली है, यह ॲबे सरकार ने स्पष्ट किया। जापान का यह निर्णय चीन को झटका देनेवाला साबित हो सकता है।

पिछले ढ़ाई महीनों से कोरोनावायरस की महामारी शुरू होने के बाद चीन के उद्योगधंधे लॉकडाउन के कारण बंद पड़ गये हैं। चीन में बड़ा निवेश की हुईं जापान की कंपनियों को इस लॉकडाउन की वजह से बहुत बड़ा नुकसान हुआ है। जापान के ऑटो, इलेक्ट्रॉनिक्स के साथ ही अन्य क्षेत्रों की कंपनियों ने चीन में बड़े कारखाने शुरू किये थे। लेकिन कोरोनावायरस के चलते इन कंपनियों का उत्पादन बंद पड़ गया होकर, इन कंपनियों ने चीन से बाहर निकलने की तैयारी शुरू की है।

फ़रवरी महीने में ‘टोकिओ शोको रिसर्च लिमिटेड’ इस अभ्यासगुट ने किये सर्वेक्षण के अनुसार, चीन में निवेश होनेवालीं २६०० कंपनियों में से ३७ प्रतिशत कंपनियों ने चीन से बाहर निकलकर दूसरे देश में कारखाना शुरू करने के लिए कदम ने की शुरुआत की थी। इनमें से कुछ कंपनियों ने जापान सरकार के पास सहायता की माँग की थी। इसपर जापान की सरकार ने यह निर्णय लिया दिखायी दे रहा है।

दो दिन पहले जापान के प्रधानमंत्री ॲबे शिंजो ने इस महामारी के फैलाव को रोकने के लिए ‘स्टेट ऑफ इमर्जन्सी’ घोषित की थी। उसीके साथ, इस महामारी के संकट को मात देने के लिए ९९० अरब डॉलर्स (१०८ ट्रिलियन येन) के पॅकेज की घोषणा की थी। अब ॲबे सरकार ने, चीन से बाहर निकलने के लिए उत्सुक रहनेवालीं जापान की कंपनियों को अतिरिक्त २.२ अरब डॉलर्स (२४३.५ अब्ज येन) इतना प्रावधान घोषित किया है। सरकार की वेबसाईट पर यह जानकारी दी गयी है।

चीन से बाहर निकलकर जापान में कारखाना शुरू करने के लिए तैयार होनेवालीं कंपनियों को ॲबे सरकार पूरे दो अरब डॉलर्स की (२२० अब्ज येन) वित्तसहायता प्रदान करनेवाली है। वहीं, चीन से बाहर निकलकर, जापान के अलावा अन्य देशों में कारखाना शुरू करने के लिए तैयार कंपनियों को अॅबे सरकार बीस करोड़ डॉलर्स (२३.५ अरब येन) की सहायता प्रदान करेगी।

संक्षेप में, जापान अपनी कंपनियों को चीन से बाहर निकलने के लिए प्रोत्साहन दे रहा है। आज तक चीन के कट्टर व्यापारी प्रतिस्पर्धी होनेवाले जापान ने अब तक इस क़िस्म का आक्रमक निर्णय लिया नहीं था। लेकिन अब हालात बदल गए होकर, कोरोनावायरस की महामारी के लिए ज़िम्मेदार होनेवाले चीन के ख़िलाफ़ वातावरण ग़र्म हुआ है। लगभग सभी देशों में चीनविरोधी सूर अलापे जाने लगे हैं। इसका परिणाम सभी प्रमुख देशों के चीन के साथ के व्यापारी सहयोग पर होता हुआ दिखाये दे रहा है। इस पार्श्वभूमि पर, जापान की ॲबे सरकार ने लिये निर्णय के बहुत बड़े आर्थिक तथा राजकीय परिणाम होने की संभावना है। आनेवाले समय में अन्य देशों से भी इसी क़िस्म के निर्णय लिये जा सकते हैं।

अमरीका के साथ चल रहे व्यापारयुद्ध के कारण चीन की अर्थव्यवस्था डाँवाडोल होने लगी थी। कोरोनावायरस की महामारी के कारण चीन में उत्पादन ठप पड़ गया होकर, इससे चीन बहुत साल पिछड़ गया है, ऐसा बोला जा रहा है। ऐसी परिस्थिति में, जापान जैसे प्रमुख व्यापारी देश ने चीन के बारे में लिया हुआ निर्णय, यह चीन की अर्थव्यवस्था पर का तनाव अधिक ही बढ़ानेवाला साबित होगा। नज़दीकी भविष्य में चिनी अर्थव्यवस्था को ऐसे झटके लगते रहेंगे, यह स्पष्ट रूप में दिखायी दे रहा है।

 

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