अनिवासी भारतीय राष्ट्र के विकास के भागीदार बनें – केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारामन

वॉशिंग्टन – ’भारत की स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव चल रहा है। राष्ट्र को आजादी मिले हुए ७५ वर्ष पूरे हो रहे हैं। ऐसे में स्वतंत्रता के १०० वर्षों तक का दौर अमृतकाल होगा। इस दौर में राष्ट्र के विकास में परदेस में रहनेवाले भारतीय योगदान देकर इसके भागीदार बनें’, यह संदेश केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारामन ने दिया है।

nri-nirmala-sitharamanअंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष एवं वैश्विक बैंक के बैंकिंग के लिए अमेरिका के दौरे पर गई हुईं वित्तमंत्री सीतारामन ने सैन फ्रैन्सिस्को में सिलिकॉन वैली में भारतीय समूदाय को संबोधित करते हुए सीतारामन ने अब तक अमेरिका स्थित भारतीय समूदाय ने राष्ट्र के विकास के लिए बडा योगदान दिया है, ऐसा कहकर इसके लिए अमेरिका स्थित भारतीयों की प्रशंसा की। विशेषरूप से प्रौद्योगिकी एवं संशोधन के क्षेत्र में अमेरिका स्थित भारतीयों ने दमदार कार्य किया है, ऐसा सीतारामन ने कहा।

भारत अपनी आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। आज़ादी पाकर ७५ वर्षों की अवधि बीत चुकी है। यहां से १००वां स्वतंत्रता दिवस मनाने तक का दौर, राष्ट्र के लिए अमृतकाल है। इस दौर में राष्ट्र का विकास हो, इसके लिए सरकार ने रचनात्मक कार्यक्रम शुरु किया है। भारत की इस विकास प्रक्रिया में अनिवासी भारतियों को भी शामिल होकर इसका भागीदार बनना चाहिए, ऐसी अपेक्षा  सीतारामन ने व्यक्त की।

इस दौरान भारत की अर्थव्यवस्था के लिए देश के बाहर कार्य करनेवाले भारतियों ने बहुत बडा कार्य किया है ऐसा पिछले कुछ वर्षों में स्पष्ट हुआ है। सन २०२१ में विश्वभर में फैले भारतियों ने भारत में भेजी हुई निधि की मात्रा ८७ अरब डॉलर्स है। इसमें अमेरिका स्थित भारतियों ने भेजी हुई निधि का २० प्रतिशत है। तथा सन २०२२ के दौरान इसमें ३.८ प्रतिशत की बढत होगी, ऐसी उम्मीद है। इसी तरह अन्य देशों के प्रौद्योगिकी एवं संशोधन क्षेत्र में भारतियों ने किए हुए कार्य का प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष लाभ भी राष्ट्र को हो रहा है। इस पृष्ठभूमि पर केंद्रीय वित्तमंत्री ने अमेरिका स्थित भारतीय समूदाय से किया हुआ आवाहन ध्यान आकर्षित करता है।

विदेशी निवेशकों के लिए भारत हॉट स्पॉट साबित हो रहा है यह स्पष्ट दिखाई दे रहा है और कोरोना की महामारी के बाद भारत में आनेवाला सीधे विदेशी निवेश में सूचक बधोतरी हुई है। इस आघाडी पर भारतीय विश्वासार्हता बढ रही है। आनेवाले दौर में चीन नहीं, बल्कि भारत विश्व औद्योगिक केंद्र बनेगा, ऐसे दावे पश्चिमी देशों के विश्लेषक कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में अमेरिका समेत अन्य विकसित राष्ट्र विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत अनिवासी भातीयों से राष्ट्र के विकास के बहुत बडी सहायता हो सकती है, ऐसा विश्वास व्यक्त किया जाता है। इस पृष्ठभूमि पर सीतारामन के बोल महत्वपूर्ण साबित हो रहे हैं।

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