म्यांमार की सेना ने किए हत्याकांड़ के बाद यूरोपिय महासंघ के म्यांमार की हुकूमत पर प्रतिबंध लगाने के संकेत

ब्रुसेल्स/यांगून – म्यांमार की सेना ने कुछ दिन पहले कयाह प्रांत में किए हत्याकांड़ पर अंतरराष्ट्रीय समूदाय की तीव्र प्रतिक्रिया दर्ज़ हो रही है। यूरोपिय महासंघ ने म्यांमार की जुंटा हुकूमत पर शस्त्र संबंधित प्रतिबंध लगाने के संकेत दिए हैं। जुंटा हुकूमत को हथियारों की आपूर्ति करने में चीन सबसे आगे है और महासंघ के इस निर्णय से चीन को नुकसान हो सकता है, ऐसा कहा जा रहा है। हथियारों से संबंधित प्रतिबंधों के साथ ही अन्य प्रतिबंध सख्त करने पर भी महासंघ ने तीव्र भूमिका अपनाई है।

हत्याकांड़म्यांमार की जुंटा हुकूमत ने देश के नागरिक एवं मानव अधिकार कार्यकर्ताओं के खिलाफ की हिंसा काफी खतरनाक कृत्य है। इस घटना ने सेना के खिलाफ भूमिका अपनाने की जरुरत की बात फिर से रेखांकित हुई है। म्यांमार में बढ़ रही हिंसा की घटनाओं के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय स्तर से कार्रवाई होना ज़रूरी है। जुंटा हुकूमत को प्रदान हो रहे हथियारों पर प्रतिबंध लगाने की आवश्‍यकता है। हथियारों की आपूर्ति के साथ ही अन्य क्षेत्रों में भी प्रतिबंध लगाने की यूरोपिय महासंघ की तैयारी है’, यह इशारा महासंघ के विदेश विभाग के प्रमुख जोसेप बोरेल ने दिया।

हत्याकांड़महासंघ ने यह माँग करने से पहले अमरीका ने भी जुंटा हुकूमत पर हथियारों से संबंधित प्रतिबंध लगाने की माँग की है। इस मुद्दे का अंतिम निर्णय संयुक्त राष्ट्र संगठन की सुरक्षा परिषद करेगी, यह जानकारी सूत्रों ने प्रदान की। सुरक्षा परिषद के स्थानी सदस्य चीन और रशिया का म्यांमार पर प्रतिबंध लगाने के लिए विरोध होने की बात सामने आयी है।

महासंघ ने हथियारों की आपूर्ति पर प्रतिबंध लगाने के लिए अनपाई तीव्र भूमिका ध्यान आकर्षित कर रही है। जुंटा हुकूमत के लिए सबसे अधिक हथियारों की आपूर्ति करनेवाले देशों में चीन का समावेश है। इसलिए प्रतिबंध लगाने का यह निर्णय होने पर इससे चीन को बड़ा नुकसान पहुँच सकता है। इससे पहले के दौर में महासंघ ने चीन के खिलाफ निर्णय करना टाल दिया था। लेकिन, पिछले दो वर्षों के दौरान महासंघ अपनी नीति में बदलाव कर रहा है और चीन के खिलाफ आक्रामक भूमिका अपना रहा है। म्यांमार संबंधित यह निर्णय भी इसी का अहम चरण साबित होता है।

इसी बीच, वर्ष २०२२ में म्यांमार की जनता को अभूतपूर्व संकट का सामना करना पड़ेगा और लगभग ५० प्रतिशत जनता गरिबी की खाई में धकेली जाएगी, ऐसा गंभीर इशारा संयुक्त राष्ट्र संगठन ने दिया है।

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