रशियन ईंधन कटौती के बाद यूरोपिय महासंघ में ‘गैस रेशनिंग’ पर सहमति

मास्को/ब्रुसेल्स – रशिया की प्रमुख ईंधन कंपनी गाज़प्रोम ने यूरोपिय देशों की ईंधन सप्लाई फिर से कम करने का इशारा दिया है। रशिया के इस इशारे के बाद यूरोपिय महासंघ की बैठक में ईंधन की राशनिंग करने पर सहमति होने का ऐलान किया गया। इसके अनुसार अगस्त महीने से यूरोपिय देश ईंधन का इस्तेमाल १५ प्रतिशत तक करेंगे। इससे यूरोपिय उद्योगक्षेत्र को काफी बड़ा नुकसान हो सकता है, ऐसी चेतावनी विश्लेषक एवं उद्यमियों ने पहले ही दी है।

पिछले महीने तकनीकी कारण बताकर रशिया ने यूरोप के प्रमुख देश जर्मनी की ईंधन सप्लाई घटाई थी। इसके बाद ऑस्ट्रिया और इटली जैसे देशों की ईंधन सप्लाई में भी कटौती की गई थी। दो हफ्ते पहले रशिया ने यूरोपिय देशों को ईंधन प्रदान करनेवाली ‘नॉर्ड स्ट्रीम १’ ईंधन पाइपलाइन बंद करने का ऐलान किया। मरम्मत एवं रखरखाव के लिए यह पाइपलाइन १० दिन ईंधन की सप्लाई नहीं करेगी, ऐसा रशिया ने कहा था। पिछले हफ्ते इस पाइपलाइन को शुरू किया गया था।

लेकिन, अब फिर से तकनीकी कारण बताकर बुधवार से ‘नॉर्ड स्ट्रीम १’ पाइपलाइन से होनवाली आपूर्ति बंद होगी, ऐसा ऐलान गाज़प्रोम कंपनी ने किया। इस पृष्ठभूमि पर यूरोपिय महासंघ की बैठक हुई है और इसमें ‘गैस रेशनिंग’ का निर्णय किया गया। इसे हंगरी और ग्रीस ने विरोध करने की बात कही गयी। रशनिंग के निर्णय के अनुसर अगस्त २०२२ से मार्च २०२३ के दौरान यूरोपिय देश अपने ईंधन वायु का इस्तेमाल १५ प्रतिशत कम करेंगे।

एक दशक पहले कार्यरत हुई ‘नॉर्ड स्ट्रीम १’ ईंधन पाइपलाइन ‘सब-सी’ प्रकार की विश्व की सबसे लंबी पाइपलाइन है। कुल १,२०० किलोमीटर्स से अधिक लंबी इस ईंधन पाइपलाइन से यूरेपिय देशों को हर वर्ष १.९ ट्रिलिटन घनफूट ईंधन वायु की आपूर्ति होती है। रशिया के वायबोर्ग से जर्मनी के लुबमिन शहर तक मौजूद इस पाइपलाइन में रशिया के अलावा जर्मन, फ्रेंच और डच कंपनियों की भागीदारी है।

रशिया की गाज़प्रोम कंपनी ने ईंधन सप्लाई कम करने का निर्णय राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित होने का आरोप ‘ईयू एनर्जी चीफ’ कैड्रि सिमसन ने लगाया।

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