शरणार्थियों की समस्या पर यूरोपीय महासंघ, जर्मनी और फ़्रांस के साथ संघर्ष करेंगे- हंगेरी के प्रधानमंत्री की घोषणा  

बुडापेस्ट: अप्रैल महीने में हंगेरी में पूरे होने वाले चुनाव की पृष्ठभूमि पर प्रधानमंत्री विक्टर ऑर्बन ने शरणार्थियों के खिलाफ अपनी भूमिका अधिक आक्रामक की है। ‘ख्रिस्तधर्म’ यह यूरोप की आखरी आस है’, ऐसा कहकर परधर्मीय शरणार्थियों के समूहों की वजह से यूरोप को भयंकर खतरा पैदा हो सकता है, ऐसा इशारा प्रधानमंत्री ऑर्बन ने फिर एक बार दिया है। उसी समय यूरोपीय देश शरणार्थियों का स्वीकार करे  इसके लिए जिद की भूमिका स्वीकार करने वाले यूरोपीय महासंघ, जर्मनी और फ़्रांस के साथ संघर्ष करने के लिए भी तैयार हैं, ऐसी हंगेरी के प्रधानमंत्री ने घोषणा की है।

शरणार्थियों की समस्या, संघर्ष, यूरोपीय महासंघ, जर्मनी, फ़्रांस, घोषणा, हंगेरी, ख्रिस्तधर्म

८ अप्रैल को हंगेरी में चुनाव पूरे होंगे। वर्तमान प्रधानमंत्री विक्टर ऑर्बन ने चुनाव की जोरदार तैयारी शुरू की है और इस पृष्ठभूमि पर शरणार्थियों के खिलाफ अपनी भूमिका अधिक आक्रामकता से रखी है। राजधानी बुडापेस्ट से अपने देशबंधुओं को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ऑर्बन ने परधर्मी शरणार्थियों के समूहों की वजह से यूरोप ने देखा हुआ दु:स्वप्न वास्तव में उतर रहा है, ऐसी घनघोर टीका की है। साथ ही शरणार्थियों का समर्थन करने वाले पश्चिमी यूरोपीय देशों की वजह से यूरोपीय महासंघ में दरार निर्माण होने की टीका भी हंगेरी के प्रधानमंत्री ने की है।

‘ख्रिस्तधर्म यह यूरोप की आखरी आस है। लेकिन बड़ी संख्या में आने वाले परधर्मी शरणार्थियों की वजह से यूरोप को बहुत बड़ा खतरा है और यह शरणार्थी यूरोप पर कब्ज़ा करेंगे’, यह चिंता प्रधानमंत्री ऑर्बन ने व्यक्त की है। लेकिन मै इसके खिलाफ आक्रामक भूमिका अपनाने वाला हूँ और इसके लिए जर्मनी साथ यूरोपीय महासंघ के साथ संघर्ष करने के लिए तैयार हूँ, ऐसा ऑर्बन ने दावा किया है। इसके लिए हंगेरी क़ानूनी लड़ाई लडेगा, ऐसा कहकर ऑर्बन ने शरणार्थियों के खिलाफ सब एकजुट हो जाएं, यह आवाहन किया है।

दौरान, पिछले कुछ महीनों से हंगेरी शरणार्थियों के खिलाफ निश्चित भूमिका अपना रहा है और शरणार्थियों का विरोध करने वाले अन्य देशों पर भी इसका प्रभाव पड़ रहा है। यूरोपीय महासंघ के हर सदस्य देश ने शरणार्थियों का स्वीकार करना चाहिए, ऐसा नियम बनाकर महासंघ ने हर देश के लिए शरणार्थियों का कोटा बनाया था। जो देश शरणार्थियों को स्वीकार नहीं करेंगे, उन्हें यूरोपीय महासंघ से बाहर किया जाएगा, ऐसी धमकी जर्मनी ने दी थी। लेकिन हंगेरी ने इसे स्पष्टरूप से इन्कार किया है।

‘परधर्मी शरणार्थियों की वजह से हमारा देश अपनी पहचान गँवा देगा। सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से अलग शरणार्थी हंगेरियन समाज में कभी भी एक नहीं हो सकते, ऐसी हंगेरियन सरकार की स्पष्ट भूमिका है। ८ अप्रैल को हंगेरी में होने वाले चुनाव में भी अन्य सभी मुद्दों से बढ़कर शरणार्थियों का मुद्दा ही सबसे प्रभावशाली साबित हो रहा है, यह बात सामने आ रही है। इस पृष्ठभूमि पर विक्टर ऑर्बन का पक्ष अपनी भूमिका आक्रामकता से रख रहा है। अपनी हार हो जाए इसलिए शरणार्थियों का पक्ष लेने वाले जोर्ज सोर्स जैसे दौलतमंद निवेशक बड़े पैमाने पर पैसा खर्च कर रहे हैं, ऐसा आरोप विक्टर ऑर्बन कर रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published.