अमरिका द्वारा निर्माण हुआ अभाव चीन भरेगा- ऑस्ट्रिया के चॅन्सेलर का दावा

म्युनिक: अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सत्ता का केंद्र बिंदु बदलने लगा है। अमरिका आज भी महासत्ता है, फिर भी वह अंतरराष्ट्रीय राजनीति से बाहर निकलता दिखाई दे रहा है। राजनीतिक स्तर पर निर्माण हुयी यह कमी चीन से भरने के प्रयत्न शुरू है, ऐसे शब्दों में ऑस्ट्रिया के चॅन्सेलरसेबेस्टियन कर्झ ने जागतिक व्यवस्था के बदलाव के संकेत दिए हैं। इसकी वजह से शरणार्थियों की समस्या यह यूरोप के सामने सबसे बड़ी बाधा होकर, इससे यूरोप कमजोर होने की बात चॅन्सेलर ने कही है।

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जर्मनी में शुरू होने वाले म्युनिक सिक्योरिटी कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए चॅन्सेलर कर्झ ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महासत्ता के संतुलन बदलने के स्पष्ट संकेत दिए हैं। अमरिका की जगह चीन ले रहा है, ऐसा दावा करने वाले चॅन्सेलर सेबेस्टियन कर्झ ने यूरोप कमजोर होने की टीका भी की है। यूरोपीय महासंघ शादी हुए वृद्ध व्यक्तियों की तरह लड़ रहा है ऐसी मिसाल देते हुए उन्होंने यूरोप में अंतर्गत तनाव रेखांकित किया है। यूरोप में पश्चिमी देश, पूर्वी यूरोपीय देशों के बारे में तथा उत्तर यूरोपीय देश, दक्षिणी देशों के बारे में शिकायतें कर रहे हैं, ऐसे शब्दों में कर्झ ने यूरोप में समस्याओं का एहसास दिलाया है।

यूरोप में अन्य प्रमुख नेताओं ने ऐसे ही स्वरुप की भूमिका प्रस्तुत की है और अमरिका यूरोप जैसे पारंपारिक दोस्त से दूर जाने का दावा किया है। जर्मनी के विदेश मंत्री सिग्मार गैब्रियल ने जर्मनी को अब पहले जैसे अमरिका अपने न लगने का विधान किया है। एवं रशिया यह देश यूरोप को खोखला करने का प्रयत्न कर रहे हैं और अमरिका ने भी उनका अनुकरण करने की शुरुआत की है, ऐसा आरोप भी जर्मन विदेश मंत्री ने किया है। अमरिका से सहयोग की अपेक्षा व्यक्त करनेवाले गैब्रियल ने चीन एवं रशिया यूरोप के लिए संभाव्य निरोधक अथवा स्पर्धक देश होने की बात स्पष्ट की है।

अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प की सत्ता आने के बाद अमरिका फर्स्ट धारणा स्वीकारी है। यह धारणा का सबसे बड़ा झटका यूरोपीय देशों को लगने की शिकायत यूरोपीय नेताओं से की जा रही है। जर्मनी, ब्रिटेन एवं फ्रान्स इन यूरोप के प्रमुख देशों ने इस मुद्दे पर लगातार अमरिका पर निशाना साधा है। पिछले वर्ष हुए जी८ तथा नाटो के बैठक में यूरोपीय देशों ने अमरिका के विरोध में आक्रामक सुर लगाया है।

उस समय चीन व्यापारी एवं आर्थिक निवेश के बल पर यूरोप में होने वाला अपना स्थान सक्षम करने का प्रयत्न कर रहा है। यूरोप में मूलभूत सुविधाओं से अग्रणी तंत्रज्ञान कंपनियों तक चीन ने अरबों डॉलर्स का निवेश किया है। यूरोप तक जाने के लिए सीधा रेल मार्ग विकसित किया गया है और यूरोपीय देशों के साथ नजदीकी बढ़ाने के लिए चीन प्रयत्नशील है। यूरोप के व्यतिरिक्त अफ्रीका, अमरिका एवं आशिया खंड में अमरिका की जगह लेने के लिए चीन से अधिक सामर्थ्य का उपयोग किया जा रहा है।

अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था में होने वाले इन बदलावों की वजह से यूरोप पर होने वाले परिणामों के बारे में यूरोपीय नेताओं से गंभीरता से देखने की बात ‘म्युनिक सिक्योरिटी कॉन्फ्रेंस’ के विधानों से सामने आ रही है।

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