एडविन लॅन्ड (१९०९-१९९१)

Edwin-H-Land-et-le-premier-polaroid-commercialiséघडी की अलार्म ज़ोर से बजी और मैं उठ बैठी। घड़ी में देखा तो साढ़े नौ बज चुके थे। तारीख देखी तो २८! मेरे आँखों की नींद तो जैसे छूमंतर हो गई। ११ बजे मेरा इंटरव्ह्यू था और वह भी अंधेरी में। अंधेरी पहुँचने पर पुल पर बायोडेटा चेक किया तो हैरान रह गई। पूरी फाइल में मेरी एक भी फोटो  नहीं थी। इंटरव्ह्यू में चार फोटो  साथ में लाने को कहा गया था। कुछ क्षण तक मैं एक ही स्थान पर खड़ी रह गई। कुछ समझ में नहीं आ रहा था मैं क्या करूँ। उसी स्थिति में मैंने अंधेरी में रहनेवाली अपनी एक सहेली को फ़ोन किया। उसने मुझे आश्‍वासन देते हुए कहा कि घबराने की कोई बात नहीं तुम जिस पुल से नीचे आ रही हो उसी के दाहिनी ओर एक छोटा सा स्टुडिओ है, वहाँ पर एक मिनिट में ही तुम्हें फोटो  मिल जायेगा। उससे बात खत्म होने से पहले ही मैं स्टुडिओ में पहुँच चुकी थी और हुआ भी कुछ वैसा ही। अगले ही पल मैं अपनी फोटो  के साथ स्टुडिओ के बाहर थी।

विलकुल मिनिटों में फोटो हाथ में देने वाले उस कैमेरे का नाम था पोलराइड कैमेरा और आज की भाषा में कहें तो ‘इन्स्टंट केमरा’। जीवन के किसी भे पल को विस्मृत होने से पहले उसे तत्काल फोटो  के रुप में अपने सामने लाने वाले इस इन्स्टंट केमेरे के (पोलराइड) जनक थे, एडविन लॅन्ड ये अमेरिकन संशोधनकर्ता थे।

द्वितीय महायुद्ध खत्म हो जाने के पश्‍चात् वाला समय। छुट्टियाँ बिताने के उद्देश्य से एडविन लॅन्ड अपने परिवार के साथ न्यू मॅक्सिको गए थे। सांता  फे  इस स्थान के कुछ फोटो  निकालने के पश्‍चात् (तसवीरें खींचने के पश्‍चात्) उनकी तीन साल की छोटी बच्ची जिद्द करने लगी कि मुझे ये तस्वीरें अभी-अभी ही देखनी हैं। लॅन्ड अपनी बच्ची को उस समय जैसे-तैसे कर समझाने में सफल हो गए। परन्तु अपने छोटी से बच्ची की इच्छा मैं पूरी नहीं कर सका इस बात का खेद उनके मन में रह गया। उसी समय लॅन्ड के मस्तिष्क में इन्स्टंट केमरे की संकल्पना ने प्रवेश किया।

एडविन जब छोटे थे तब उस समय घटित होने वाली किसी घटना ने उनके मन में घर बना रखा था। पाँच वर्ष की उम्र में उनके हाथों में उनके परिवार की एक तस्वीर आ गई थी। एडविन ने उस तस्वीर से एक नई तस्वीर बनाने का निश्‍चय किया। स्वाभाविक है कि उन्होंने इस काम के लिए उस मूल तस्वीर को अच्छी तरह से फाड़ दिया और फिर अपनी बालबुद्धि का उपयोग कर वे उसे भली-भाँति जोड़ने लगे। बदकिस्मती से उसी समय वहाँ पर उनके पिताजी आ गए और उन्होंने एडविन ने उस समय तो मार खा लिया परन्तु मन यह ठान लिया कि मुझे इस फोटो ग्राफी के बारे में कुछ न कुछ तो करना ही है।

अमरीका के कनेक्टिकट भाग के ब्रिजपोर्ट इस स्थान पर १२ मई १९०९ के दिन एडविन का जन्म हुआ था। अपनी स्कूली शिक्षा नॉर्विच फ्री अ‍ॅकॅडमी में पूर्ण करने वाले एडविन ने महाविद्यालयीन शिक्षा हासिल काने के लिए हार्वर्ड महाविद्यालय में प्रवेश प्राप्त किया। हार्वर्ड महाविद्यालय में एडविन का दिल नहीं लगा।

साल भर में ही हार्वर्ड महाविद्यालय से मुँह फेर कर एडविन संशोधन के लिए न्यूयॉर्क जा पहुँचे। वहाँ पर प्रकाश किरणों की तीव्रता कम हो सके इस प्रकार का फिल्टर्स  बनाने में उन्हें सफलता प्राप्त हुई। शिक्षा पूरी न कर पाने के कारण उन्हें प्रयोगशाला अथवा लायब्ररी की सुविधाएँ प्राप्त होना इतना आसान न था। फिर उन्होंने छिपे तौर पर कोलंबिया महाविद्यालय के प्रयोगशाला का उपयोग करना आरंभ कर दिया। उसी प्रकार संदर्भ के लिए उन्होंने न्यूयॉर्क के सार्वजनिक ग्रंथालय का उपयोग किया।

दो से तीन वर्षों तक के प्रयास पश्‍चात् एडविन लॅन्ड को पोलरायझिंग फिल्म  बनाने में सफलता प्राप्त हुई। इसके पश्‍चात् १९३२  में उन्होंने अपने एक शिक्षक की सहायता से लॅन्ड-व्हिलराईड लॅबोरटरी की स्थापना की कालांतर में उसी का नाम ‘पोलराईड कार्पोरेशन’ कर दिया गया।

द्वितीय महायुद्ध के दौरान एडविन लॅन्ड ने अमेरिकन फ़ौज  के साथ अनेक महत्त्वपूर्ण प्रकल्पों पर काम किया। इस प्रकल्प पर अंधकार में भी दिखाई देगा इस प्रकार के गॉगल्स, गायडेड स्मार्ट बॉम्बस् तथा हवाई छायाचित्रों के माध्यम से शत्रुओं के गुप्त स्थानों की जानकारी देने वाले ‘वेक्टोग्राफ ’ इन बातों का समावेश था। इस कालावधि में एडविन अनेक चीजों के पेटंट्स प्राप्त करने में यशस्वी हो गएथे।

अपने खुद के द्वारा खोज किए गए पोलराईड फिल्म  की सहायता से लॅन्ड ने प्रयोग की शुरुआत कर दी और १९४७ में अथक परिश्रम के पश्‍चात् अपना मनचाहा ‘इन्स्टंट कैमेरा’ तैयार करने में एडविन लॅन्ड को सफलता मिली। पोलराईड कंपनी में अपने सहकारियों की सहायता से २१ फरवरी  १९४७ के दिन दुनिया में प्रथम इन्स्टंट कैमेरे का जन्म हुआ। इस कैमेरे का नाम रखा गया ‘पोलराईड लॅन्ड केमर’। प्रकाश किरणों के प्रति संवेदनशील रहनेवाली एक फिल्म  एवं कुछ विशेष रसायनों की सहायता से प्रथम पोलराईड कैमेरा बनाया गया था।

आरंभ में केवल ब्लॅक एण्ड व्हाईट तस्वीरें निकालने की सुविधा प्राप्त पोलाराईड कैमेरा १९६३  में रंगीन (कलरफुल) हो गया और इसके पीछे भी कौशल्य एवं (कल्पकता) मेहनत एडविन लॅन्ड की ही थी। इन्स्टंट कैमेरे के खोज के बाद भी (आविष्कार) लॅन्ड शांत न रहे, उन्होंने मानवीय मस्तिष्क में होने वाले रंगज्ञान के बारे में अध्ययन करना आरंभ कर दिया। इस विषय में उनके द्वारा किया जाने वाला संशोधन आज भी मौलिक माना जाता है।

आज मोबाईल कैमेरा अथवा डिजीटल कैमेरे का जमाना होने पर भी इन्स्टंट कैमेरा अर्थात पोलराईड का महत्त्व कुछ कम नहीं है। तुम जैसे हो वैसे अथवा तुम्हें सामने होने वाले प्रसंग का जैसा चाहिए वैसा ही छाया चित्र तत्काल हाथ में चाहिए तो पोलराईड केमेरे के प्रति आज भी कोई विकल्प नहीं।

दुनियाभर के संशोधनकर्ताओं में थॉमस एडविन के बाद ५३३ पेटट्ंस प्राप्त करने वाले एडविन लॅन्ड का १ मार्च १९९१ को निधन हो गया। आज के इन्स्टंट, ‘बस दो मिनिट में’ के युग में यूँ ही भागते-दौड़ते किसी पल को बस एक मिनिट में केमेरे में बंद कर हमारे सामने हाज़िर करने वाले इस अवलिया का हमें सचमुच ऋणी होना चाहिए।

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