आधुनिक संगणक के संशोधक हॉवर्ड आईकन और ग्रेस हॉपर हॉवर्ड आईकन भाग – २

संगणकीकरण से जागतिक स्तर पर व्यवहार आज भले ही तेज़ी से हो रहे हैं, परन्तु आरंभिक काल में सर्वप्रथम संगणक का उपयोग केवल काफी बड़े पैमाने पर गिनती और हिसाब-किताब के लिए किया जाता था। परन्तु इस संगणक का उपयोग मनुष्य की दैनंदिन ज़रूरतों की पूर्ति हेतु करने के लिए इस यंत्र को मानवी भाषा समझना आवश्यक है, यह संकल्पना सर्वप्रथम जिनके मन में स्फुरित हुई और जिन्होंने इसे प्रस्तुत किया, वे थीं, अमरीकी नौदल की महिला अधिकारी ‘ग्रेस हॉपर’।

नौदल की अत्यावश्यक सेवा विभाग की महिलाओं के समूह में ग्रेस हॉपर की नियुक्ति की गई थी। बचपन से ही गणित में विशेष रुचि रखनेवाली ग्रेस ने पी.एच.डी. किया था। साथ ही गणित इस विषय पर ग्रेस को न्यूयॉर्क महाविद्यालय के कौरन्ट इन्स्टिट्यूट ऑफ मॅथेमॅटिक्स की ओर से फॅकल्टी फेलोशीप भी प्राप्त हुई थी। घर का वातावरण फौजी होने के कारण ग्रेस को बचपन से ही फौज में जाने की इच्छा थी।

परिवार के अनेकों लोग फौज में होने के कारण ग्रेस ने भी नौदल में ही जाना पसंद किया और इसी के अनुसार दिसंबर १९४३ में वे अमरीकन नौदल में शामिल हो गईं। जल्द ही ग्रेस की नियुक्ति एक कम्प्यूटेशन प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी सौंपी गई समिति के लेफ्टनंट पद पर हो गई। इस समिति द्वारा हॉवर्ड महाविद्यालय में एक प्रोजक्ट तैयार किया जा रहा था। इसी समय ग्रेस ने हॉवर्ड आईकन के साथ सहायक के रुप में काम करना शुरु कर दिया।

ग्रेस की शैक्षणिक पृष्ठभूमि के आधार पर उनके कर्तृत्व की उड़ान देखने को मिलती है। येल महाविद्यालय से उपाधि प्राप्त कर गणित में पी.एच.डी. करनेवाली ग्रेस प्रथम महिला साबित हुई। १९८५ में पी.एच.डी. करने के पश्‍चात् उन्होंने अमरीकन नौदल में प्रवेश प्राप्त कर लिया और वहाँ पर ग्रेस ने अ‍ॅडमिरल रँक तक का पड़ाव पार कर लिया। अ‍ॅडमिरल पद तक पहुँचनेवाली प्रथम महिला होने का सम्मान भी ग्रेस को ही प्राप्त हुआ। द्वितीय महायुद्ध के दौरान ग्रेस ने प्राध्यापक की भूमिका निभायी और फिर युनायटेड स्टेट्स नेव्हल रिजर्व में प्रवेश प्राप्त कर लिया। यहीं से इनका हॉवर्ड महाविद्यालय और वहाँ के संगणक के प्रोजेक्ट का प्रवास आरंभ हुआ।

संगणक केवल गणिती हिसाब-किताब के ही लिए नहीं है बल्कि अद्ययावत यंत्र का उपयोग मनुष्य अधिकाधिक कर सके यह विचार ग्रेस के मन में घर कर गया। यदि ऐसे समय पर ही संगणक मानवी भाषा समझने लगे तो…… यह संगणक कल्पना ग्रेस के मस्तिष्क में स्फुरित हो उठी। मानवी भाषा अथवा सूचना संगणक को समझ में आ सके इस तरह से सूत्रबद्ध होना ज़रूरी था।

अब हम अपनी ही भाषा में कि-बोर्ड पर टाईप करके संगणक में जानकारी फीड करते हैं। इसके पश्‍चात यह जानकारी संगणक के समझ में आ सके उसी भाषा में रुपांतरित होती है और इसके पश्‍चात ही संगणक उस सूचना को आत्मसात कर, उस पर कार्यवाही कर उसका परिणाम मानव समझ सके इस तरह की भाषा में रूपांतरित करके मॉनिटर पर दिखाता है।

अर्थात संगणक को समझनेवाली भाषा बायनरी कोड अर्थात ० एवं १ इनके विभिन्न सूत्रों से तैयार किया गयी है। परन्तु ग्रेस ने मनुष्य का काम करने के लिए प्रोग्राम्स तैयार किया। ग्रेस ने १९५२ में मानवी सूचनाओं का रूपांतरण संगणकीय भाषा में करनेवाला सर्वप्रथम ‘कम्पायलर’ तैयार किया। इस ‘कम्पायलर’ सॉफ्टवेअर के आधार पर ही अन्य सॉफ्टवेअर भी बनाये जाते हैं। इसे प्रोग्रॅमिंग लँग्वेज कहा जाता है। इस प्रोग्रॅमिंग लँग्वेज के कारण ही संगणक का प्रोग्राम लिखना आसान हो जाता है।

ग्रेस ने एक विशिष्ट प्रकार की कोड लँग्वेज विकसित की। इसी कारण संगणक पर काम करने के लिए कॉमन लँग्वेज तैयार की गई। इसे कॉमन बिझनेस ओरिएन्टेड लँग्वेज (कोबोल) इस तरह का नाम दिया गया। आगे चलकर कोबोल यह दुनियाभर में कम्प्यूटर बिझनेस लँग्वेज के रुप में प्रसिद्ध हुआ और काफी बड़े पैमाने पर उपयोग में लाया जाने लगा।

कोबोल का उपयोग छोट-बड़ी कंपनियाँ, संस्थाएँ आदि नियमित रुप में करने लगे। कॉम्प्युटराईज्ड् पेरोल, बिलींग एवं अन्य रेकॉर्डस कायम रखना इस प्रकार के महत्त्वपूर्ण कार्य सहज ही होने लगे और इसके साथ ही समय बर्बाद करनेवाला एवं सिरदर्दवाले कामों का निपटारा कोबोल के कारण सुलभ हो गया। परन्तु बदकिस्मति की बात यह है कि इस कार्य हेतु ग्रेस को पेटंट नहीं मिल पाया। ग्रेस ने युनिवॅक १ एवं युनिवॅक २ इन संगणकों के लिए भी सुलभ संगणकीय भाषा विकसित की। ग्रेस का यह महत्त्वपूर्ण संशोधन पेटंट के बगैर अधूरा ही रह गया।

परन्तु अमरीका के तत्कालीन राष्ट्राध्यक्ष रोनाल्ड रीगन ने व्हाईट हाऊस के एक प्रमुख कार्यक्रम में ग्रेस हॉपर को सर्वोच्च ‘नॅशनल मेडल ऑफ टेक्नॉलॉजी’ पुरस्कार देकर सम्मानित किया। ग्रेस हॉपर द्वारा विकसित किए गए युजर फ्रेंडली कम्प्यूटर लँग्वेज के कारण ही आज संगणक मनुष्य के रोज़मर्रा के कामकाज का भी आवश्यक अंग बन गया है। अत एव इस क्षेत्र में ग्रेस हॉपर का योगदान काफी महत्त्वपूर्ण माना जाता है।

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