‘आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट’ संसद में पेश

नई दिल्ली – अगले वित्तीय वर्ष में भारत का विकास दर ६ से ६.८ प्रतिशत के बीच मे रहेगा। बजट से पहले संसद में पेश किए गए ‘आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट’ में यह अनुमान दर्ज़ है। पिछले तीन सालों में पहली बार भारत का विकास दर इतना फिसला दिख रहा है, फिर भी अन्य प्रमुख देशों की तुलना में भारत विकास दर की होड़ में पहले स्थान पर रहेगा, यह भी वर्णित रपट में दर्ज़ किया गया है। यूक्रेन युद्ध और अन्य अंतरराष्ट्रीय गतिविधियों के कारण भारत की निर्यात बाधित होगी और भारत को वित्तीय घाटा नियंत्रित रखना होगा, ऐसा इशारा इस रपट में दिया गया है।

‘आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट’यूक्रेन युद्ध वैश्विक अर्थव्यवस्था पर बुरा असर कर रहा है और प्रमुख देशों की अर्थव्यवस्था भी इससे बाधित हुई है। इसका असर भारत के निर्यात पर होगा, ऐसी चेतावनी वर्णित रपट ने दी है। लेकिन, देश में स्थानिय स्तर पर बढ़ रही मांग का काफी बड़ा आधार भारतीय अर्थव्यवस्था को प्राप्त होगा। लेकिन, आयात और निर्यात की असमानता भारत के लिए समस्या बन सकती है, यह अहसास इस रपट में कराया गया है। इसके साथ ही डॉलर के सामने ८३ तक फिसले भारतीय रुपये पर आनेवाले कुछ समय तक दबाव बने रहने के संकेत इस रपट ने दिए है।

वित्तीय घाटा बढ़ने की संभावना होने की स्थिति में इसका संतुलन बनाने के लिए आवश्यक विदेशी मुद्रा भंड़ार भारत के पास पर्याप्त है। इस वजह से अपनी मुद्रा का मूल्य स्थिर रखने की क्षमता भी भारत रखता है, इस ओर वर्णित रपट ने ध्यान आकर्षित किया। सूक्ष्म, लघू और मध्यम उद्योगों को प्रदान ऋण की मात्रा मे २०२२ के जनवरी से नवंबर महीने के दौरान करीबन ३० प्रतिशत वृद्धि हुई है। साथ ही अक्तुबर महीने से देश के उद्योग क्षेत्र को मुहैया किए जा रहे ऋण की मात्रा में १० प्रतिशत से भी अधिक वृद्धि होने की बात यह रपट दर्शा रहा है।

इसी बीच, गरीब, विकासशील और प्रगत देशों को सता रही महंगाई की समस्या अगले वित्तीय वर्ष में भारत के लिए परेशानी नहीं होगी, यह दावा अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने किया है। अगले वित्तीय वर्ष में भारत में महंगाई दर पांच प्रतिशत रहेगा। इसके अलावा वित्तीय वर्ष २०२४-२५ में भारत का महंगाई दर फिसलकर ४ प्रतिशत होगा, यह भी मुद्रा कोष ने कहा है।

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