अमरिकी विदेश विभाग की उपमंत्री विक्टोरिया न्यूलैण्ड और विदेश मंत्री जयशंकर के बीच चर्चा

नई दिल्ली – अमरीका की विदेश उप-मंत्री विक्टोरिया न्यूलैण्ड भारत यात्रा पर आई हुई हैं। उन्होंने विदेश मंत्री एस.जयशंकर और विदेश सचिव विनय क्वात्रा से मुलाकात की। न्यूलैण्ड से भारतीय उपमहाद्वीप, इंडो-पैसिफिक क्षेत्र और दोनों देशों के सामायिक हितों पर चर्चा होने की जानकारी विदेश मंत्री जयशंकर ने साझा की। रशियन हथियारों पर भारत की निर्भरता घटाने के लिए भारत को विकल्प देने की ज़िम्मेदारी अमरीका को उठानी पडेगी यह बयान विक्टोरिया न्यूलैण्ड ने किया था और उनकी इस यात्रा को विश्लेषक बड़ी बारिकी से देख रहे हैं।

नेपाल का दौरा करके अमरिकी उप-मंत्री न्यूलैण्ड भारत पहुँची हैं। भारत के बाद वे श्रीलंका और कतार का दौरा करेंगीं। अपने इस दौरे की शुरूआत करने से पहले अमरिकी संसद की समिती के सामने सुनवाई में विक्टोरिया न्यूलैण्ड के बयानों ने ध्यान आकर्षित किया था। यूक्रेन युद्ध में रशियन हथियार और रक्षा सामान के खराब प्रदर्शन के मद्देनज़र भारत की इसमें होने वाली रूचि यकीनन कम हुई होगी, ऐसा बयान अमरिकी जनप्रतिनिधि ने किया था। इस पर बोलते हुए विक्टोरिया न्यूलैण्ड ने रशियन शस्त्रों पर भारत की निर्भरता घटाने के लिए अमरीका को विकल्प देना पडेगा, ऐसा हमारा विचार है, यह कहा था। अपनी आगामी भारत यात्रा में हम यह मुद्दा उठाएंगे, यह भी उन्होंने कहा था।

मंगलवार को भारत आईं न्यूलैण्ड ने विदेश मंत्री एस.जयशंकर और विदेश सचिव विनय क्वात्रा से मुलाकात की। इस चर्चा का पूरा ब्यौरा अभी सार्वजनिक नहीं हुआ है। भारत को नवीनतम शस्त्र एवं रक्षा सामान देने के लिए अमरीका उत्सुक होने की बात बार-बार स्पष्ट हुई थी। लेकिन, अमरीका द्वारा प्राप्त हुए इससे संबंधित सभी प्रस्तावों पर भारत का जवाब नहीं मिल सका। अमरीका से लड़ाकू एवं सैन्यकी यातायात के हेलीकॉप्टर्स एवं गश्त विमान और रिपर ड्रोन्स भारत ने खरीदे हैं। लेकिन, अमरीका को भारत से अधिक बड़ी उम्मीद है।

अमरीका से भारत लड़ाकू विमान, पनडुब्बियां और युद्धपोत खरीदे और हवाई सुरक्षा यंत्रणा के लिए भी भारत अमरिकी कंपनियों का विचार करे, यह अमरीका की उम्मीद है। लेकिन, भारत ने राफेल विमान खरीदे हैं और विमान वाहक युद्धपोत के लिए भी भारत ने राफेल का नौसेना के लिए बना हुआ संस्करण खरीदने की दिशा में कदम बढ़ाने के दावे किए जा रहे हैं। साथ ही आनेवाले समय में भारत को रक्षा सामान एवं शस्त्र खरीदार बनने में रूचि नहीं होगी और इसलिए भारत ने अपने देश में निर्माण करने की तैयारी की है।

भारत की इस आकांक्षा का अहसास रखनेवाले रशिया और फ्रान्स ने भारत के साथ रक्षा सामान से जुड़ी प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण करने का उचित निर्णय लिया है। लेकिन, अमरीका इसके लिए तैयार नहीं है, यह पहले ही स्पष्ट हुआ था। ऐसी स्थिति में भारत रशियन शस्त्र और रक्षा सामान के बजाय अमरिकी विकल्प का चयन करे, इसके लिए विक्टोरिया न्यूलैण्ड की कोशिशों पर भारत के संभावित जवाब की ओर पूरे विश्व के सामरिक विश्लेषकों की नज़रे लगी हैं।

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