गन्ने की खेती के लिये ड्रीप सिंचाई आवश्यक- राज्य मंत्रिमंडल का निर्णय

 

मुंबई, दि.१८: गन्ने की खेती के लिये ड्रीप सिंचाई बंधनकारक करने का महत्वपूर्ण निर्णय मंगलवार को हुए मंत्रीमंडल की बैठक में लिया गया है|साथ ही आनेवाले २ सालों में गन्ने की खेती में व्याप्त ३ लाख हेक्टर क्षेत्र ड्रीप सिंचाई में लाने की योजना को मंत्रीमंडल ने मंजुरी दी है|

ड्रीप सिंचाई

गन्ने की फ़सल करने में भारी मात्रा में पानी की बर्बादी होती है,ऐसा आरोप सालों से लगाया जा रहा है|गन्ने की खेती के लिये पानी की ज्यादा जरुरत होती है और मिट्टी के कटाव में भी बढ़ोत्तरी होती है|इसी कारणवश ड्रीप सिंचाई को बंधनकारक किया गया है|

गन्ना फ़सल बारा महिने में तैयार होती है और गन्ने की परिपक्वता की अवधि के दौरान सालाना २५ हजार घनमीटर प्रतिहेक्टर इतने पानी की आवश्यक होती है| ड्रीप सिंचाई के उपयोग से करीब साढ़े सात से साढे बारा हजार घनमीटर तक पानी की बचत होगी|

गन्ने की फसल क्षेत्र में ड्रीप सिंचाई को लाने का निर्णय, राज्यों के सहकारी शुगर फैक्टरियों के साथ साथ निजी शुगर फैक्टरियों को भी लागु होगा|जो किसान ड्रीप सिंचाई का उपयोग करेंगे उन्हे अनुदान देने का फैसला भी किया गया है| साथ ही प्रति हेक्टर ८७ हजार रूपए का कर्जा २ प्रतिशत ब्याज पर किसानों को राज्य सरकार की ओर से दिया जायेगा|

योजना नुसार पहले चरण में कुंए, नदी, नाले द्वारा सिंचित होनेवाले परिसर में शुरुआत होगी| २०१७-१८ में १ लाख ५० हजार हेक्टर तो २०१८-२०१९ में १ लाख ५५ हजार हेक्टर ऐसे कुल मिलकर ३ लाख ५ हजार हेक्टर क्षेत्र ड्रीप सिंचाई में लाने का संकल्प है| ड्रीप सिंचाई के लिये क्षेत्र निश्चित करने के लिये अपर मुख्य सचिव (वित्त) की अध्यक्षता में समिति स्थापन की जायेगी|

कम से कम पानी का उपयोग करके ज्यादा से ज्यादा क्षेत्र सिंचाई में लाने के लिये ड्रीप सिंचाई उपयुक्त है|इस के साथ खाद, दवाई के खर्चों में बचत होकर उत्पादन में बढत होगी, ऐसा राज्य सरकार ने कहा है|

राज्य सरकार के इस निर्णय का खेती विशेषज्ञों ने स्वागत किया है और इस बात से ड्रीप सिंचाई को राज्य में प्रोत्साहन मिलने का विश्वास व्यक्त किया है|

दौरान, राज्य के किसानों का उत्पन्न २०२० तक दुगुना करने की निति को कार्यान्वित करने के लिये सामुहिक खेती की योजनाओं को महाराष्ट्र सरकार ने मंजूरी दी है|

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