पूरे चीन को अपनी पहुँच में लानेवाले परमाणुवाहक ‘अग्नी-५’ का सफल परीक्षण

नयी दिल्ली दि. २६: ‘रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन’ (डीआरडीओ) ने सोमवार को ‘अग्नी-५’ इस अन्तरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्र का सफल परीक्षण किया गया है| पाँच हज़ार किलोमीटर की दूरी तक के लक्ष्य को भेदने की क्षमता रखनेवाले इस प्रक्षेपास्त्र की रेंज में पूरे चीन समेत युरोप तक का इलाका आता है और यह प्रक्षेपण यानी यह प्रक्षेपास्त्र भारतीय सेना के ताफ़े में शामिल होने की दिशा में बढ़ाया एक और कदम है|

agni5- डीआरडीओ

ज़मीन से ज़मीन पर हमला कर सकनेवाले, पाँच हज़ार किलोमीटर से भी ज़्यादा दूरी तक हमला करने की क्षमता रखनेवाले प्रक्षेपास्त्र अमरीका, रशिया, फ्रान्स और चीन इन देशों के पास है| ‘अग्नी-५’ का निर्माण कर भारत इन देशों के क्लब में पहले ही शामील हुआ है| भारत ने ‘अग्नी-५’ का किया हुआ यह चौथा परीक्षण था| ओडिशा के अब्दुल कलाम द्वीप के प्रक्षेपण बेस से यह परीक्षण किया गया, ऐसी जानकारी ‘डीआरडीओ’ के अधिकारियों ने दी| ‘अग्नी-५’ के अधिक परीक्षण किये जाने के बाद यह प्रक्षेपास्त्र भारतीय रक्षादल में शामिल होगा| इससे भारत की रक्षासिद्धता में बडी मात्रा में बढोत्तरी होगी| इस प्रक्षेपास्र में ‘रिंग लेजर गायरोबेस’ (आरएलजी) इस प्राद्योगिकी का इस्तेमाल किया गया है|

इस वजह से यह प्रक्षेपास्त्र और भी भेदक होगा| इस प्रक्षेपास्त्र की पहुँच पाँच हजार किलोमीटर है, ऐसा कहा जा रहा है; लेकिन इस प्रक्षेपास्त्र के पास आठ हजार किलोमीटर तक की दूरी के लक्ष्य को भेदने की क्षमता है, ऐसे दावे किए जा रहे हैं|

१७ मीटर लंबे प्रक्षेपास्त्र का वजन ५० टन है और यह हजार किलो वजन के विस्फोटक लेकर जा सकता है| यह प्रक्षेपास्त्र आसानी से कही भी लेकर जाना आसान है| इस वजह से भारत के उत्तर, पश्‍चिम, दक्षिण, पूर्व सीमा को देखते हुए आशिया, आफ्रिका और यूरोप तक यह प्रक्षेपास्त्र हमला कर सकता है|

इससे पहले १९ एप्रिल २०१२ को इस प्रक्षेपास्त्र का परीक्षण किया गया था| इसके बाद सितंबर २०१३ में और जनवरी २०१५ में इस प्रक्षेपास्त्र का दूसरा और तीसरा सफल परीक्षण किया गया था| भारत ने इससे पहले ‘पृथ्वी-२’, ‘अग्नी-२’, ‘अग्नी-३’ और ‘अग्नी-४’ ये परमाणुवाहक प्रक्षेपास्त्र विकसित किये थे| साथ ही ‘अग्नी-६’ प्रक्षेपास्त्र भारत विकसित कर रहा है| पाकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसी देश रहने के कारण, भारत ने खुद की रक्षा के लिए प्रक्षेपास्त्र कार्यक्रम अधिक मात्रा में विकसित करना चाहिए, ऐसी सलाह सामरिक विश्‍लेषक बार बार दे रहे हैं| ख़ासकर चीन के प्रक्षेपास्त्र कार्यक्रम की गति को देखते हुए, भारत को प्रक्षेपास्त्र कार्यक्रम अधिक गतिमान करना चाहिए, ऐसा जानकारों का कहना है| इस पृष्ठभूमि पर, ‘अग्नी-५’ का यह सफल परीक्षण भारत की रक्षासिद्धता के लिए काफी अहम है|

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