रशिया और तुर्की से मिली पाकिस्तान को निराशा

इस्लामाबाद – चीन में होनेवले विंटर ओलिम्पिक के लिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को मिले हुए आमंत्रण की वजह से उत्साहित हुए पाकिस्तान ने बीजिंग में रशिया के साथ द्विपक्षीय चर्चा होगी, ऐसे दावे किए थे। बीजिंग में रशियन राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमिर पुतिन और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इम्रान खान के बीच होनेवाली चर्चा ऐतिसिक होगी, ऐसा विश्वास पाकिस्तान में व्यक्त किया जा रहा था। मगर राष्ट्राध्यक्ष पुतिन विंटर ओलिम्पिक के लिए भले ही चीन जानेवाले हैं फिर भी वे किसी भी राष्ट्र के साथ द्विपक्षीय चर्चा नहीं करेंगे, ऐसा रशिया ने घोषित किया। इसलिए पाकिस्तान की घोर निराशा हुई है।

पाकिस्तान को निराशाभारत का अमेरिका के साथ नीतिपूर्ण सहकार्य बढता जा रहा है तथा भारत ने रशिया के साथ अपने मैत्रीपूर्ण संबंध कायम रखे हैं। भारत के इस स्वतंत्र परराष्ट्र नीति से पाकिस्तान सरकार सबक सीखे, ऐसी टीका इस राष्ट्र के पत्रकार एवं माध्यमों द्वारा की जा रही है। तो, अमेरिका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ने सत्ता संभालने के बाद से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को एक फोन भी करने का कष्ट भी उठाया है, इस बात की ओर पत्रकार एवं माध्यम ध्यान दिला रहे हैं। अपने पर होनेवाली यह टीका टालने के लिए इम्रान खान की सरकार रशिया के साथ संबंध जोडने के लिए जूझ रहे हैं।

रशिया के राष्ट्राध्यक्ष ने पाकिस्तान का दौरा करें इसके लिए पाकिस्तान सरकार कोशिश कर रही है। मगर रशियन राष्ट्राध्यक्ष ने इस बात को प्रतिसाद नहीं दिया है। ऐसी स्थिति में बीजिंग में होनेवाले विंटर ओलिम्पिक्स के दौरान प्रधानमंत्री इम्रान खान रशियन राष्ट्राध्यक्ष के साथ चर्चा करेंगे ऐसा विश्वास पाकिस्तान में व्यक्त किया जा रहा था। पर रशिया के क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेकोव ने राष्ट्राध्यक्ष पुतिन की बीजिंग में द्विपक्षीय चर्चा अनुसूचित ना होने की बात कहकर पाकिस्तान को झटका दिया। इसलिए रशिया अपनी तरफ होने के संकेत देने की इच्छा रखनेवाली पाकिस्तान सरकार को निराशा हुई है।

रशिया से पहले तुर्की ने भी पाकिस्तान को बडा झटका दिया हुआ दिख रहा है। तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन पाकिस्तान के समर्थक हैं और दोनों राष्ट्र मिलकर इस्लामी विश्व का नेतृत्व कर सकते हैं, ऐसे दावे पाकिस्तान में किए जा रहे थे। तुर्की के साथ सहकार्य के लिए पाकिस्तान ने सौदी अरेबिया और संयुक्त अरब अमिरात के साथ संबंध दांव पर लगाए थे। इन राष्ट्रों से तीव्र प्रतिक्रिया उमडी थी। मगर अब तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन ने ही इस्रायल के साथ सहकार्य के लिए कदम बढाकर वे बहुत जल्द इस्रायल जानेवाले हैं। तुर्की के साथ सहार्य करके इस्लामी राष्ट्रों का स्वतंत्र गुट बनाने के और इसका नेतृत्व करने के सपने देखनेवाले पाकिस्तान के लिए यह बहुट बडा झटका है।

तुर्की के साथ सहकार्य के लिए पारंपारिक मित्रराष्ट्रों का दिल दुखानेवाले प्रधानमंत्री इम्रान खान के अपरिपक्व परराष्ट्र नीति का और एक सबूत होने की बात उनके टीकाकार कहने लगे हैं। इसलिए इम्रान खान को परराष्ट्र नीति बिलकुल समझ में नहीं आती, यह आरोप साबित होने की टीका उनकी तरफदारी करनेवाले पत्रकार भी करने लगे हैं। इसके अलावा तुर्की भारत को अत्याधुनिक ड्रोन की आपूर्ति के लिए तैयार होने की खबरें मिल रही हैं। इससे पाकिस्तानी विश्लेषक और माध्यमों की क्रोध में अधिक बढोतरी हुई है। इसलिए इम्रान खान के खिलाफ पाकिस्तान का वातावरण अधिक गरमाया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.