अत्याधुनिक विध्वंसक ‘आईएनएस मोरमुगाओ’ नौसेना में शामिल

मुंबई – ‘आईएनएस मोरमुगाओ’ विशाखापट्टनम वर्ग का दूसरा विध्वंसक भारतीय नौसेना में शामिल हुआ। १६३ मीटर लंबाई और १७ मीटर चौड़ाई एवं ७,४०० टन भार का यह विध्वंसक भारतीय नौसेना का हिस्सा होने से नौसेना की ताकत अधिक बढ़ेगी, यह दावा किया जा रहा हैं। स्वदेशी निर्माण के इस युद्धपोत के निर्माण मे लगा ७५ प्रतिशत सामान देश में तैयार किया गया है। इसका दाखिला देकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ‘आईएनएस मोरमुगाओ’ विश्व की अत्याधुनिक ‘गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर’ होने का बयान किया है।

‘आईएनएस मोरमुगाओ’रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, रक्षाबलप्रमुख जनरल अनिल चौहान, नौसेनाप्रमुख एडमिरल आर.हरि कुमार एवं नौसेना के वरिष्ठ अधिकारी और गोवा के राज्यपाल पी.एस.श्रीधरन पिल्लई एवं गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत की मौजूदगी में ‘आईएनएस मोरमुगाओ’ नौसेना में शामिल हुआ। नौसेना की ‘१५ बी’ परियोजना के तहत विशाखापट्टनम वर्ग के चार विध्वंसक नौसेना को प्राप्त होने थे। ‘आईएनएस मोरमुगाओ’ इस परियोजना का दूसरा विध्वंसक हैं। ‘माझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड’ ने इस विध्वंसक का निर्माण किया है। गोवा के ऐतिहासिक बंदरगाह मोरमुगाओ का नाम इस विध्वंसक को दिया गया है। १९ डिसंबर, २०२१ को इस विध्वंसक का पहला समुद्री परीक्षण हुआ था। इसके एक वर्ष बाद ‘आईएनएस मोरमुगाओ’ भारतीय नौसेना में शामिल हुआ।

‘आईएनएस मोरमुगाओ’ पर तैनात तोप और अन्य यंत्रणा अत्याधुनिक राड़ार यंत्रणा से जुड़ी हैं और इससे यह विध्वंसक शत्रु पर सटिक हमला कर सकता है। सतह से सतह पर एवं सतह से हवां में हमला करने की बड़ी क्षमता यह विध्वंसक रखता हैं। इसके अलावा ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूझ मिसाइल भी इस विध्वंसक पर तैनात है। परमाणु, रासायनिक एवं जैव हमले का मुकाबला करने की काबिलियत भी ‘आईएनएस मोरमुगाओ’ रखती है। साथ ही पनडुब्बी विरोधी युद्ध में यह विध्वंसक बड़ा प्रभावी प्रदर्शन कर सकता हैं। क्यों कि, इस विध्वंसक पर देश में बने रॉकेट लौन्चर्स, टोर्पिडो लगाए गए हैं। साथ ही ‘आईएनएस मोरमुगाओ’ पर हेलीकॉप्टर तैनाती भी मुमकिन है।

‘आईएनएस मोरमुगाओ’‘आईएनएस मोरमुगाओ’ एक बड़ी क्षमता के विध्वंसकों में से एक है, यह कहकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस विध्वंसक का शामिल होने से भारतीय नौसेना की क्षमता और अधिक बढ़ेगी, यह विश्वास व्यक्त किया। यह विध्वंसक रक्षा सामान के क्षेत्र में देश की आत्मनिर्भरता का चमकता उदाहरण है। यह विध्वंसक मौजूदा और भविष्य के खतरों का सामना करने के लिए सक्षम है, यह दावा भी राजनाथ सिंह ने किया। इस विध्वंसक का निर्माण करने के लिए अथक परिश्रम करने वाले इंजिनिअर्स, तकनीशियन, डिज़ाइनर्स और वैज्ञानिकों की रक्षा मंत्री ने सराहना की।

हिंद महासागर क्षेत्र में देश के हितसंबंधों की रक्षा करना नौसेना की बुनियादी ज़िम्मेदारी होती है। भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रगती देश के बढ़ते व्यापार से सीधे तौर पर जुड़ी हैं। इसके लिए अधिकांश व्यापार समुद्री मार्ग से ही होता हैं और इसी वजह से भारत के हितसंबंध सीधे हिंद महासागर क्षेत्र से जुड़े हैं। इस क्षेत्र के बड़े अहम देश के तौर पर हिंद महासागर में भारतीय नौसेना की भूमिका बड़ी अहमियत रखती हैं। ऐसी स्थिति में देश की नौसेना अपनी ज़िम्मेदारी प्रभावी ढ़ंग से निभा रही हैं, यह संतोष की बात है, ऐसा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा।

देश की सीमा और समुद्री सीमा की रक्षा के लिए रक्षा बल निभा रहे ज़िम्मेदारी की भी रक्षा मंत्री ने इस दौरान सराहना की। देश के विकास में रक्षाबलों का योगदान भी काफी बड़ा होने का दावा राजनाथ सिंह ने किया। देश हर दिन सफलता की नई चोटियां काबिज कर रहा हैं। विश्व की पहली पांच अर्थव्यवस्थाओं में भारत का समावेश हुआ हैं। अगले पांच सालों में भारत विश्व के पहले तीन क्रमांकों की अर्थव्यवस्था में से एक होगा, ऐसा अंतरराष्ट्रीय वित्त संस्थान मॉर्गन स्टैनली ने कहा हैं, इसपर भी रक्षामंत्री ने ध्यान आकर्षित किया।

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