भारत और चीन के लष्करी अधिकारियों की चर्चा शुरू

लेह – गलवान वैली में हुए संघर्ष के बाद पहली ही बार, भारत और चीन के वरिष्ठ लष्करी अधिकारियों की चर्चा हुई। सोमवार के दिन ग्यारह घंटो से भी अधिक समय तक चली इस चर्चा से ज्यादा कुछ हाथ नहीं लगा हैं। लेकिन, चिनी सैनिकों ने इस क्षेत्र से पूरी तरह से वापसी किए बिना तनाव कम नहीं होगा, इसका एहसास भारतीय सेना ने कराया है। साथ ही, पहले हुई चर्चा के दौरान वापसी करने की बात स्वीकार करने के बाद भी भारतीय सैनिकों पर हमला करनेवाले चीन ने भारत का भरोसा खोया है, ऐसा भारत द्वारा इस चर्चा के दौरान जताया गया है। इसी वजह से, इस चर्चा के जारी रहते हुए ही, भारत ने पर्वतीय क्षेत्र में युद्ध करने के लिए विकसित की गई ‘माउंटन ब्रिगेड़’ की तैनाती चीन से सटे सरहदी क्षेत्र में करना शुरू किया है। इसके साथ ही, लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर्स और जमीन से हवा में हमला करनेवाली हवाई सुरक्षा यंत्रणा भी चीन से सटे रहदी क्षेत्र में तैनात की गई है। ऐंसे में अब सेनाप्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे लद्दाख की यात्रा करके यहाँ की सुरक्षा का जायज़ा लेंगे, ऐसी ख़बरें भी प्राप्त हुई हैं।Indian and Chinese military officers

भारत के लेफ्टनंट जनरल हरिंदर सिंग और चीन के लेफ्टनंट जनरल लिन लिउ के बीच सोमवार के दिन ११ घंटों से भी अधिक समय चर्चा हुई। इस चर्चा के दौरान दोनों पक्षों ने पीछे हटने से इन्कार किया होने का समाचार है। लेकिन, भारत ने इस चर्चा के दौरान काफ़ी आक्रामक रवैया दिखाकर, चीन से जुड़ी प्रत्यक्ष नियंत्रण रेखा पर, अप्रैल महीने से पहले थी, वैसी स्थिति स्थापित हों, अन्यथा तनाव कम नहीं होगा यह चेतावनी दी। साथ ही, पीछे हटने की बात स्वीकार करके फिर भारतीय सेना पर हमले करनेवाले चीन की दगाबाज़ी पर कड़ी आलोचना की गई, ऐसी ख़बर है। इस वज़ह से चीन ने भारत का विश्‍वास खोया है और इसके आगे चीन के शब्दों पर भरोसा करने के लिए भारत तैयार नहीं होगा। भारत का भरोसा पाने के लिए चीन को काफी कुछ करना होगा, ऐसी कड़ी चेतावनी भी इस चर्चा के दौरान चीन को दी गयी, ऐसा भारतीय माध्यमों ने कहा है।

चीन के साथ चर्चा शुरू थी कि तभी पर्वतीय क्षेत्र के युद्ध में विशेष तौर पर काबिलियत रखनेवाली ‘माउंटन ब्रिगेड़’ की तैनाती सरहदी क्षेत्र में की गई है। गलवान में हुई मुठभेड़ के बाद चीन ने भारत की सीमा के नज़दिकी इलाके में बड़ी मात्रा में लष्करी तैनाती करके दबाव बनाने की कोशिश की थी। उसी मात्रा में सीमा पर तैनाती करके अब भारत चीन को जवाब दे रहा है। साथ ही, भारत ने लड़ाकू विमान और हवाई सुरक्षा यंत्रणा भी तैनात की है। दोनों देशों ने शुरू की हुई यह तैयारी किसी भी क्षण युद्ध शुरू कर सकती है, ऐसे संकेत प्राप्त हो रहे हैं। इससे पहले भारत का लष्करी सामर्थ्य चीन की तुलना में काफी कम होने के ताने मारनेवाले चीन के सरकारी माध्यमों को भी अब भारत की तैयारी की दखल लेने के लिए मजबूर किया है। दोनों देशों की सेना एक-दूसरे के सामने खड़ी हैं और तभी चीन का आत्मविश्‍वास कम करनेवाली, गलवान वैली में हुए संघर्ष की जानकारी जारी हुई है। इसके अनुसार, चीन के ४० से भी अधिक सैनिक इस संघर्ष में मारे गए और चीन के कर्नल को पकड़कर भारतीय सैनिकों ने अपनी हिरासत में रखा था, यह बात भी सामने आ चुकी हैं। हालाँकि इस चिनी कर्नल की रिहाई की गई हैं, लेकिन इस वज़ह से संघर्ष में भारतीय सैनिक ही हावी हुए थे, यह बात स्पष्ट हुई है। पूरी तैयारी के साथ हमला करनेवाले और संख्या में कई ज्यादा होनेवाले चीन के सैनिकों को धूल चटाने में भारतीय सैनिक पर्याप्त साबित हुए।

चीन के सैनिक वहाँ से भाग जाने के लिए मज़बूर होने की बात भी सामने आई है। भारत से कई ज्यादा संख्या में अपने सैनिक मारे गए हैं, इस बात स्वीकार ना करने के लिए चीन ने, इस संघर्ष में मारे गए सैनिकों का आँकड़ा घोषित नहीं किया है। इस पर चीन के सोशल मीडिया में गुस्सा व्यक्त किया जा रहा है। भारत ने इस संघर्ष में शहीद हुए अपने सैनिकों का सम्मान किया। लेकिन, चीन ने ऐसा नहीं किया है, इस पर चीन के नेटिझन्स् नाराज़गी व्यक्त कर रहे हैं। इसी दौरान चीन की सेना पूरी तरह से अव्यवसायिक और लड़ने की क्षमता ही ना होनेवाली है, ऐसा दावा भारत के पूर्व लष्करी अफसर कर रहे हैं।

भारत के सैनिकों ने गलवान वैली में सिखाया सबक चीन हमेशा याद रखेगा, ऐसा भी भारत के पूर्व लष्करी अफसर बड़े गर्व के साथ कह रहे हैं। इसी बीच, ज़बरदस्त घायल होने के बावजूद भी कर्नल संतोष बाबू अपने सहयोगियों के साथ वहाँ पर लड़ते रहे और उन्होंने वहाँ से पीछे हटने से इन्कार किया। वहीं, चिनी सेना का अधिकारी भारतीय सैनिकों के हाथ पकड़ा गया। इस विरोधाभास से, दोनों देशों की सेनाओं के बीच का फ़र्क स्पष्ट होता है, यह बात भी भारत के पूर्व लष्करी अधिकारी स्पष्ट कर रहे हैं।

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