चीन की सेना पर कम्युनिस्ट पार्टी के निष्ठावानों का नियंत्रण ज़रूरी – राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग

बीजिंग – बढ़ती अस्थिरता और अनिश्चितता की वजह से चीन की राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है और ऐसी स्थिति में चीन के रक्षाबलों पर शासक कम्युनिस्ट पार्टी के निष्ठावान विश्वस्नीय लोगों का नियंत्रण होना चाहिए, ऐसी चेतावनी चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने दी। कुछ वर्ष पहले जिनपिंग ने चीन के रक्षाबलों पर नियंत्रण रखनेवाले ‘सेंट्रल मिलिटरी कमिशन’ के प्रमुखपद की बागड़ोर अपने हाथ में लेकर उस पर अपनी पकड़ अधिक मज़बूत करने की कोशिश की थी। चीन के रक्षाबल में २० लाख सैनिकों का समावेश है और यह विश्व का सबसे बड़ा रक्षाबल माना जाता है।

कम्युनिस्ट पार्टीपिछले दशक में कम्युनिस्ट पार्टी और चीन की सत्ता की बागड़ोर हाथ में लेनेवाले शी जिनपिंग ने पिछले कुछ सालों में लगातार पक्ष, सेना और देश पर अपनी ही पकड़ अधिकाधिक मज़बूत करनेवाले निर्णय किए हैं। साल २०१८ में जिनपिंग ने राष्ट्राध्यक्ष पद के लिए निर्धारित उम्र और समयसीमा की अवधि रद्द की थी। इसके बाद कम्युनिस्ट पार्टी की विचारधारा में ‘शी जिनपिंग थॉट’ के तौर पर अपनी नीति और सोच का समावेश करने के लिए मज़बूर किया था। माओ और शाओपिंग जैसे दिग्गज नेताओं की सूचि में अपना नाम दर्ज कराके जिनपिंग ने पार्टी और देश में अपना स्थान मज़बूत किया था।

कम्युनिस्ट पार्टीलेकिन, यह पकड़ अधिक मज़बूत करने के साथ ही जिनपिंग को शासक पार्टी एवं सेना के एकगुट की चुनौती प्राप्त होने के दावे लगातार सामने आ रहे हैं। कोरोना को काबू करने में असफलता, आर्थिक स्तर पर लग रहे झटके और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चीन के खिलाफ बन रहे गुट यह सबकुछ जिनपिंग के गलित निर्णयों के नतीज़े हैं, ऐसा आरोप पार्टी के पुराने सदस्य एवं पूर्व सेना अधिकारी लगा रहे हैं। जिनपिंग का नेतृत्व बदलने के लिए गतिविधियाँ शुरू होने की खबरें भी प्रसिद्ध हुई थीं।

इस पृष्ठभूमि पर जिनपिंग का सेना पर नियंत्रण रखने के मुद्दे पर बयान ध्यान आकर्षित कर रहा है। जिनपिंग के इस बयान के पीछे सेना जिनपिंग के नेतृत्व पर पूरा विश्वास और एकनिष्ठा दिखाए, यही वास्तविक उद्देश्य है, ऐसा विश्लेषकों का कहना है। चीन में अंदरुनि स्तर पर बढती समस्याओं से निकलने के लिए जिनपिंग युद्ध छेड़ने का मार्ग स्वीकार सकते हैं, ऐसे दावे पश्चिमी विश्लेषकों ने पहले ही किए थे। युद्ध शुरू करके अपेक्षित नतीजा चाहिए तो सेना पर पूरा नियंत्रण ज़रूरी है। इसी वजह से जिनपिंग ने राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा उठाकर सेना में उनसे एकनिष्ठ होनेवालों की नियुक्ति की योजना बनायी है। इसके लिए उचित पृष्ठभूमि तैयार होने के लिए वे पार्टी से निष्ठा रखने का मुद्दा उठा रहे हैं, यह माना जा रहा है।

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