…तो चीन भी सोविएत रशिया जैसे ढह जाएगा – कम्युनिस्ट हुकूमत के सलाहकार का इशारा

बीजिंग – दीर्घकालीन सुरक्षा का विचार किए बगैर देश की प्रत्येक बात राष्ट्रीय सुरक्षा से जोडकर उसके पीछे अंधों की तरह दौडते रहोगे तो चीन भी सोवियत रशिया की तरह ढह जाएगा, ऐसा गंभीर इशारा चीन के वरिष्ठ सलाहकार जिया किन्गुओ ने दिया है। पिछले हफ्ते ही अमेरीका में चीन के भूतपूर्व राजदूत कुई तियान्कि ने ’वूल्फ वॉरियर डिप्लोमसी’ चीन को भारी पडेगी, ऐसे आगाह किया था। इसके बाद तुरंत किन्गुओ का इशारा राष्ट्राध्क्ष शी जिनपिंग के आक्रामक एवं गलत धारणाओं की वजह से चीन के राजनैतिक वर्तुल में निर्माण हुई अस्वस्थता दर्शाती है।

सलाहकारजिया किन्गुओ चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत के सलाहकार मंडल के रूप में कार्यत ’पीपल्स पॉलिटिकल कन्सलटेटिव कॉन्फरन्स’ के ’स्टैंडिंग कमिटी’ के वरिष्ठ सदस्य हैं। अमेरिका के संदर्भ में धारणाओं के विशेषज्ञ के रूप में किन्गुओ जाने जाते हैं और उन्होंने अनेक अंतरराष्ट्रीय अध्ययन मंडलों में रिसर्च फेलो के रूप में कार्य किया है। हाल ही में उन्होंने ’जर्नल ऑफ इन्टरनैशनल सिक्युरिटी स्टडीज़’ नामक द्वैमासिक में विस्तृत लेख लिखा है जिसमें चीन की आक्रामक धारणाओं पर टीका की गई है।

’सुरक्षा के तुलनात्मक स्वरूप की ओर नजरअंदाज करना और अंधों की तरह केवल संपूर्ण राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए दौडते रहने से देश असुरक्षित हो सकता है। देश को ऐसी धारणाओं की जबरदस्त कीमत चुकानी पडेगी और सच्ची सुरक्षा देने की सफलता हासिल नहीं होगी’, ऐसा किन्गुओ ने आगाह किया। संरक्षण पर असीम खर्च करके इससे शस्त्रस्पर्धा शुरु होगी और इसकी वजह से सभी देश असुरक्षित हो जाएंगे, ऐसा दावा भी उन्होंने किया। अपने दावे का समर्थन करते हुए उन्होंने सोवियत युनियन का उदाहरण दिया।

’रशियन संघराज्य ने दीर्घकालीन सुरक्षा को नजरअंदाज करते हुए संरक्षण के लिए भीषण खर्च किया, इसलिए उसका आर्थिक विकास उचित प्रमाण में नहीं हुआ। इसलिए समय के चलते असीम संरक्षण खर्च का प्रावधान करना कठिन होता गया। सामान्य जनता का स्तर नहीं सुधारा गया और इसी लिए हुकूमत को समर्थन नहीं मिला। झटपट लाभ पाने के लिए दीर्घकालीन हितों को नजरअंदाज करनेवाली ऐसी बातों की वजह से अराजकता फैली और सोविएत की तरह हुकूमत ढह जाती’, ऐसा इशारा वरिष्ठ सलाहकार जिया किन्गुओ ने दिया।

किन्गुयो ने अपने लेख में राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग के दौर में चलाई जानेवाले आक्रामक और हुकुमखोर धारणाओं पर तेज़तर्रार शब्दों में ताने कसे हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा का खयाल रखना हो तो देश को अधिकाधिक मित्र और कम से कम शत्रु बनाने चाहिएं, ऐसी सलाह भी उन्होंने दी।

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