चीन को लगे आर्थिक झटकों से वैश्विेक अर्थव्यवस्था का नुकसान होगा – विश्लेषकों का दावा

बीजिंग – चीन की अर्थव्यवस्था को एक के बाद एक लगातार लग रहे झटकों की वजह से कोरोना की महामारी के बाद सामान्य हो रही वैश्‍विक अर्थव्यवस्था को फिर से झटका लगेगा, यह दावा विश्‍लेषकों ने किया है। चीन की सरकारी यंत्रणाओं ने हाल ही में जुलाई के आर्थिक आँकड़े सार्वजनिक किए हैं और औद्योगिक उत्पादन, रिटेल सेल्स, ई-कॉमर्स एवं निवेश क्षेत्र की गति धीमी होने की बात सामने आयी है। चीन के इन आँकड़ों के बाद एशियाई शेअर बाज़ारों में गिरावट देखी गई और कच्चे तेल की कीमतों में भी गिरावट दर्ज़ हुई है। ‘जे पी मॉर्गन’ नामक अंतरराष्ट्रीय वित्त संस्था ने बीते महीने ही यह अनुमान जताया था कि, नई तिमाही के दौरान चीन का विकास दर गिरावट के साथ दो प्रतिशत दर्ज़ हो सकता है।

chinese-economy-1बीते वर्ष कोरोना की महामारी तीव्र होने के दौरान कई प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं को बड़ा झटका लगा था। अमरिकी और यूरोपिय देशों की अर्थव्यवस्थाओं ने भी ऋणात्मक विकास दर दर्ज़ किया था। इसी दौरान सिर्फ चीन ने अपनी अर्थव्यवस्था का विकास दर २ प्रतिशत होने की जानकारी साझा की थी। इस वजह से इस वर्ष चीन की अर्थव्यवस्था का विकासदर अधिक बेहतर होगा, यह अनुमान जताया जा रहा था। लेकिन, हेनान प्रांत में भारी बारिश और ‘डेल्टा वेरियंट’ की नई लहर टकराने की पृष्ठभूमि पर चीन की अर्थव्यवस्था का विकास दर फिर से धिमा होता दिखाई दे रहा है।

दूसरी तिमाही के पहले चरण में ही चीन की गिरावट के संकेत प्राप्त होना शुरू हुआ था। अप्रैल में चीन का औद्योगिक उत्पादन, रिटेल सेल्स एवं कंपनियों के मुनाफे में बड़ी गिरावट होने की जानकारी सामने आयी थी। साथ ही चीनी कंपनियों के कर्ज़ का भुगतान ना करने की मात्रा बढ़ने की बात भी स्पष्ट हुई थी। ‘ब्लूमबर्ग’ ने साझा की हुई जानकारी के अनुसार पहले चार महीनों में चीनी कंपनियों ने १८ अरब डॉलर्स कर्ज़ का भूगतान नहीं किया था। चीन की अर्थव्यवस्था को लग रहे यह झटके आगे भी बरकरार रहने की बात जुलाई के आँकड़ों से सामने आयी है।

जुलाई में रिटेल सेल्स चार प्रतिशत गिरावट के साथ ८.५ प्रतिशत तक जा पहुँचा है। जून के बाद औद्योगिक उत्पादन में एक प्रतिशत गिरावट हुई है। बीते वर्ष की तुलना में निवेश में भी एक प्रतिशत गिरावट दर्ज़ हुई है। ई-कॉमर्स क्षेत्र को भी बड़ा नुकसान पहुँचा है और इसका विकास दर पांच प्रतिशत से भी कम हुआ है। बीते पांच वर्षों में यह दर औसतन २० प्रतिशत से अधिक था। चीन के ‘नैशनल स्टैटिस्टिक्स ब्युरो’ ने इस गिरावट का कारण बताते समय बाढ़ एवं कोरोना की महामारी के साथ बाहरी क्षेत्र में बढ़ रही अनिश्‍चितता का ज़िक्र किया है। इसी के साथ अर्थव्यवस्था की गति अस्थिर एवं असंतुलित रहेगी, यह इशारा भी दिया है।

‘कोरोना के नए संक्रमण की वजह से चीन की अर्थव्यवस्था को लग रहे झटके जारी रहे तो वैश्‍विक अर्थव्यवस्था की गति भी इससे प्रभावित होगी। वैश्‍विक सप्लाई चेन मुश्‍किल में घिर जाएगी और उत्पादनों की माँग कम हो जाएगी’, यह दावा हाँगकाँग स्थित आर्थिक विशेषज्ञ ब्रूस पैंग ने किया। ‘एएनज़ेड बैंकिंग ग्रुप के आर्थिक विशेषज्ञ रेमेंड युंग ने जुलाई के आँकड़े सार्वजनिक करते समय यह इशारा दिया है कि, यह आँकड़े जोरदार गिरावट के संकेत देते हैं और अगस्त में भी चीनी अर्थव्यवस्था की धीमी गति रह सकती है। चीनी हुकूमत की निजी कंपनियों के खिलाफ जारी कार्रवाई भी अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है, यह संकेत भी दिए गए हैं। इस कार्रवाई की वजह से निवेशकों में ड़र का माहौल है और बाज़ार को भी नुकसान पहुँचा होने का इशारा विश्‍लेषकों ने पहले ही दिया है।

चीन की अर्थव्यवस्था को लग हो रहे झटकों की गूँज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुनाई देने की शुरूआत हुई है। चीन के आँकड़े सामने आने के बाद एशिया के शेअर बाज़ारों में गिरावट आई है और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आई है।

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