कोरोना की महामारी को लेकर चीन के माध्यमों ने स्विस वैज्ञानिक के नाम से फैलाया झूठ

वर्णित वैज्ञानिक मौजूद ही ना होने का स्विस दूतावास ने किया स्पष्ट

बीजिंग/बर्न – कोरोना की महामारी के उद्गम की फिर से जाँच करने की भूमिका अमरीका के दबाव से ही अपनाई गई, यह दावा कर रहे चीनी प्रसारमाध्यमों की पोल खुल गई है। चीन के सरकारी माध्यमों ने ‘विल्सन एडवर्डस्‌’ नामक स्विस वैज्ञानिक के बयान का आधार लेकर ‘वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइज़ेशन’ और अमरीका पर यह आरोप लगाए थे। लेकिन, असल में इस नाम का कोई वैज्ञानिक मौजूद ही ना होने की बात स्विस दूतावास ने स्पष्ट की है और चिनी माध्यमों से संबंधित ‘फेक न्यूज’ पीछे लेने का इशारा भी दिया है। इस घटना की वजह से कोरोना की महामारी को लेकर चीन द्वारा झूठ फैलाने की हो रही कोशिश फिर से नाकाम हुई है।

china-media-fake-news-swiss-scientist-1बीते महीने फेसबुक पर ‘विल्सन एडवर्डस्‌’ नामक प्रोफाईल पर ‘बायोलॉजिस्ट’ होने की जानकारी साझा करके कोरोना को लेकर एक पोस्ट प्रसिद्ध की गई थी। इस पोस्ट में ‘डब्ल्यूएचओ’ ने कोरोना के उद्गम की दोबारा जाँच करने के निर्णय पर भूमिका रखी गई थी। इसमें चीन के वुहान लैब की जाँच का प्रस्ताव अमरीका के दबाव के कारण ही स्वीकारा गया था, यह दावा किया गया था। कोरोना की जाँच एक राजनीतिक रणनीति का हिस्सा होने का आरोप भी ‘एडवर्डस्‌’ के इस पोस्ट में लगाया गया था।

कोरोना को लेकर अमरीका पर ही आरोप लगानेवाली इस पोस्ट को चीनी माध्यमों ने तुरंत अहमियत देकर उठाया था। ‘पीपल्स डेली’, ‘ग्लोबल टाईम्स’, ‘शांघाय डेली’, ‘सीजीटीएन’ जैसे माध्यमों ने ‘एडवर्डस्‌’ की इस पोस्ट का आधार लेकर अमरीका और ‘डब्ल्यूएचओ’ पर आरोप लगाना शुरू किया था। साथ ही चीन की  हुकूमत कोरोना के मुद्दे पर हमेशा ही पारदर्शी होने का बयान करके इस मुद्दे पर चीन पर लगाए जा रहे आरोप अंतरराष्ट्रीय साज़िश का हिस्सा होने के दावे किए गए हैं। लेकिन, चीन ने शुरू किया हुआ यह प्रचार यानी ‘फेक न्यूज’ होने की बात कुछ दिनों में ही स्पष्ट हुई।

चीन में स्थित स्विस दूतावास ने 10 अगस्त के दिन ‘ट्विटर’ पर विस्तृत निवेदन जारी किया है। इस निवेदन में ‘विल्सन एडवर्डस्‌’ नामक कोई भी व्यक्ति या वैज्ञानिक स्वित्ज़र्लैण्ड में मौजूद ही ना होने की बात स्पष्ट की गई है। इस वजह से चीनी माध्यम और नेटिज़न्स इससे संबंधित सभी पोस्ट हटाएं, यह इशारा दूतावास ने दिया है। साथ ही इस मामले में माध्यमों को खुलासा देने के लिए भी कहा गया है। स्विस दूतावास का यह निवेदन चीनी माध्यमों के लिए बड़ा झटका साबित हुआ है।

इस निवेदन के बाद चीनी माध्यमों ने इंटरनेट पर प्रसिद्ध किए इस मुद्दे से जुड़े पोस्ट हटाए होने की बात कही जा रही है। लेकिन, इस घटना से कोरोना के मुद्दे पर चीन ने शुरू की झूठ की प्रचार मुहिम का फिर से पर्दाफाश होता दिख रहा है। कोरोना की महामारी शुरू होने के साथ ही इस मुद्दे पर चीन ने हमेशा से ही अपारदर्शी एवं जानकारी छुपाने की नीति अपनाई थी। शुरू में मानवी संक्रमण से इन्कार करनेवाले चीन ने कोरोना का उद्गम हमारे देश में नहीं हुआ है, बल्कि यूरोप एवं अन्य एशियाई देशों से यह महामारी फैली होने का झूठा बयान किया था। इसके बाद चीन ने उनके यहां फैली महामारी का दायरा एवं वैक्सीन के शोधकार्य से संबंधित जानकारी भी छुपाई थी।

वुहान लैब का मुद्दा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठने के बाद चीन ने अमरिका में स्थित लैबस्‌ की जाँच करने की माँग उठाई थी। लेकिन, ऐसे सभी झूठे आरोप एवं दावे करते समय चीन ने इससे संबंधित एक भी सबूत पेश नहीं किया। इस वजह से कोरोना को लेकर चीन द्वारा प्रदान हो रही जानकारी यानी ‘फेक न्यू कैम्पेन’ होने की बात स्पष्ट हुई है। स्विस वैज्ञानिक की यह घटना इसकी स्पष्ट पुष्टी करती है।

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