प्रधानमंत्री मोदी को अमरीका में प्राप्त हुई सफलता से चीन बेचैन

नई दिल्ली – प्रधानमंत्री मोदी के अमरीका दौरे को चीन बड़ी बारिकी से देख रहा हैं। भारत के प्रधानमंत्री का अमरीका में हो रहा बड़ा जोरदार स्वागत अनदेखा नहीं कर सकते। अमरीका भारत को चीन के खिलाफ इस्तेमाल करने का इरादा रखता है, यही इससे स्पष्ट हो रहा हैं, ऐसी प्रतिक्रिया चीन से प्राप्त हो रही हैं। इसके अलावा भारत को मोहरा बनाकर अमरीका चीन की आर्थिक प्रगति रोक नहीं सकेगी, ऐसा दावा भी चीन के नेता कर रहे हैं। लेकिन, अमरीका को ऐसी चेतावनियां दे रहा और भारत को अमरीका से सावधान रहने की सलाह दे रहा चीन दोनों देशों के सहयोग के कारण काफी असुरक्षित महसूस करता दिख रहा है। 

प्रधानमंत्री मोदीभारत और अमरीका के रक्षा सहयोग से अधिक चीन को दोनों देशों के आर्थिक समन्वय की चिंता अधिक सता रही है, यही विश्लेषकों का कहना है। अमरिकी कंपनियों के निवेश करने से ही चीन आर्थिक महाशक्ति बना। अमरिकी कंपनियों ने ही चीन को उत्पादन का वैश्विक केंद्र के तौर पर विकसित किया और चीन विश्व की ‘फैक्टरी’ बना था। लेकिन, यह ‘फैक्टरी’ अब बंद हो रही है। कोरोना की महामारी के बाद उभरे आर्थिक संकट से चीन अभी भी बाहर निकल नहीं सका है। इस वजह से बहुराष्ट्रीय कंपनियां चीन से बाहर हो रही है। इससे चीन की अर्थव्यवस्था, बैंकिंग क्षेत्र में नकारात्मक रुख दिखाई दे रहा है और चीन की गिरावट शुरू होने के दावे आर्थिक विशेषज्ञ कर रहे हैं।

चीन से बाहर निकल रही कंपनियां भारत में पैर जमाने के लिए उत्सुक हैं। एपल कंपनी ने भारत में आईफोन का निर्माण शुरू किया है। अब टेस्ला कंपनी के प्रमुख एलॉन मस्क ने भी प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात करने के बाद भारत में जल्द ही निवेश करने का ऐलान किया। अन्य बहुराष्ट्रीय कंपनियां और जानेमाने निवेशक यही कह रहे है कि, भारत जितनी प्रचंड़ क्षमता और भारत में मौजूद अवसर अन्य किसी भी देश में नहीं हैं। यही बात भारत की प्रगति और चीन के पतन पर मुहर लगा रही है। इस पृष्ठभूमि पर प्रधानमंत्री मोदी के अमरीका दौरे को प्राप्त हो रही सफलता के पीछे अमरीका की चीन विरोधी साज़िश होने के दावे चीनी नेता करने लगे हैं।

प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात करने से एक दिन पहले ही अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष बायडेन ने चीन के राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग तानाशाह होने का आरोप लगाया था। यह बात ध्यान आकर्षित करती है और इससे अमरीका-चीन संबंधों में तनाव होने का मुद्दा फिर से सामने आया है। ऐसी स्थिति में भारत को मोहरा बनाकर अमरीका चीन को आर्थिक स्तर पर परेशान करने का इरादा रखती है, ऐसी चिंता चीन के वरिष्ठ नेता वैंग ई ने जताई। उनकी यह प्रतिक्रिया काफी कुछ बयान करती हैं और चीन को महसूस हो रही असुरक्षितता भी इससे स्पष्ट हुई है।

वैश्विक उत्पादन का केंद्र बनने की क्षमता भारत रखता हैं। अमरीका ने इस मोर्चे पर भारत से सहयोग करने का रणनीतिक निर्णय किया है। इस दौरान बहुराष्ट्रीय कंपनियां भारत में ही अपना उत्पादन शुरू करेंगे। इससे भारत के विशाल बाज़ार का लाभ उठाना इन कंपनियों को अधिक आसान होगा। इसके अलावा भारत चीन से अधिक विश्वासार्ह और जनतांत्रिक देश होने से वैश्विक उत्पादन की सप्लाई चैन भारत में होना विश्व के हित में रहेगा। इस वजह से भारत को चीन से अधिक विश्वासार्ह विकल्प के तौर पर देखा जा रहा हैं। इससे बेचैन हुए चीन ने प्रधानमंत्री मोदी के अमरीका दौरे पर नाराज़गी जताना शुरू किया है और साथ ही अमरीका पर आरोप लगाना शुरू किया है।

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