भारत का विकास चीन की कार्यक्षमता पर निर्भर नहीं रह सकता – विदेश मंत्री एस.जयशंकर

नई दिल्ली – ‘उत्पाद से संबंधित सप्लाई चेन का निर्माण देश में ही करना मुमकिन नहीं हुआ तो भारत महान राष्ट्र नहीं बन सकेगा। भारत का विकास चीन की कार्यक्षमता पर निर्भर नहीं रह सकता’, ऐसा स्पष्ट बयान विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने किया है। ‘मेक इन इंडिया’ की कल्पना सिर्फ आर्थिक या देश के अंदरुनि उत्पाद से संबंधित नहीं है। बल्कि इसकी काफी बड़ी रणनीतिक अहमियत है, इसका अहसास विदेश मंत्री ने उद्योग क्षेत्र को कराया। ‘मेक इन इंडिया ः ७५ इयर्स ऑफ बिझनेस ॲण्ड एंटरप्राईज’ के समारोह में संबोधित करते समय जयशंकर ने यह संदेश दिया। 

भारत का विकासलद्दाख के ‘एलएसी’ पर पिछले तीन सालों से तनाव होने के बावजूद चीन की भारत में हो रही निर्यात काफी बढ़ी हैं। वित्तीय वर्ष २०२१-२२ में भारत-चीन व्यापार लगभग १३६ अरब डॉलर्स तक जा पहुंचा। इसमें भारत को चीन से हो रही निर्यात ११८.५ अरब डॉलर्स हैं। भारतीय उद्योग क्षेत्र के लिए ज़रूरी कच्चा सामान काफी मात्रा में चीन से ही आयात होता है। इस वजह से कोशिश करने के बावजूद भारत को चीन की निर्यात रोकना मुमकिन नहीं हुआ हैं। स्पष्ट ज़िक्र किए बिना विदेश मंत्री जयशंकर इस विषय पर उद्योग क्षेत्र को दो टूक लगाते दिखाई दिए। 

अर्थव्यवस्था खुली करने के एवं जागतिकीकरण के नाम से हम देश के औद्योगिकीकरण का चक्र उल्टा नहीं घुमा सकते। जो देश अपने उत्पादों के लिए सबसिडी देते हैं उन्हें भारत में सहुलियत प्रदान करके अपना बाज़ार हथियाने का अवसर देना यानी आर्थिक स्तर की आत्महत्या ही होगी, ऐसा विदेश मंत्री जयशंकर ने आगाह किया। भारतीय उद्योगक्षेत्र ने उत्पाद से संबंधित सप्लाई चेन देश में ही विकसित करने के लिए पहल करनी होगी। इसके लिए हर स्तर पर कोशिश करनी होगी। यह यकायक मुमकिन नहीं होगा, लेकिन इसे सर्वोच्च प्राथमिकता देना आवश्यक ही हैं, ऐसा विदेश मंत्री ने कहा।

भारत का विकास चीन की कार्यक्षमता पर निर्भर नहीं रह सकता, ऐसा बड़ा अहम बयान विदेश मंत्री जयशंकर ने इस दौरान किया। उत्पाद के लिए आवश्यक कच्चे एवं अन्य सामान के लिए भारत की चीन पर बनी निर्भरता आगे के समय में घातक साबित हो सकती है। इसी वजह से मेक इन इंडिया को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी ही होगी। देश में शुरू उत्पादन यह महज़ आर्थिक या औद्योगिक उत्पादन तक सीमित बात नहीं हैं। बल्कि इसे काफी बड़ी रणनीतिक अहमियत है, इसपर जयशंकर ने ध्यान आकर्षित किया। समय होते ही चीन जैसा मतलबी देश कच्चे सामान की आपूर्ति रोककर भारत की घेराबंदी कर सकता है, यही मुद्दा विदेश मंत्री जयशंकर अलग शब्दों में बयान करके इसपर उद्योग क्षेत्र का ध्यान आकर्षित करते दिख रहे हैं।

कोरोना के दौर में इसका सामना कैसा करना है, इस पर बाहर के देशों से काफी सलाह दी जा रही थी। सौभाग्यवश हमारे यहां किसी ने भी इन सलाहों पर गंभीरता से विचार नहीं किया और इस समस्या का अपने तरीके से हल निकालने के लिए हमने पहल की, ऐसी फटकार भी जयशंकर ने इस दौरान लगाई।

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