पश्चिमी देशों ने किया ‘विक्रांत’ का स्वागत – चीन की बयानबाजी

नई दिल्ली – विश्व को ताकतवर भारत की ज़रूरत है, ऐसा कहकर भारत में नियुक्त रशिया के राजूदत डेनिस अलिपोव ने ‘आईएनएस विक्रांत’ का स्वागत किया। स्वदेशी निर्माण की विमान वाहक युद्धपोत तैयार करने वाले भारत की सफलता पर रशिया को गर्व है, ऐसा कहकर राजदूत अलिपोव ने भारत को शुभकामनाएं दीं। ब्रिटेन के राजदूत एलेक्स एलिस ने ‘आईएनएस विक्रांत’ का नौसेना में समावेश करने के समारोह में उपस्थित होने का अवसर हमें प्राप्त हुआ यह कहकर इस पर संतोष व्यक्त किया। फ्रान्स ने भी इस सफलता के लिए भारत की सराहना की है और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अपने चार्ल्स द गॉल विमान वाहक युद्धपोत के साथ ‘आईएनएस विक्रांत’ भी सफर करेगी, यह दावा किया है।

‘विक्रांत’ का स्वागतरशिया, ब्रिटेन और फ्रान्स तीनों ने ‘आईएनएस विक्रांत’ का स्वागत किया। तथा इस्रायल ने भी भारतीय बांधवों को शुकामनाएं दीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कोची में आयोजित इस समारोह में बोलते हुए विक्रांत के समावेश से भारतीय नौसेना की क्षमता प्रचंड़ मात्रा में बढ़ेगी, यह ऐलान किया था।

इसके अलावा इंडो-पैसिफिक क्षेत्र से होनेवाले खतरों की ओर आज तक नज़रअंदाज़ किया गया था, लेकिन, अब भारत ऐसा नहीं होने देगा और अपनी नौसेना की क्षमता बढ़ाता रहेगा। इसके लिए आवश्यक निधि का प्रावधान किया जाएगा, ऐसी गवाही प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान दी थी। इसका संज्ञान माध्यम और विश्लेषकों ने लिया है।

भारतीय नौसेना के बेड़े में यह दूसरी विमान वाहक युद्धपोत है और यह हिंद महासागर क्षेत्र के अलावा पैसिफिक महासागर के क्षेत्र में चीन की महत्वाकांक्षा को सुरंग लगानेवाली साबित होगी, ऐसे दावे विश्लेषक कर रहे हैं। पिछले दशक से भारत को घेरने के लिए चीन ने ‘स्ट्रींग ऑफ पर्ल्स’ नामक सामरिक योजना बनाई थी। इसके लिए चीन ने भारत के समुद्री क्षेत्र के देशों को इस्तेमाल करके उनके बंदरगाहों पर कब्ज़ा करने की गतिविधियाँ शुरू की थीं। पाकिस्तान का ग्वादर, श्रीलंका का हंबंटोटा, बांगलादेश का चितगौन्ग और म्यांमार का सितवे इन बंदरगाहों पर कब्ज़े करने की कोशिश चीन अब भी कर रहा है। लेकिन, चीन की इस योजना को भारत ने कायमाब नहीं होने दिया।

भारतीय नौसेना ने समय-समय पर अपने सामर्थ्य का चीन को अहसास कराया। भारतीय नौसेना के बेड़े में युद्धपोत, पनडुब्बियों का मावेश हो रहा है और इससे भारत चीन को ज़रूरी संदेश दे रहा है ‘आईएनएस विक्रांत’ का भारतीय नौसेना में समावेश होना भारत के आत्मविश्वास का प्रतीक होने के बात कही जा रही है। इस वजह से चीन के सरकारी माध्यम और सरकारी विश्लेषकों द्वारा इस युद्धपोत पर टिप्पणी करना उम्मीद के अनुसार ही था। भारत की यह युद्धपोत मात्र ४० हज़ार टन भार की है और चीन के युद्धपोत इससे अधिक वज़नदार हैं, ऐसी टिप्पणी चीन के ग्लोबल टाईम्स के पूर्व संपादक ने की है। फिर भी भारत अपने इस युद्धपोत का ढ़िंढ़ोरा पीट रहा है, यह बात चीन को भारत से सीखनी चाहिए, ऐसा ग्लोबल टाईम्स के पूर्व संपादक ने सोशल मीडिया पर कहा है।

इसी बीच ग्लोबल टाईम्स में प्रसिद्ध हुए एक लेख में पश्चिमी देश ‘आईएनएस विक्रांत’ की सराहना कर रहे हैं, इसके द्वारा चीन को सावधान रहने का इशारा दिया गया है। पश्चिमी देशों की इस सराहना के पीछे चीन विरोधी साज़िश है। भारत का सामर्थ्य बढ़ रहा है, यह बात पश्चिमी देश इस अवसर पर आग्रहपूर्वक बयान कर रहे हैं और यह चीन के खोलाफ कार्रवाई करने की पूर्व तैयारी हो सकती है, ऐसी चेतावनी ग्लोबल टाईम्स के इस लेख में दी गई है।

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