‘जीई एरोस्पेस’ और ‘हल’ के समझौते से लड़ाकू विमानों के इंजन का होगा भारत में निर्माण

वॉशिंग्टन – प्रधानमंत्री मोदी के इस अमरीका दौरे में दोनों देशों के बीच हो रहे रक्षा संबंधिक समझौतों पर पूरे विश्व की नज़रे लगी हैं। अमरीका की ‘जीई एरोस्पेस’ और भारत की ‘हिदुस्थान एरोनॉटिक्स लिमिटेड’ (एचएएल) कंपनी ने लड़ाकू विमानों के इंजन का निर्माण करने से संबंधित समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते के साथ ही ‘रिपर ड्रोन’, ‘स्ट्राइकर आर्मर्ड फाइटिंग वेहिकल्स’ और ‘एम७७७ होवित्झर’ के उन्नत संस्करण से संबंधित समझौते पर भी दोनों देश हस्ताक्षर कर सकते हैं, ऐसे संकेत अमरिकी सुत्रों ने दिए हैं। भारत और अमरीका के रक्षा सहयोग को प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा नई ऊंचाई प्रदान करेगा और इससे भारत को बड़ा लाभ होगा, ऐसा दावा भारतीय विश्लेषक कर रहे हैं। साथ ही दोनों देशों के रक्षा सहयोग को लेकर अधिक अहम ऐलान होंगे, यह दावा व्हाईट हाऊस ने किया है।  

‘जीई एरोस्पेस’प्रधानंत्री मोदी का तीन दिनों का अमरीका दौरा भारत और अमरीका के विभिन्न क्षेत्रों का द्विपक्षीय सहयोग अधिक मज़बूत करेगा, यह कहा जा रहा है। इसमें रक्षा एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र का भी समावेश हैं। पिछले दो दशकों में भारत और अमरीका का रक्षा सहयोग बड़ी तेजी से विकसित हो रहा हैं और दोनों देशों ने अरबों डॉलर के रक्षा समझौते भी किए हैं। अमरीका ने वर्ष २०१६ में भारत को ‘मेजर डिफेन्स पार्टनर’ का दर्जा बहाल किया था। इसके बाद दोनों देशों के रक्षा सहयोग की गति अधिक बढ़ी है। वर्ष २०२० तगक इन दो देशों का रक्षा व्यापार २० अरब डॉलर तक पहुंचा था। 

इस पृष्ठभूमि पर प्रधानमंत्री के इस दौरे में हो रहे रक्षा समझौते पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नज़रें लगी हैं। गुरुवार को अमरिकी रक्षा क्षेत्र की प्रमुख कंपनी ’जीई एरोस्पेस’ ने किया ऐलान इसकी शुरूआत बनी है। ‘जीई एरोस्पेस’ और भारत की ‘हिंदुस्थान एरॉनॉटिक्स’ (एचएएल) कंपनी लड़ाकू विमानों के लिए आवश्यक ‘एफ४१४’ इंजन्स का मिलकर निर्माण करेंगे। इससे संबंधित समझौते पर दोनों कंपनियों के हस्ताक्षर हुए हैं, ऐसा अमरिकी कंपनी ने कहा।

भारत के स्वदेशी लड़ाकू ‘तेजस’ विमान के लिए ‘एफ ४१४’ इंजन अहम हैं और इसका भारत में संयुक्त निर्माण किया जाएगा और इसकी प्रौद्योगिकी भी भारत को प्रदानहोगी। इस वजह से यह समझौता भारत और अमरीका के रक्षा सहयोग के लिए काफी अहम समझा जाता है, ऐसा अमरिकी कंपनी ने कहा। लड़ाकू विमानों के इंजन के अलावा अमरीका उन्नत ‘एमक्यू-९ रिपर ड्रोन’, ‘स्ट्राइकर आर्मर्ड फाइटिंग वेहिकल्स’ और ‘एम७७७ होवित्झर’ प्रदान करने के लिए भारत से समझौता करेगी, ऐसे संकेत सुत्रों ने प्रदान किए हैं।

इसी बीच, सेमीकंडक्टर क्षेत्र की अमरिकी कंपनी ‘मायक्रॉन’ ने भारत में ८० करोड़ डॉलर निवेश करने का ऐलान किया है। इसके अलावा ‘यूएस अप्लाईड मटेरिअल्स’ कंपनी ने भारत में नया ‘सेमीकंडक्टर सेंटर’ स्थापित करने का ऐलान किया है। अमरीका ने अंतरिक्ष क्षेत्र के सहयोग के लिए प्रस्तावित किए ‘आर्टेमिस अकॉर्डस्‌‍’ समझौते में भी भारत शामिल होगा, ऐसा व्हाईट हाऊस ने कहा है। 

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