रशिया के लिए हथियारों की आपूर्ति करने की बड़ी कीमत चीन को चुकानी पडेगी – अमरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की चेतावनी

वॉशिंग्टन/बीजिंग/मास्को – ‘रशिया-यूक्रेन युद्ध चीन की समस्या अधिक बढ़ा रहा है। इसके आगे कैसे जाना है, यह निर्णय चीन की हुकूमत को स्वयं लेना पडेगा। चीन ने रशिया को हथियारों की आपूर्ति करने का निर्णय लिया तो उसे इसकी काफी बड़ी किमत चुकानी पड़ेगी। चीन का नेतृत्व ऐसा निर्णय करने से पहले उचित विचार करेगा, ऐसी उम्मीद है’, ऐसी सख्त चेतावनी अमरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने दी। चीन ने अमरीका के इसका प्रत्युत्तर दिया है और हम राजनीतिक हल एवं शांति के लिए कोशिश कर रहे हैं, इसका अहसास कराया है।

हथियारों की आपूर्तिकुछ दिन पहले जर्मनी में आयोजित सुरक्षा परिषद में अमरिकी विदेश मंत्री एंथनी ब्लिंकन ने आने वाले समय में चीन रशिया को घातक हथियारों की आपूर्ति शुरू कर सकता है, ऐसा आरोप लगाया था। इसके बाद अमरीका की गुप्तचर यंत्रणा सीआईए के प्रमुख विल्यम बर्न्स ने भी इसकी पुष्टि की थी। अमरिकी यंत्रणाओं के हाथों में इसकी पुख्ता जानकारी होने का बयान बर्न्स ने किया था। अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ने भी चीन के हथियारों की आपूर्ति का मुद्दा उठाया था। इस पृष्ठभूमि पर अमरिकी सुरक्षा सलाहकार ने चीन को चेतावनी देकर संभावित परिणामों का अहसास कराया है।

चीन ने रशिया-यूक्रेन युद्ध में स्पष्ट तौर पर किसी भी पक्ष नहीं लिया है। लेकिन, चीन गुप्त तरीके से रशिया को भारी मात्रा में सहायता मुहैया करा रहा है, ऐसे दावे पश्चिमी यंत्रणा और माध्यम कर रहे हैं। रशिया-यूक्रेन युद्ध में पश्चिमी देशों ने रशिया पर भारी प्रतिबंध लगाए हैं। चीन द्वारा इन प्रतिबंधों का विरोध करके रशिया के साथ व्यापारी सहयोग और अन्य क्षेत्रों में कारोबार अधिक बढ़ाने की जानकारी सामने आ रही है। इसमें ईंधन आयात का भी समवेश है। चीन द्वारा रशियन ईंधन का आयात विक्रमी स्तर पर पहुंचने की रपट हाल ही में सामने आयी है।

इसके अलावा चीनी कंपनियां रशिया को सेमीकंडक्टर्स, ड्रोन्स, सैटेलाइट फोटो समेत अन्य तकनीकी सहयोग भारी मात्रा में प्रदान कर रहा है। रशिया-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद रशिया और चीन के वरिष्ठ नेताओं ने एवं अधिकारियों ने एक-दूसरे से बहुत मुलाकातें की हैं। यूक्रेन पर हमला करने से पहले भी रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग से चर्चा की थी। नए साल की पृष्ठभूमि पर दो नेताओं की वीडियो कान्फरन्सिंग भी हुई थी। इसमें दोनों देशों के सहयोग को नई उंचाई प्राप्त होने का बयान भी किया गया था।

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