इस्रायल-पैलेस्टिन की समस्या खत्म करने के लिए चीन का तीन सूत्री प्रस्ताव

बीजिंग – वर्ष १९६७ की सरहदों को स्वीकार करके पैलेस्टिन को स्वतंत्र देश के तौर पर स्विकृति प्राप्त हो और पूर्व जेरूसलम को पैलेस्टिन की राजधानी घोषित करें, ऐसा प्रस्ताव चीन ने पेश किया है। इस्रायल और पैलेस्टिन की समस्या खत्म करनेके लिए चीन के राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग का यह प्रस्ताव पैलेस्टिन को खूश करने वाला होगा। लेकिन, इस्रायल इसपर तीखीं प्रतिक्रिया दर्ज़ कर सकता है। इस्रायल ने इस तरह के प्रस्ताव पहले भी ठुकराए हैं।  

इस्रायल-पैलेस्टिनपैलेस्टिन के राष्ट्राध्यक्ष महमूद अब्बास चीन के दौरे पर हैं और बुधवार को उन्होंने राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग से मुलाकात की। पैलेस्टिन चीन का अच्छा मित्र और सहयोगी है, यह कहकर जिनपिंग ने पैलेस्टिन के साथ रणनीतिक भागीदारी का ऐलान किया। पैलेस्टिन को संयुक्त राष्ट्र संघ की पूरी सदस्यता प्राप्त हो, इसके लिए कोशिश करेंगे, यह ऐलान चीन के राष्ट्राध्यक्ष ने किया है। साथ ही विभिन्न अंतरराष्ट्रीय बैठकों में स्वतंत्र पैलेस्टिन का मुद्दा चीन प्रमुखता से उठाएगा, ऐसा राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग ने कहा।

‘पिछले १०० सालों में देखे नहीं होंगे, ऐसे बदलाव पूरा विश्व और खाड़ी देश फिलहाल महसूस कर रहे हैं। इस बदलते माहौल में पैलेस्टिन का सहयोग मज़बूत करने के लिए चीन उत्सुक हैं। साथ ही पैलेस्टिन की समस्या का स्थायी हल देने पर चीन काम कर रहा हैं’, ऐसा दावा जिनपिंग ने किया। इसके बाद चीन के राष्ट्राध्यक्ष ने इस्रायल-पैलेस्टिन शांति वार्ता के लिए तीन सूत्री प्रस्ताव पेश किया। इसमें वर्ष १९६७ की सरहदों को स्वीकृति देकर पैलेस्टिन को स्वतंत्र देश और पूर्व जेरूसलम को पैलेस्टिन की राजधानी घोषित करने के मुद्दों का समावेश हैं।

इसके साथ ही पैलेस्टिन का विकास और मानवीय सहायता बढ़ाएं और इस्रायल पैलेस्टिन विरोधी जारी उकसाने वाली हरकतें करना बंद करें, ऐसी मांग जिनपिंग ने की है। इसके अलावा गाज़ापट्टी की हमास और वेस्ट बैंक के अब्बास के फताह दल की सुलह करने का प्रस्ताव भी चीन के राष्ट्राध्यक्ष ने रखा। जिनपिंग का यह प्रस्ताव पैलेस्टिनी राष्ट्राध्यक्ष एवं अरब देशों को खूश करने के लिए हैं। लेकिन, वर्ष १९६७ की सरहद, जेरूसलम का विभाजन के मुद्दे पर इस्रायल तीखीं प्रतिक्रिया दर्ज़ करेगा, ऐसी उम्मीद हैं। 

इस्रायल-पैलेस्टिनइससे पहले अमरीका के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष बराक ओबामा ने भी इस्रायल के सामने इसी तरह का प्रस्ताव रखा था। इस्रायल ने १९६७ की सीमा का स्वीकार करके द्विराष्ट्रवाद अपनाएं, ऐसा सुझाव ओबामा ने दिया था। इसके बदले में इस्रायल की पुरी सुरक्षा की गारंटी देने का प्रस्ताव ओबामा ने दिया था। लेकिन, १९६७ की स्थिति और मौजूदा स्थिति काफी अलग है, इसका अहसास दिला के इस्रायल ने ओबामा प्रशासन का वह प्रस्ताव ठुकराया था।

इसी बीच पैलेस्टिन का मुद्दा ड़टकर रखने में और इस्रायल पर दबाव बनाने में बायडेन प्रशासन असफल हुआ, ऐसी नाराज़गी पैलेस्टिनी नेता और जनता व्यक्त कर रहे हैं। अब्बास से व्हाईट हाऊस में मुलाकात करने की एवं जेरूसलम में पैलेस्टिन का उच्चायोग शुरू करने के किए वादे पुरे करने में राष्ट्राध्यक्ष बायडेन नाकाम हुए है, ऐसी आलोचना भी हो रही है। ऐसी स्थिति में अरब-इस्लामी देशों के लिए सबसे अहम बने पैलेस्टिन के मसले में हस्तक्षेप करके चीन खाड़ी क्षेत्र में अपना स्थान मज़बूत करने की कोशिश में लगा होने का दावा इस्रायली-अमरिकी विश्लेषक कर रहे हैं।

सौदी अरब और ईरान की सुहल करके चीन ने खाड़ी में अमरीका के प्रभाव को पहले ही बड़ा झटका दिया था। इस वजह से आत्मविश्वास बढ़ने पर चीन ने इस्रायल-पैलेस्टिन मसले का हल निकालने के लिए मध्यस्थता करने का प्रस्ताव दिया था। लेकिन, इस मसले को खत्म करने के लिए चीन ने दिया प्रस्ताव एकतरफा होने की बात स्पष्ट होने से इस मुद्दे पर चीन की कोशिशों को सफलता हासिल होने की संभावना खत्म हुई हैं। लेकिन, इस प्रस्ताव के कारण पैलेस्टिन के साथ अरब-इस्लामी देशों में चीन की ओर झुकाव बढ़ सकता हैं।  

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