पाकिस्तान को प्राप्त रशियन ईंधन भारत से लाया गया था – पाकिस्तानी माध्यमों का दावा

इस्लामाबाद – आखिर में पाकिस्तान की सरकार भारत की तरह रशिया से सहुलियत की कीमत पर ईंधन प्राप्त करने की सफलता हासिल हुई है, ऐसे दावे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने किए थे। इससे पाकिस्तान की जनता को कम कीमत पर ईंधन उपलब्ध होगा, यह दावा प्रधानमंत्री शरीफ ने किया था। पाकिस्तान के माध्यमों ने भी इसे बड़ी अहमियत दी थी। लेकिन, पाकिस्तान को प्राप्त हुए इस रशियन ईंधन पर भारत के गुजरात स्थित रिफायनरी में प्रक्रिया की गई थी। इसके बाद ही इस ईंधन से भरा जहाज गुजरात से यूएई और बाद में कराची बंदरगाह पहुंचा, यह जानकारी सामने आयी है। इसके साथ ही इस ईंधन पर भारत ने प्रति बैरल 17 डॉलर मुनाफा प्राप्त करने की बात स्पष्ट होने पर पाकिस्तान के माध्यम अब अपनी ही सरकार की कड़ी आलोचना कर रहे हैं। 

रशियन ईंधनयूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद अमरीका ने लगाए प्रतिबंधों के कारण रशिया ने भारत को सहुलियत की कीमत पर ईंधन प्रदान करने का प्रस्ताव दिया था। इसका भारत ने पूरा लाभ उठाया और रशिया ही अब भारत को ईंधन की सबसे ज्यादा आपूर्ति करने वाला देश बना है। रशिया से भारत सहुलियत की कीमत पर ईंधन खरीद सकता है, तो फिर पाकिस्तान ऐसा क्यों नहीं करता यह सवाल इस देश के माध्यम और जनता भी करनी लगी थी। पाकिस्तान में ईंधन की कीमत का भारी उछाल होने के बाद यह चर्चा अधिक तीव्र हो रही है। इम्रान खान प्रधानमंत्री थे तब उन्होंने इस मुद्दे पर रशिया से चर्चा भी की थी। लेकिन, इसके बाद थोड़े ही दिनों में इम्रान खान को प्रधानमंत्री पद से हटाया गया।

इसके बाद सरकार की बागड़ोर संभालने वाले प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ की सरकार पर भारत की तरह रशिया से ईंधन खरीद करने के लिए दबाव बढ़ा था। इसके अनुसार उन्होंने बड़ी कोशिश करके रशिया से ईंधन खरीदा। रशियन ईंधन से भरे जहाज रविवार को पाकिस्तान के कराची बंदरगाह पहुंचे। यह बड़ा क्रांतिकारी बदलाव होने का दावा करके प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने इस उपलब्धी पर अपनी ही पीठ थपथपाई थी। लेकिन, इसके कुछ ही दिन बाद इस मामले को लेकर अपना मुंह छुपाने के लिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री मज़बूर हुए हैं। वैश्विक स्तर पर हो रही ईंधन की यातायात पर नज़र रखने वाली फिनले रिचर्डसन नामक कंपनी ने यह जानकारी साझा की है कि, रशियन ईंधन लेकर पाकिस्तान पहुंचे टैंकर पहले गुजरात के बंदरगाह में दाखिल हुए थे। 

गुजरात के वड़िनार रिफायनरी में इस कच्चे तेल पर प्रक्रिया हुई और इसके बाद यही ईंधन भरकर निकले जहाज पहले यूएई पहुंचे और वहां से यह जहाज पाकिस्तान के कराची बंदरगाह में दाखिल हुए। इस जहाज का मालिकाना हक भारतीय कंपनी के हाथों में होने की बात भी स्पष्ट हुई है।

सबसे अहम बात यह है कि, पाकिस्तान पहुंचे इस रशियन ईंधन के कारोबार में भारत ने प्रति बैरल 17 डॉलर कमाए हैं। पाकिस्तानी पत्रकार ने ही यह दावा करके अपनी सरकार की कड़ी आलोचना की। इसके अलावा पाकिस्तान ने यह ईंधन खरीदने के लिए रशिया के साथ चीन के युआन के ज़रिये कारोबार करने के दावे भी किए जा रहे है। इस वजह से पाकिस्तान में फिर से निराशा का माहौल बना है और पाकिस्तान के माध्यम अपनी ही सरकार की कड़ी आलोचना कर रहे हैं। 

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