‘गलवान’ करके चीन ने भारत का विश्वास खोया – राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल

नई दिल्ली – इलेक्ट्रिक वाहनों का निर्माण कर ही चीन की ‘बीवायडी’ ने भारत में १०० करोड़ डॉलर निवेश करना का प्रस्ताव पेश किया था। लेकिन इससे हमारी सुरक्षा को खतरा होने का कारण बताकर भारत ने चीन की इस प्रस्ताव को ठुकराया। इसपर चीन की प्रतिक्रिया सामने आयी है। चीन ने विदेश मंत्री घोषित किए ज्येष्ठ राजनीतिक अधिकारी ‘वैंग यी’ ने भारत और चीन एक-दूसरे के लिए ‘खतरनाक’ नहीं हैं, ऐसा दावा किया। इसपर बोलते हुए भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल ने वैंग यी को यह अहसास कराया कि, ‘गलवान’ की वजह से चीन ने भारत का भरोसा खोया है।

दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में सोमवार को अजित डोवाल और वैंग यी की चर्चा हुई। उससे पहले भारत ने चीन के ‘बीवायडी’ का प्रस्ताव ठुकराया था। भारत में वाहन निर्माण का कारखाना लगाकर १०० अरब डॉलर निवेश करने की तैयारी इस चीनी कंपनी ने दिखाई थी। आगे के समय में भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग काफी बढ़ेगी, ऐसे दावे किए जा रहे हैं। इस वजह से भारतीय बाज़ार का लाभ उठाने की तैयारी बीवायडी ने की थी और इसके लिए भारतीय कंपनियों से सहयोग करने का प्रस्ताव चीन की इस कंपनी ने दिया था। लेकिन, उससे पहले ही चीनी कंपनियों की भारत की सुरक्षा के लिए घातक साबित हो रही हरकतों के मद्देनज़र सरकार ने यह प्रस्ताव ठुकराया। चीन इसका गंभीर संज्ञान लेता दिख रहा है।

सोमवर की चर्चा के दौरान वैंग यी ने यह दावा किया कि, भारत-चीन एक-दूसरें के लिए खतरनाक नहीं हैं। बल्कि, दोनों देश एक-दूसरें से सहयोग कर सकते हैं या अपने स्रोत एक-दूसरें के विरोध में कर सकते हैं। लेकिन, इसका निर्णय दोनों देशों की जनता पर असर करेगा, ऐसा बयान वैन्ग यी ने किया। वैन्ग यी ने पहले भी इस तरह के दावे करके भारत से सहयोग करने की गुहार लगायी थी। चीन ने वैन्ग यी को विदेश मंत्री घोषित किया है। उनके पहले विदेश मंत्री रहे गैन्ग के गायब होने के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वैन्ग यी ही चीन के प्रतिनिधि बनकर उपस्थित रह रहे है। इस वजह से यी ने भारत के सामने सहयोग से संबंधित रखी भूमिका अहमियत रखती है।

लेकिन, भारत से सहयोग की उम्मीद कर रहे चीन ने वर्ष २०२० में लद्दाख के ‘गलवान’ घाटी में हमला करके भारतीय सैनिकों हत्या की थी। अजित डोवल ने इसका स्पष्ट ज़िक्र किए बिना इस विश्वासघात के परिणामों का अहसास वैन्ग यी को कराया। गलवान में हमला करके चीन ने भारत का रणनीतिक भरोसा खोया है, ऐसा इशारा डोवल ने दिया। साथ ही दोनों देशों के बीच जारी अविश्वास और असहयोग खत्म करना है तो इसके लिए पहले सीमा पर शांति और सलोखा स्थापीत करना आवश्यक होगा, ऐसा डोवल ने वैन्ग यी से हुई चर्चा के दौरान स्पष्ट किया।

चीन का सहयोग और सीमा विवाद पर भारत की भूमिका कायम हैं और भारतीय नेताओं ने समय समय पर चीन को इससे अवगत कराया था। जोहान्सबर्ग की चर्चा में भी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने चीन के ‘वैन्ग यी’ को फिर से इसी बात का अहसास कराया है। सीमा पर बना तनाव और द्विपक्षीय सहयोग एक ही समय पर नहीं हो सकता, ऐसा भारत का कहना है। वहीं, चीन सीमा विवाद कायम रखकर भारत से व्यापार और निवेश से संबंधित सहयोग जारी रखने की गुहार लगा रहा है। लेकिन, हमारी सीमा में घुसपैठ करके भारत की के हितसंबंधों को चुनौती दे रहे चीन को आगे से व्यापारी सहुलियत नहीं मिलेगी, ऐसा कड़ा संदेश भारत ने दिया है।

भारत इस भूमिका में बदलाव करें, इस इरादे से चीन ने राजनीतिक स्तर पर कई कोशिशें की है, फिर भी इसे कामयाबी हासिल नहीं हुई है, यह इशारा भारत दे रहा है। क्यों कि, चीन के बयान और हरकतें काफी विरोधी हैं, ऐसा भारत के विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने कुछ दिन पहले ही कहा था।

Leave a Reply

Your email address will not be published.