गलवान के शहीदों के स्मारक का निर्माण करके युद्ध के लिए तैयार भारत ने दी चीन को चेतावनी

नई दिल्ली – गलवान की घाटी में चीन ने किए कायराना हमले में शहीद हुए अपने २० सैनिकों के स्मरण में भारत ने स्मारक का निर्माण किया है। १६ बिहार रेजिमेंट के कर्नल संतोष बाबू और उनके सहयोगियों के स्मरण में निर्माण किया गया यह स्मारक इन शहीदों के शौर्य और चीन ने किए विश्‍वासघात की याद लगातार देता रहेगा। इसके ज़रिये भारत ने चीन को और एक कड़ी चेतावनी दी है और इसके आगे भारत का विश्‍वासघात करने का अवसर चीन को नहीं दिया जाएगा, यह संदेश भी दिया जा रहा है। इसके साथ ही लद्दाख की ‘एलएसी’ पर प्रगत मिसाइलों के साथ भारत के प्रगत टैंक भी युद्ध के लिए तैयार हैं और युद्ध भड़कने पर भारत के टैंकों के सामने चीन के टैंक टिक नहीं पाएंगे, ऐसे दावे भारतीय सेना अधिकारी कर रहे हैं।

स्मारक

लद्दाख में ठंड़ बढ़ने लगी है और ‘एलएसी’ पर तैनात चीनी सैनिकों पर इस ठंड़ का हो रहा असर भी दिखाई देने लगा है। यहां के प्रतिकुल माहौल की आदात ना होनेवाले चीनी सैनिक बीमार पड़ने लगे हैं और उन्हें अस्पताल में दाखिल करने की स्थिति बन रही है। लद्दाख की ‘एलएसी’ पर भारत लंबे समय तक सेना की तैनाती करेगा, इस संभावना पर चीन ने विचार नहीं किया था। लेकिन, गलवान के संघर्ष के बाद गुस्सा हुए भारत ने चीन को झटका देनेवाले प्रत्युत्तर दिए हुए दिखाई दे रहे हैं। ‘एलएसी’ पर बड़ी मात्रा में सेना तैनात करके भारत पर दबाव बढ़ाना संभव होगा और इसका इस्तेमाल करके भारत को झुकाना मुमकिन होगा, इस भ्रम में चीन था। लेकिन अब भारत ने चीन से मुँहतोड़ सेना तैनाती करके उल्टा चीन पर ही दबाव बढाया है। २९-३० अगस्त के दौरान पैन्गॉन्ग त्सो के दक्षिणी ओर स्थित अहम ठिकानों पर कब्जा करके भारतीय सेना ने चीन की घेराबंदी की है।

भारत के खिलाफ़ जारी प्रचार युद्ध में चीन के पक्ष में बड़े जोश के साथ लड़ रहे पाकिस्तानी लष्करी विश्‍लेषक भी लद्दाख की ‘एलएसी’ पर भारत की स्थिति चीन से काफी ज्यादा मज़बूत होने की बात स्वीकारने लगे हैं। खास तौर पर भारत ने ब्रह्मोस, आकाश, निर्भय मिसाइल एवं भीष्म और अर्जुन टैंक के साथ मैकेनाईज़्ड इन्फन्ट्री ‘एलएसी’ पर तैनात करने के बाद चीन की भाषा ही बदल गई है। यहां पर युद्ध भड़कता है तो चीन के टैंक भारत के भीष्म और अर्जुन टैंक के सामने टिक नहीं सकेंगे, यह विश्‍वास भारतीय लष्करी अधिकारी व्यक्त कर रहे हैं। इसी के साथ चीनी सैनिकों का मनोबल कम होने के समाचार भी प्राप्त हो रहे हैं। इससे मौजूदा स्थिति में चीन लद्दाख की ‘एलएसी’ से सम्मानजनक पीछे कैसे हटे, इस सोच में होने की बात दिख रही है।

लद्दाख की ‘एलएसी’ पर तनाव निर्माण होने की स्थिति में भारत, अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया की ‘क्वाड’ की बैठक जापान में जल्द ही हो रही है। इससे चीन काफ़ी बेचैन है और राजनीतिक बातचीत से सीमा विवाद का हल निकालना संभव होगा, यह विश्‍वास भी चीन व्यक्त कर रहा है। साथ ही चीन का सरकारी मुखपत्र ‘ग्लोबल टाईम्स’ अमरीका के विदेशमंत्री माईक पोम्पिओ को चीन के खिलाफ़ मोर्चा बनाने का सपना ना देखे, यह इशारा दे रहा है। भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान चीन के खिलाफ अमरीका निर्माण कर रहे मोर्चे में शामिल ही नहीं हो सकेंगे, क्योंकि, ऐसा करने पर इसकी आर्थिक कीमत इन देशों को चुकानी पड़ सकती है। इससे चीन के विरोध में ‘क्वाड’ का निर्माण करना अमरीका का ‘अरेबियन नाईट्स’ जैसा सपना साबित होगा, यह दावा ग्लोबल टाईम्स ने किया है।

चीन का सरकारी मुखपत्र कितनी भी फिजूल बयानबाज़ी करता रहे, फिर भी ‘क्वाड’ का सहयोग चीन के लिए ड़रावना साबित होने की बात लगातार सामने आ रही है। खास तौर पर अमरीका के रक्षामंत्री मार्क एस्पर ने नाटो की धर्ती पर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के देशों का लष्करी गुट निर्माण करने का ऐलान करने के बाद चीन काफी बौखला गया है। इसका सामरिक दबाव चीन को महसूस हो रहा है और चीन एक ही समय पर कई मोर्चों पर व्यस्त होने की बात चीन का नज़दिकी मित्रदेश पाकिस्तान स्थित चीन समर्थक विश्‍लेषक भी स्वीकार कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में अमरीका और चीन में से एक का चयन करना पडे तो क्या करना होगा, यह सवाल भी यह पाकिस्तानी विश्‍लेषक कर रहे हैं। चीन के लिए चुनौतियां काफी बढ रही हैं और तभी चीन के साथ जारी पाकिस्तान की मित्रता की बड़ी कीमत पाकिस्तान को भी चुकानी पड़ेगी, यह ड़र पाकिस्तान को सताने लगा है, यह संकेत इससे प्राप्त हो रहे हैं।

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