अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का स्थान ऊंचा हुआ है – विदेश मंत्री एस.जयशंकर

नई दिल्ली – अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की ऊंचाई बढ़ रही हैं, यह कहकर विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने संसद के दोनों सदनों में बोलते हुए इसका दाखिला दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमरीका दौरे को प्राप्त हुई बड़ी सफलता विदेश मंत्री ने इस दौरान बयान की। अमरिकी संसद के दोनों सदनों को संबोधित करने का सम्मान प्रधानमंत्री मोदी को दुसरी बार प्राप्त हुआ, यह अनोखी बात है, इसपर भी विदेश मंत्री ने ध्यान आकर्षित किया। साथ ही भारत अब सीर्फ खुद के लिए नहीं, बल्कि अन्य देशों के लिए आवाज़ उठाने वाला एवं शांति, सुरक्षा और समृद्धी के लिए खड़े हो रहे देश के तौर पर उभर रहा हैं, ऐसा विदेश मंत्री ने स्पष्ट किया।

लोकसभा और राज्यसभा में बोलते हुए विदेश मंत्री जयशंकर ने भारत की विदेश नीति को प्राप्त हुई सफलता की जानकारी साझा की। प्रधानमंत्री के अमरीका दौरे से लेकर ‘जी २०’ की अध्यक्षता तक के कई मुद्दे विदेश मंत्री ने अपने भाषण में स्पष्ट किए। वैश्विक स्तर पर भारत को भरोसेमंद भागीदार के रुप में देखा जा रहा हैं और करीबन ७८ देशों ने भारत के साथ विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग करने के लिए समझौते किए हैं। भारत से सहयोग करना विकास, पारदर्शीता, पर्यावरण स्नेही, ताकत प्रदान करने वाला एवं सभी मुद्दों पर गौर करनेवाला होने का अहसास दुनियाभर के देशों को हुआ है। भारत की विदेश नीति जनोन्मुखी और जनता की आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करती है, यह दावा भी विदश मंत्री ने किया।

सूड़ान में शुरू अंदरुनि संघर्ष में फंसे अपने नागरिकों को वहां से सुरक्षित बाहर निकालने के लिए भारत ने विशेष अभियान चलाया था। यूक्रेन में फंसे भारतीय नागरिकों की रिहाई के लिए भारत ने ऑपरेशन गंगा और ऑपरेशन कावेरी चलाया था। इसके ज़रिये सिर्फ भारतीय ही नहीं, बल्कि वहां फसे अन्य देशों के नागरिकों को भी भारत ने सुरक्षित बाहर निकाला था। जिस किसी ने भारत से सहायता मांगी, उन्हें भी भारत ने रिस्पान्स किया और उनके नागरिकों को छुड़ाया। यूक्रेन हो या सूड़ान, भारत अपने नागरिकों को कभी भी बेसहारा नहीं छोड़ता, यही इससे रेखांकित हुआ, ऐसा विदेश मंत्री जयशंकर ने स्पष्ट किया।

देश की स्वतंत्रता का अमृतकाल शुरू हैं और इसी दौरान भारत को ‘जी २०’ की अध्यक्षता प्राप्त हुई हैं। सितंबर महीने में भारत में ‘जी २०’ के प्रमुख परिषद का आयोजन होगा। इसकी अध्यक्षता भारत की विदेश नीति को अधिक बल प्रदान करेगी। इससे आत्मनिर्भर और विकसित भारत के संकल्प क अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उचित स्थान प्राप्त होगा, ऐसा विदेश मंत्री ने कहा।

इसी बीच, भारत की विदेश नीति का प्रभाव अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दिखने लगा हैं और यूक्रेन युद्ध में भारत ने अपनाई तटस्थ भूमिका की सराहना चीन और पाकिस्तान जैसे भारत का द्वेष करने वाले देशों को भी करनी पड़ी थी। इसके अलावा भारत की तरह खाड़ी के प्रमुख देशों ने भी यूक्रेन युद्ध में तटस्थ रहने की नीति अपनाई थी। इसी वजह से भारत अपनी नीति में बदलाव करें और रशिया के विरोध में खड़े  हो, इस इरादे से अमरीका और यूरोपिय देशों ने भारत पर दबाव बनाया था।  फिर भी भारत ने अपनी नीति में कोई भी बदलाव नहीं किया था। इसके साथ ही रशिया से ईंधन खरीद करते हुए भारत ने अपने नागरिकों के हित की प्राथमिकता बनी रहेगी, यह इशारा भी भारत ने विकसित देशों को दिया था। इस वजह से मौजूदा दौर में भारत की विदेश नीति सबसे बेहतर होने की सराहना करने के लिए दुनियाभर के ज्येष्ठ कुटनीतिक विशेषज्ञ भी मज़बूर हुए थे। इनमें अमरीका के ज्येष्ठ कुटनीतिक हेन्री किसिंजर का भी समावेश है।

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