भारत के राजनीतिक नेतृत्व ने लगाई चीन को फटकार

नई दिल्ली – ‘भारत दोस्ती निभानेवाला करनेवाला देश है। लेकिन, यदि किसी ने उकसाया, तो आँख से आँख मिलाकर करारा जवाब कैसे देना है, यह भी भारत जानता है। लद्दाख में शहीद हुए वीर सैनिकों ने देश की अखंड़ता और सार्वभूमता की रक्षा करने के लिए सर्वोच्च बलिदान किया। इसके ज़रिये भारत के वज्र निर्धार की प्रचिति सभी लोगों को हुई होगी’, यह कहकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन को फटकार लगाई है। इसी बीच केंद्रीय गृहमंत्री अमित शहा ने यह विश्‍वास व्यक्त किया है कि कोरोना और चीन इन दोनों मोरचों पर भारत जीत हासिल करेगा। भारतीय नेताओं के ये बयान, भारत ने चीन को लेकर अपनाई भूमिका और भी आक्रामक होने की गवाही दे रहा है।india-china-border

गलवान वैली में चिनी सैनिकों ने यकायक किए हमले को भारतीय सैनिकों ने जोरदार प्रत्युत्तर देने के बाद, यहाँ का सीमा विवाद चीन के लिए प्रतिष्ठा का विषय बना है। इसी वज़ह से चीन अब सीमा पर हज़ारों सैनिकों एवं रक्षा सामान की तैनाती करके भारत को धमकाने की कोशिश कर रहा है। उसी समय, चीन के लष्करी विश्‍लेषक भारत को सबक सिखाने की भाषा करने लगे हैं। गलवान वैली के संघर्ष में हावी हुए भारतीय सैनिकों का मुकाबला करने के लिए सीमा पर तैनात चिनी सैनिकों को मार्शल आर्टस्‌ का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। भारतीय सैनिकों पर हमला करने से पहले भी चिनी सैनिकों को ऐसा ही प्रशिक्षण दिया गया था। लेकिन वह बेकार साबित हुआ।

चीन की सेना भारत को झटका देकर अपना सम्मान दोबारा प्राप्त करें, यह माँग चीन के लष्करी विश्‍लेषक कर रहे हैं। इसके लिए चीन अलग अलग विकल्पों को टटोलता हुआ दिख रहा है। लेकिन, चीन के इन दाँवपेंचों की पूर्वकल्पना रहनेवाले भारतीय सैनिकों से चीन को ऐसा अवसर प्राप्त होने की संभावना नहीं है। इस वज़ह से हताश हुई चीन की सेना, प्रत्यक्ष नियंत्रण रेखा पर बड़ी तैनाती और निर्माण कार्य करके, अपना सामर्थ्य साबित करने की कड़ी कोशिश कर रही है। इस पृष्ठभूमि पर, भारत के प्रधानमंत्री ने सीमा विवाद का सीधे ज़िक्र करके चीन की हरकतों का प्रत्युत्तर देने के लिए भारत हिचकिचाएगा नहीं, यह चेतावनी दी है। आंतर्राष्ट्रीय समुदाय भी, इस सीमा विवाद में भारत के पक्ष में खड़ा हुआ दिख रहा है। उसी में, भारत ने चीन की सीमा पर अपनी वायुसेना को सक्रिय करके, चीन को दिया हुआ गंभीर परिणामों का इशारा सच करने की हिम्मत भारत रखता है, यह चेतावनी भी दी है।

पर्वतीय युद्ध में भारत जैसी क्षमता और कुशलता विश्‍व के अन्य कोई भी देश नही रखता, यह बात स्वयं चीन के विश्‍लेषकों ने ही स्वीकारी थी। वहीं, भारतीय वायुसेना के बेड़े में मौजूद लड़ाकू विमान और भारतीय पायलटों का अनुभव एवं कुशलता का चीन सामना नही कर सकेगा। इस संघर्ष में भारत ही हावी होगा, यह विश्‍वास पश्‍चिमी विश्‍लेषक व्यक्त कर रहे हैं। वहीं, भारत के साथ संघर्ष छेड़कर चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत ने अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार दी है, ऐसा सुर पश्‍चिमी माध्यम अलापने लगे हैं।

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