गलवान संघर्ष के बाद भारत-चीन सीमा पर बना तनाव खत्म – भारत में नियुक्त चीन के राजदूत का दावा

नई दिल्ली – गलवान संघर्ष के बाद भारत और चीन की सीमा पर निर्माण हुआ तनाव खत्म हुआ है, यह दावा भारत में नियुक्त चीन के राजदूत सन वुईडाँग ने किया। साथ ही चीन के लिए काफी संवेदनशील विषय वाले ताइवान और तिब्बत के मसले पर भारत यकीनन उचित भूमिका अपनाएगा, यह विश्वास भी चीनी राजदूत ने व्यक्त किया। लद्दाख के एलएसी पर दोनों देशों के हज़ारों सैनिक अब भी तैनात हैं। इस वजह से कुछ हद तक वहां पर तनाव कम हुआ है, फिर भी इस समस्या का हल नहीं निकला है, ऐसा भारत का कहना है। लेकिन, चीन को ‘एलएसी’ का विवाद खत्म होने का चित्र दिखाने में विशेष रूचि है और भारत में चीनी राजदूत का बयान यही बात रेखांकित करता है।

गलवान के संघर्ष के बाद भारत और चीन की सेनाओं ने एक-दूसरे की गतिविधियों पर जल्द प्रत्युत्तर देने के लिए शुरू की हुई तैयारी अभी रुकी नहीं है। एलएसी स्थिर और शांत है और वहां की स्थिति नियंत्रण में है, यह दावा चीन के राजदूत सन वुईडाँग ने किया। नई दिल्ली में स्थित चीन के दूतावास ने आयोजित किए गए समारोह में राजदूत वुईडाँग बोल रहे थे। यह दावे करते समय चीनी राजदूत ने ताइवान और तिब्बत के मसले पर भारत से अपने देश की उम्मीद सूचक शब्दों में बयान की। ताइवान और तिब्बत चीन के लिए काफी संवेदनशील विषय हैं और इस पर भारत यकीनन उचित भूमिका अपनाएगा, यह विश्वास वुईडाँग ने व्यक्त किया।

इससे पहले चीन ने भारत से ताइवान और तिब्बत को लेकर इस तरह की उम्मीद अधिकृत स्तर पर व्यक्त नहीं की थी। सीमा विवाद का संबंध ताइवान-तिब्बत से जोड़कर चीन के राजदूत भारत को चेतावनी देते रहे हैं। फिलहाल चीन में जारी बड़ी राजनीतिक उथल-पुथल की पृष्ठभूमि पर चीन के राजदूत ने भारत से जतायी उम्मीद ध्यान आकर्षित करती है। चीन के राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग ने राष्ट्रीय चैनल पर अपनी मौजूदगी दिखाकर चीनी जनता को संदेश दिया। हम सुरक्षित हैं और हमारा स्थान भी बरकरार है, ऐसा चित्र जिनपिंग ने इसके ज़रिये चीन की जनता के साथ पूरे विश्व को दिखाया। फिर भी चीन में काफी बड़ी उथल-पुथल होने की संभावना के दावे किए जा रहे हैं। ऐसे दौर में भारत ताइवान एवं तिब्बत के मुद्दे पर चीन के खिलाफ भूमिका ना अपनाए, यह संदेश चीन दे रहा है।

विश्वभर के अन्य प्रमुख देशों की तरह भारत ने भी वन चायना पॉलिसी यानी ताइवान-तिब्बत के साथ हाँगकाँग, मकाव भी चीन का ही हिस्सा होने की बात स्वीकारी है। लेकिन, अमरीका और पश्चिमी देशों ने चीन की वर्चस्ववादी भूमिका का विरोध शुरू किया है और वन चायना पॉलिसी को झटके देनेवाले निर्णय करना शुरू किया है। भारत के अरुणाचल प्रदेश  पर दावा करके चीन ने भारत को उकसाया है। साथ ही भारत की सीमा लगातार अस्थिर रखने की नीति चलाकर चीन अब भारत पर दबाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। गलवान संघर्ष के बाद भारत को चीन की इस विस्तारवादी नीति को प्रत्युत्तर देने पर गंभीरता से सोचना पड़ा। इसी कारण भारत ताइवान और तिब्बत के मुद्दे पर अधिक सक्रीय भूमिका अपना  रहा है।

इसकी गूंज सुनाई पड़ी है और अब चीन एलएसी पर शांति और स्थिरता के बदले में भारत से ताइवान-तिब्बत पर चीन के लिए अनुकूल भूमिका अपनाने के इशारे दे रहा है। इसी कारण चीन पिछले कुछ महीनों से भारत विरोधी भूमिका अपनाना टाल रहा है। इससे पहले भारत की कड़ी आलोचना करनेवाली और सच्चे मायने में अपने देश की भूमिका रखनेवाले चीन का सरकारी अखबार भी भारत को लेकर काफी संयम बरत रहा है।

लेकिन, चीन की भूमिका में यह बदलाव कुछ समय के लिए है और आनेवाले समय में चीन फिर से भारत को उकसाए बिना नहीं रहेगा, इसका अहसास भारत को है। संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकियों पर कार्रवाई करने का प्रस्ताव रोककर चीन ने दर्शाया है कि वह भारत के हित नहीं चाहता। फिलहाल अमरीका का दौरा कर रहे भारतीय विदेशमंत्री जयसंकर ने यही मुद्दा उठाकर सीधे नाम लिए बिना चीन की कड़ी आलोचना भी की थी। साथ ही चीनी राजदूत ने सीमा पर स्थिति नियंत्रण में होने के दावे पर भी जयशंकर का बयान आया है। चीन कर रहे इन दावों पर भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता की प्रतिक्रिया जान लें, ऐसा जयशंकर ने कहा है। अलग शब्दों में चीन के राजदूत के शब्द ज्यों के त्यों स्वीकारे नहीं जा सकते, ऐसा जयशंकर ने अमरिकी माध्यमों से बातचीत करते समय स्पष्ट किया।

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