चीन ने लैटिन अमरीका पर प्रभाव बढ़ाने के लिए किया महत्वाकांक्षी समझौता – परमाणु तकनीक, अंतरिक्ष क्षेत्र एवं ‘५ जी’ के लिए सहयोग होगा

बीजिंग – अमरीका के परंपरागत प्रभावक्षेत्र के रूप में पहचाने जाने वाले लैटिन अमरिकी महाद्विप में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए चीन ने आक्रामक गतिविधियाँ शुरू की हैं। पिछले महीने चीन और लैटिन अमरिकी देशों के ‘सेलैक’ संगठन ने व्यापक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते के माध्यम से चीन लैटिन अमरिकी देशों को परमाणु तकनीक, अंतरिक्ष क्षेत्र, ‘५ जी’ एवं रक्षा संबंधित सहयोग प्रदान करेगा, यह सामने आया है। यह समझौता चीन की लैटिन अमरीका को ‘टेक ओवर’ करने की साज़िश होने का इशारा अमरिकी विश्‍लेषकों ने दिया है।

परमाणु तकनीकपिछले महीने ‘चायना-सेलैक फोरम’ की वर्चुअल बैठक हुई। इस दौरान ‘जॉर्इंट एक्शन प्लैन फॉर को-ऑपरेशन इन की एरियाज्‌’ (२०२२-२४) समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। इस समझौते में चीन ने लैटिन अमरिकी देशों से परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष, ‘५ जी’, नवीनतम प्रोद्योगिकी, ग्रीन टेक एवं रक्षा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने का वादा किया है। लैटिन अमरिकी देशों में परमाणु प्रकल्प का निर्माण करने के अलावा चीन ने ५ जी तंकनीक से जुड़ी बुनियादी सुविधाएं, हरित ऊर्जा प्रकल्प एवं अंतरिक्ष क्षेत्र में बड़ा निवेश करने की तैयारी दर्शायी है।

चीन ने अपने महत्वाकांक्षी ‘बेल्ट ऐण्ड रोड इनिशिएटिव’ के तहत लैटिन अमरिकी देशों में अरबों डॉलर्स का निवेश किया है। पिछले १६ सालों में चीन ने लैटिन अमरिकी देशों को अलग अलग क्षेत्र के प्रकल्पों के लिए लगभग १५० अरब डॉलर्स ऋण देने की जानकारी भी सामने आयी है। ऐसे में पिछले दो दशकों में चीन और लैटिन अमरिकी देशों का व्यापार २५ गुना बढ़ा है। वर्ष २००० में चीन और लैटिन अमरिकी देशों का व्यापार १२ अरब डॉलर्स था और अब यह ३१५ अरब डॉलर्स तक जा पहुँचा है। काफी लैटिन अमरिकी देशों के लिए चीन सबसे बड़ा व्यापारी भागीदार देश है। इससे पहले यह स्थान अमरीका का था।

लैटिन अमरिकी महाद्विप और कैरिबियन द्विप देश अमरीका का बैकयार्ड जाने जाते रहे हैं। वर्ष २००० के बाद अमरिकी प्रशासन ने इस क्षेत्र को कुछ हद तक अनदेखा किया था। चीन ने इसका लाभ उठाया है और बंदरगाह से परमाणु ऊर्जा के सहयोग तक के कई क्षेत्रों में पैर जमाना शुरू किया है। अमरीका के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प के कार्यकाल के दौरान चीन को रोकने की कोशिश की गई थी, लेकिन बाद में सरकार बनानेवाले बायडेन प्रशासन ने चीन की हरकतों को अब तक ज्यादा अहमियत नहीं दी है, ऐसे दावे विश्‍लेषक कर रहे हैं।

लैटिनि अमरीका में चीन की बढ़ती मौजूदगी अमरीका के सुरक्षा संबंधी हितों के लिए खतरा बन सकती है, यह इशारा अमरीका के विदेश विभाग के पूर्व अधिकारी इवान एलिस ने दिया।

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