लैटिन अमरीका में प्रभाव बढ़ाने के लिए चीन की आक्रामक कोशिश

बीजिंग – चीन ने लैटिन अमरीका में प्रचंड़ निवेश शुरू किया है और यही रुख रहा तो अमरीका किसी भी संघर्ष के बिना लैटिन अमरीका को खो देगी, ऐसा इशारा अधिकारी एवं विश्‍लेषक दे रहे हैं। ‘द डायलॉग’ नामक अभ्यासगुट ने जारी किए ‘चायना-लैटिन अमरिका फायनान्स डेटाबेस’ के अनुसार चीन ने बीते दो दशकों में लैटिन अमरीका और कैरिबिअन देशों में लगभग १५० अरब डॉलर्स का निवेश किया है। चीन और लैटिन अमरीका का व्यापार भी बीते दो दशकों के दौरान २५ गुना से अधिक बढ़ने की बात सामने आयी है।

लैटिन अमरीका

अमरीका के विदेशमंत्री मंगलवार से लैटिन अमरीका के दौरे पर हैं। इस पृष्ठभूमि पर लैटिन अमरीका में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुद्दा फिर से उपस्थित हुआ है। कुछ महीने पहले अमरीका ने ‘जी ७’ गुट के साथ ‘बिल्ट बैक बेटर वर्ल्ड’ (बी३डब्ल्यू) उपक्रम का ऐलान किया था। यह उपक्रम चीन के ‘बेल्ट ऐण्ड रोड इनिशिएटिव’ को चुनौती देनेवाला माना जा रहा है। ‘बी३डब्ल्यू’ की पूर्व तैयारी के तौर पर अमरीका ने अपने प्रतिनिधि बीते महीने लैटिन अमरीका भेजे थे। इसके बाद अब विदेशमंत्री ब्लिंकन भी लैटीन अमरीका का दौरा कर रहे हैं।

लैटिन अमरीका

लेकिन, अमरिकी अफसरों के यह दौरे, चीन का बढ़ता हुआ प्रभाव कमजोर करने के लिए काफी ज्यादा उपयुक्त साबित होने की संभावना ना होने का दावा विश्‍लेषक एवं अधिकारी कर रहे हैं। विश्‍लेषक निकोलस सैन्तो ने सरेआम आरोप लगाया है कि, अमरीका ने बीते दशक से लैटिन अमरीका की ओर ज्यादा और उचित ध्यान नहीं दिया है। अमरीका की इस बेपरवाही की वजह से व्यापारी समझौतों के साथ-साथ अन्य सभी विकल्पों से चीन अपना प्रभाव बढ़ा रहा है, यह इशारा भी सैन्तो ने दिया। अमरीका में नियुक्त इक्वेड़ोर के राजदूत इवोन बेकी ने लैटिन अमरीका के लिए हो रही स्पर्धा अमरीका किसी भी तरह का संघर्ष किए बगैर चीन को तोहफे में प्रदान करती दिखाई दे रही है, इन शब्दों में अपनी नाराज़गी व्यक्त की है।

अमरीका के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी थॉमस शैनोन ने चीन द्वारा लैटिन अमरीका और कैरिबियन में जारी गतिविधियाँ अमरीका को चुनौती देने की कोशिश होने का दावा किया। ‘अमरीका चीन का बरांदा होनेवाले ताइवान और करीबी क्षेत्र में लष्करी गतिविधियाँ बढ़ा रही है। आप यदि हमारे पड़ोस में आकर कार्रवाई करते हैं तो हम भी आपके पड़ोस में पहुँचकर प्रत्युत्तर दे सकते हैं, यही दिखाने की चीन की कोशिश है’, ऐसा शैनोन ने कहा।

‘चायना-लैटिन अमरीका फायनान्स डेटाबेस’ के अनुसार चीन और लैटिन अमरीका के बीच फिलहाल ३०० अरब डॉलर्स का व्यापार हो रहा है। चीन इस महाद्विप से बड़ी मात्रा में र्इंधन और खनिजों का आयात कर रहा है। साथ ही आर्थिक सहायता और बुनियादी सुविधाओं में निवेश के बलबूते पर इन देशों में अपनी पकड़ मज़बूत करने की कोशिश कर रहा है। अकेले वेनेजुएला को चीन ने ६० अरब डॉलर्स से अधिक कर्ज़ प्रदान किया है। वेनेजुएला के साथ पराग्वे और इक्वेड़ोर को दिया हुआ कर्ज़ उनकी ‘जीडीपी’ की तुलना में १० प्रतिशत से अधिक है। चिली जैसे देश में चीन ने दो ‘एनर्जी नेटवर्क्स’ पर कब्ज़ा किया है। अर्जेंटिना में चीन ने तीन बड़े ऊर्जा प्रकल्पों का निर्माण कार्य शुरू किया है। इसके अलावा ब्राज़िल के दूसरे क्रमांक के बंदरगाह का मालिकाना हक भी चीन ने प्राप्त किया है।

इसके साथ अलग अलग देशों में जारी अन्य प्रकल्पों के माध्यम से चीन लैटिन अमरीका में अपना प्रभाव बढ़ा रहा है। अमरीका अब अन्य देशों को साथ लेकर इस पर प्रत्युत्तर देने की कोशिश कर रही है, फिर भी खोया हुआ प्रभाव फिर से प्राप्त करना अमरीका के लिए बड़ी चुनौती साबित होगी, यह दावा विश्‍लेषकों ने किया है।

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