चीन ने अमरिकी सिनेटर्स और अधिकारियों पर लगाए प्रतिबंध

बीजिंग/वॉशिंग्टन – चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत उइगरवंशियों पर कर रहे अत्याचारों के विरोध में कड़ी कार्रवाई कर रहीं अमरीका को चीन ने प्रत्युत्तर दिया है। सोमवार के दिन चीन ने अमरीका के वरिष्ठ सिनेटर टेड क्रूझ और मार्को रुबिओ के साथ तीन नेता, एक वरिष्ठ अधिकारी एवं संसद के आयोग के विरोध में प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया है। अमरीका ने झिंजिआंग स्थित वरिष्ठ नेता और सरकारी विभाग पर लगाए प्रतिबंधों पर प्रत्युत्तर के तौर पर यह कार्रवाई करने का बयान चीन के विदेश विभाग की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने किया है।

अमरिकी सिनेटर्स

‘झिंजिआंग में जारी गतिविधियाँ पूरी तरह से चीन का अंदरूनी मुद्दा है। इसमें दखलअंदाज़ी करने का कोई भी अधिकार अमरीका को नहीं है। अमरीका ने इस मुद्दे पर की हुई कार्रवाई आंतर्राष्ट्रीय संबंधों के बुनियादी प्रावधानों का उल्लंघन है। अमरीका ने किए निर्णयों की वजह से चीन-अमरीका संबंधों को जोरदार झटका लगा है। अमरीका ने की हुई कार्रवाई का चीन विरोध कर रहा है और हम इसका स्पष्ट निषेध करते हैं’, इन शब्दों में चीन के विदेश विभाग की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने, अमरीका पर लगाए प्रतिबंधों का समर्थन किया। चीन ने हालाँकि अमरीका को प्रत्युत्तर देने का दावा करके प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया है, लेकिन यह कार्रवाई प्रतिकात्मक होने की प्रतिक्रिया अमरिकी दायरें में व्यक्त हो रही है।

चीन ने लगाए प्रतिबंधों में अमरिकी संसद के वरिष्ठ सिनेटर्स टेड क्रूझ और मार्को रुबिओ का समावेश है। इसके अलावा, अमरिकी संसद के प्रतिनिधि गृह के सदस्य ख्रिस स्मिथ और ‘इंटरनैशनल रिलीजिअस फ्रिडम’ विभाग के लिए नियुक्त किए गए राजदूत सॅम ब्राउनबॅक पर भी प्रतिबंध लगाए गए हैं। अमरिकी संसद का अंग होनेवाले ‘यूएस कांग्रेशनल एक्झिक्युटिव्ह कमिशन ऑन चायना’ को भी इन प्रतिबंधों के ज़रिये लक्ष्य किया गया है। अमरिकी संसद सदस्य एवं अधिकारियों को चीन में प्रवेश करने से प्रतिबंधित किया गया है, यह बात इन प्रतिबंधों का ऐलान करते समय कही गई है। साथ ही, आगे भी कार्रवाई करने की चेतावनी भी दी गयी है।

अमरिकी सिनेटर्स

‘झिंजिआंग के मुद्दे पर अमरीका ने किया गलत निर्णय तुरंत पीछे लिया जायें। चीन के हितसंबंधों को नुकसान पहुँचानेवाले एवं अंदरूनी कारोबार में दखलअंदाज़ी साबित होनेवालीं हरकतें अमरीका इसके आगे ना करें। यदि ऐसा हुआ, तो इसपर चीन ‘जैसे को तैसा’ प्रत्युत्तर देगा’, इन शब्दों में चीन के विदेश विभाग ने चेतावनी दी है। चीन ने प्रतिबंध लगाए हुए तीनों नेता, राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प की रिपब्लिकन पार्टी से जुड़े हैं और चीन के कड़े विरोधी के तौर पर जाने जाते हैं। टेड क्रूझ और मार्को रुबिओ ने चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत को लक्ष्य करनेवाले कई विधेयक अमरिकी संसद में पेश किए थे। सिनेटर रुबिओ ने, अमरीका की सुरक्षा के लिए चीन से काफ़ी बड़ा खतरा है और इसके साथ बने संबंधों पर पुनर्विचार करें, यह चेतावनी भी दी थी।

पिछले हफ़्ते में ही अमरिकी विदेश विभाग ने, उइगरवंशियों पर हो रहें अत्याचारों के विरोध में चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत के विरोध में बड़ी कार्रवाई करने का ऐलान किया था। चीन के जो भी कोई प्रमुख नेता या अधिकारी उइगरों पर कार्रवाई में शामिल हैं, उन्हें लक्ष्य किया गया था। इनमें चीन की शासक कम्युनिस्ट पार्टी के झिंजिआंग प्रांत के प्रमुख ‘शेन क्वांगुओ’ का समावेश है। शेन चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के ताकतवर ‘पॉलिटब्युरो’ के सदस्य हैं। झिंजिआंग में उइगरों पर की गई कार्रवाई का नियंत्रण शेन के हाथ में था। शेन जैसें सर्वोच्च नेता को लक्ष्य किए जाने से, चीन ने अमरिकी नेता और अधिकारियों के विरोध में कार्रवाई करने का निर्णय किया है, ऐसा कहा जा रहा है।

चीन ने पिछले कई वर्षों से झिंजिआंग प्रांत में इस्लामधर्मी उइगरों पर लगातार अत्याचार करना जारी रखा है और आंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी इसकी दखल ली गई है। सन २०१८ में संयुक्त राष्ट्रसंघ की एक रिपोर्ट में, चीन ने ११ लाख उइगरवंशियों को उत्पीड़न केंद्रों में कैद कर रखने की चौकानेवाली पोलखोल की गई थी। इस रिपोर्ट के बाद पश्‍चिमी देशों ने, उइगरों के मुद्दे पर चीन को लक्ष्य करना शुरू किया है और इसके लिए अमरीका ने पहल की है।

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