‘भारत अमरीका और जापान के जाल में ना फसें’ : चीन के सरकारी दैनिक की सलाह

बीजिंग, दि. १३ : चीन को रोकने के लिए अमरीका और जापान भारत का इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहें हैं| इससे अपना सामरिक प्रभाव बढ़ाने का अवसर प्राप्त हुआ है ऐसा भारत को लग रहा है| लेकिन प्रत्यक्ष रुप से यह अवसर नहीं है, बल्कि इन दो देशों द्वारा भारत के लिए बुना गया यह जाल है| एक बार भारत इस जाल में फँस गया, तो फिर भारत जापान और अमरीका के हाथों की कठपुतली बन जायेगा, ऐसा दावा चीन के सरकारी दैनिक ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने किया है| लेकिन भारत को अनौपचारिक स्तर पर से यह सलाह देनेवाला चीन, वास्तव में हिंद महासागर में अपनी ताकद कई गुना बढाकर भारत को चुनौती देते हुए दिखाई दे रहा है|

अमरीका और जापानभारत की विदेशमंत्री सुषमा स्वराज और अमरीका के विदेशमंत्री रेक्स टिलरसन के बीच हाल ही में चर्चा संपन्न हुई है| इसका उदाहरण देकर ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने, अमरीका और जापान भारत को अपने जाल में खींचने की कोशिश कर रहे हैं, ऐसा दावा किया है| हिंद महासागर में चीन की बढ़ती गतिविधियों को रोकने के लिए अमरीका भारत का इस्तेमाल कर रही है| वहीं, जापान प्रशांत महासागर में चीन के प्रभाव को चुनौती देने के लिए भारत की मदद ले रहा है| ये दोनों घटनाएँ यानी अपने सामने चलकर आये सामरिक अवसर हैं, ऐसा भारत को लग रहा है| लेकिन यह अवसर नहीं, बल्कि जाल है, ऐसा दावा ग्लोबल टाईम्स ने किया है|

अपनी सुरक्षा के लिए अमरीका और जापान पर निर्भर रहना भारत के लिए अपमानजनक होगा| इसके बजाय भारत को अपने पड़ोसी देश के साथ और सहयोगपूर्ण नीति अपनाकर चीन पुरस्कृत क्षेत्रिय विकास परियोजना में शामिल होना चाहिए, ऐसा आवाहन ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने किया है| चाहे कुछ भी हो, अमरीका या अन्य कोई देश चीन के उदय को रोक नहीं सकता, ऐसा कहते हुए, भारत अमरीका और जापान की चीनविरोधी व्यूहरचना का हिस्सा बनने से खुद को रोकें, ऐसी सलाह चीन के सरकारी दैनिक ने दी| अब तक भारत ने चीनविरोधी व्यूहरचना का हिस्सा बनकर अमरीका और जापान से सहयोग करने की बात नहीं मानी है| लेकिन इन दोनों देशों के साथ भारत का सामरिक सहयोग बढ़ रहा है और इसका तीसरे देश से कतई संबंध नहीं है, ऐसा खुलासा भारत की ओर से किया जाता है| लेकिन चीन इस संदर्भ में भारत पर विश्‍वास रखने के लिए तैयार नहीं है, ऐसा दिखाई दे रहा है| भारत को इस तरह की सलाह देनेवाले चीन ने, हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के प्रभाव को चुनौती देनेवाले कदम उठाने शुरू किए हैं|

अमरीका और जापानपाकिस्तान के ग्वादर बंदर से लेकर अफ्रीका के जिबौती के अपने नौसेना बेस पर ‘मरिन कॉर्प्स’ की संख्या २० हजार से बढ़ाकर एक लाख तक ले जाने की तैयारी चीन ने की है| चीन की सागरी यातायात को सुरक्षित करने के लिए यह तैनाती की गई होने का दावा चीन द्वारा किया जा रहा है, ऐसी जानकारी ‘साऊथ चायना मॉर्निंग पोस्ट’ इस हाँगकाँग के दैनिक ने दी है| साथ ही, हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की नौसेना की युद्धपोतों और पणडुब्बियों की गतिविधियों को बढ़ाकर चीन इस क्षेत्र के भारत के नैसर्गिक प्रभावक्षेत्र में घुसपैठ करने की कोशिश कर रहा है| इसके लिए चीन पाकिस्तान से लेकर श्रीलंका तक के सभी देशों के साथ सहयोग बढ़ाने के चक्कर में है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.