‘चीन पाकिस्तान को दिवालिया होने से रोकें’ : चीन के सरकारी मुखपत्र की सलाह

बीजिंग, दि. २१: पाकिस्तान कर्ज़ की दलदल में डूबकर दिवालिया ना बनें, इसका खयाल रखें, ऐसी सलाह चीन के मुखपत्र ने अपनी सरकार को दी है| ‘चायना पाकिस्तान इकॉनॉमिक कॉरिडॉर’ (सीपीईसी) के प्रकल्प के लिए चीन पाकिस्तान में लगभग ५१ अरब डॉलर्स का निवेश कर रहा होकर, पाकिस्तान यदि दिवालिया बना, तो उसके नतीजे चीन को बर्दाश्त करने पड़ेंगे, इस बात पर ग़ौर फ़रमाते हुए इस अखबार ने, चीन की सरकार को इस संदर्भ में सावधान रहने की चेतावनी दी| चीन में पाकिस्तानसंदर्भ में ऐसी चिंता जतायी जा रही है, तभी पाकिस्तान के कुछ विशेषज्ज्ञ ऐसी चेतावनी दे रहे हैं कि चीन अपने देश में कर रहे निवेश के कारण पाकिस्तान कर्ज़े के पाश में फँसेगा|

पाकिस्तान कर्ज़ की दलदल में

सीपीईसी’के लिए चीन करीबन ५१ अरब डॉलर्स का निवेश कर रहा है| यह बात दोनो देशों के लिए ‘गेम चेंजर’ यानी आमूलाग्र परिवर्तन करनेवाली साबित हो सकती है, ऐसे इस प्रकल्प के समर्थक कह रहे हैं| लेकिन क्या पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में इतनी बड़ी मात्रा में निवेश का स्वीकार करने की क्षमता है, ऐसा सवाल कुछ विशेषज्ञ उपस्थित कर रहे होकर, उनमें पाकिस्तान के कुछ अर्थविशेषज्ञों का भी समावेश है| चीन के सरकारी मुखपत्र रहनेवाले ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने भी पाकिस्तान के बारे में यही चिंता ज़ाहिर की| पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था अच्छी स्थिति में नहीं है| इस देश का वित्तीय घाटा सन २०१६ में राष्ट्रीय सकल उत्पाद के १५ प्रतिशत से ऊपर गया था| वहीं, विद्यमान आर्थिक साल के पहले छ: महीनों में आर्थिक घाटा २.४ प्रतिशत से बढ़ा है| यह सबसे बड़ी वृद्धि है| यह बढता आर्थिक घाटा पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए घातक साबित हो सकता है| इससे पाकिस्तान का समावेश ‘दिवालिया’ देशों में हो सकता है, इस बात पर ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने ग़ौर फ़रमाया| पाकिस्तान कर्ज़ की दलदल में फ़ँस रहा होकर, कर्ज़ की किश्तें चुकतीं करने के लिए भी पाकिस्तान को नये से कर्ज लेना पड़ेगा, ऐसे दिखाई देता है| ऐसे हालातों में, कर्ज़ चुकाने की पाकिस्तान की क्षमता कम हो रही होकर, इससे आंतर्राष्ट्रीय निवेशकार पाकिस्तान से मुँह फेर लिये बिना नहीं रहेंगे| इन परिस्थितियों में पाकिस्तान दिवालिया ना बनें, इसपर चीन की सरकार ध्यान दें, ऐसी माँग ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने की|

पाकिस्तान यह चीन की ‘वन बेल्ट-वन रोड’ योजना का महत्त्वपूर्ण देश है| ऐसी परिस्थिति में यदि पाकिस्तान दिवालिया बना और चीन का पाकिस्तान में किया निवेश खतरे में आया, तो चीन का भी काफ़ी नुकसान हो सकता है| पाकिस्तान के भ्रष्टाचार, अव्यवस्थापन का भी इस प्रकल्प को बडी मात्रा में झटका लग सकता है| इसी कारण चीन पाकिस्तान की मदद करें और इस समस्या का हल निकालें, ऐसी माँग इस अखबार ने की|

चीन द्वारा यह चिंता जतायी जा रही है, तभी पाकिस्तान के कुछ लोग ‘सीपीईसी’ प्रकल्प पर शक उपस्थित कर रहे हैं| इस प्रकल्प के कारण चीन को खाडी देश और अन्य क्षेत्रों के साथ व्यापार करने में आसानी होगी और मालपरिवहन भी ज़्यादा सस्ता होगा| लेकिन इससे पाकिस्तान को क्या फ़ायदा होगा, ऐसा सवाल पाकिस्तान के विशेषज्ञ पूछ रहे हैं| इतना ही नहीं, बल्कि इस प्रकल्प के तहत शुरू रहनेवाले निर्माणकार्य पर भी चिनी कामगार कार्यरत हैं, इसकी ओर निर्देश करते हुए पाकिस्तान ने, इस प्रकल्प का चीन ही अधिकतर फ़ायदा उठा रहा है, ऐसा इल्ज़ाम लगाया| साथ ही, इस प्रकल्प के लिए इस्तेमाल की जानेवाली ५१ अरब डॉलर्स की निधि में से निश्‍चित निवेश कितना और कर्ज़ कितना, यह बात अभी तक स्पष्ट नहीं हुई है|

इसमें से कर्ज़ की रक़म बड़ी होकर, उसके ब्याजदर भी बढ़े हैं| उसी वक्त, इस प्रकल्प को अमरीका और कुछ खाडी देशों का विरोध होकर, उसकी बड़ी क़ीमत पाकिस्तान को चुकती करनी पड़ रही है, ऐसा दावा भी इस प्रकल्प के विरोधक कर रहे हैं| लेकिन इस प्रकल्प के बदले में चीन द्वारा पाकिस्तान को दिया जा रहा हिस्सा भी इतना बड़ा नहीं है, ऐसा खेद पाकिस्तान के कुछ पत्रकारों द्वारा जताया जा रहा है| साथ ही, पाकिस्तान की सरकार ने भी, यह प्रकल्प शुरू करते हुए देशहित ध्यान में नहीं लिया, ऐसा ऐतराज़ इस प्रकल्प का कड़ा विरोध करनेवालों द्वारा दर्ज़ किया जा रहा है|

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