भारत-चीन राजनीतिक वार्ता का दौर शुरू

बीजिंग, दि. २१: भारत और चीन में राजनीतिक वार्ता का नया दौर शुरू हुआ है| भारत के विदेशसचिव एस. जयशंकर इसके लिये चीन यात्रा पर रवाना हुए थे| इस चर्चा में जयशंकर ने, चीन के साथ संबंध दृढ़ करने के लिए भारत प्रतिबद्ध है’ ऐसा यक़ीन दिलाया| लेकिन पिछले कुछ महिनों से, चीन द्वारा लगातार लिये जा रहे भारतविरोधी निर्णयों के सिलसिले में जयशंकर द्वारा चीन को कड़ा संदेश दिया जा रहा है| ख़ासकर, ‘जैश -ए-मोहम्मद’ इस आतंकवादी संगठन का सरगना मौलाना मसूद अझहर का बचाव करके चीन ने भारत को चोट पहुँचायी है, इस बात का सुस्पष्ट एहसास एस. जयशंकर के द्वारा कराया जा रहा है|

राजनीतिक वार्ता

चीन के प्रतिनिधी यांग जेईची के साथ विदेश सचिव एस. जयशंकर की वार्ता शुरू हुई| इस वार्ता पर भारतीय मीडिया का ध्यान लगा हुआ है| पिछले कुछ महिनों से चीन, भारत के हितसंबंधों की परवाह ना करते हुए फ़ैसलें कर रहा है| इसमें मसूद अझहर का, सुरक्षापरिषद की कार्रवाई से बचाव करने के फ़ैसला शामिल है| तांत्रिक कारण की आड़ में चीन ने अझहर को बचाने का पैंतरा लिया है| अमरीका ने अझहर के खिलाफ रखे प्रस्ताव का भी चीन ने विरोध किया था| इसके बाद, भारत के, ‘एनएसजी’ इस परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में शामिल होने पर भी चीन कड़ा ऐतराज जता रहा है| इस संगठन के अन्य सभी सदस्यदेशों ने भारत की सदस्यता को मंज़ुरी देने की तैयारी दर्शायी थी| इसके बावजूद भी चीन कर रहा विरोध, यह भारतविरोधी भूमिका का ही हिस्सा है, ऐसा दावा किया जा रहा है| इस पर भी एस. जयशंकर चीन के सामने भारत की भूमिका स्पष्ट करेंगे|

चीन और पाकिस्तान में ‘कौरिडोर’ प्रकल्प विकसित हो रहा है| यह प्रकल्प पाकिस्तान के कब्ज़ेवाले इलाके (पीओके) से गुज़र रहा है| यह भारत का संप्रभुत हिस्सा है, ऐसा कहकर भारत ने इस प्रकल्प का कड़ा विरोध किया था| चीन ने इस बारे में हालाँकि भारत की भूमिका को नजरअंदाज किया है, मग़र फिर भी चीन भारत की इस माँग को बहुत समय तक नहीं टाल सकता, यह बात भी इस वार्ता में भारत द्वारा रखी जायेगी, ऐसा कहा जाता है| भारत ने ये सभी मसले चर्चा में रखने की तैयारी पहले से ही करके रखी थी| लेकिन चीन ने भी इस माँग को अस्वीकृत करने की उतनी ही ज़ोरदार तैयारी करके रथी थी| चीन की मीडिया ने ‘भारत के आरोंपों में कुछ भी तथ्य नहीं है’ ऐसा कहा था| साथ ही, चीन के विदेशमंत्रालय ने भी, ‘मसूद अझहर और एनएसजी मामले में चीन नियमों का पालन कर रहा है’ ऐसा दावा किया था| इससे यह दिखायी दे रहा है कि भारत द्वारा उपस्थित किये जानेवाले ऐतराज़ों को चीन द्वारा वही जवाब मिलेगा|

इसी दौरान, विदेशसचिव एस. जयशंकर चीन के विदेशमंत्री वँग ई और उपविदेशमंत्री झांग येसूई से मुलाक़ात करनेवाले हैं| दोने देशों में कुछ विवादास्पद मसलें भले ही उपस्थित हों, लेकिन द्विपक्षीय संबंध अच्छे रखने के लिए भारत प्रतिबद्ध है, ऐसा यक़ीन इस वार्ता के माध्यम से दिलाया जा रहा है| लेकिन भारत की यही भूमिका चीन के भारतविरोधी निर्णयों को और ज़्यादा प्रोत्साहित करनेवाली साबित हो रही है, ऐसा दावा किया जाता है| एक तरफ़ भारत के साथ वार्षिक व्यापार में करीब ५० अरब डॉलर से ज़्यादा कमाई करनेवाले चीन को, भारत के हितसंबंधो को नुकसान पहुँचाने से पहले किसी भी प्रकार का विचार करने की ज़रूरत महसूस नहीं होती, यह विचलित करनेवाली बात है, इसपर भी भारतीय विश्‍लेषक ग़ौर फ़रमा रहे हैं| इसीलिए भारत को इस संदर्भ में रहनेवाली भूमिका अधिक आक्रामक करनी चाहिए, ऐसी विश्‍लेषकों की माँग है|

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