‘ओबीओआर’ को नकारनेवाले भारत पर पछताने की बारी आयेगी’ : चीन के ‘ग्लोबल टाईम्स’ का दावा

बीजिंग, दि. १५ : चीन की योजना रही ‘वन बेल्ट वन रोड’ (ओबीओआर) की परिषद में शामिल होने से भारत ने इन्कार किया था| यह इन्कार चीन को बहुत ही चुभा दिखाई देता है| इसपर, ‘भारत पर पछतावा करने की बारी आयेगी’, ऐसी चेतावनी चीन के सरकारी अखबार ने दी है| आगे चलकर यदि भारत इस प्रकल्प में शामिल हुआ भी, तब भी भारत को उसमें बड़ा स्थान नही मिलेगा, ऐसे चीन के सरकारी अखबार ने ज़ोर देकर कहा है| उसी समय, ‘ओबीओआर’ का महत्त्वपूर्ण चरण माने जानेवाले, चीन और पाकिस्तान के बीच के ‘कॉरिडॉर’ प्रकल्प के खिलाफ पाकिस्तान के कब्ज़ेवाले कश्मीर (पीओके) में ज़ोर से प्रदर्शन शुरू हैं, ऐसी खबर है|

‘ओबीओआर’‘ओबीओआर’ की परिषद को सफल कर दिखाने के लिए चीन की कोशिशें शुरू थीं| दक्षिण एशियाई क्षेत्र के देशों का शामिल होना और रशियन राष्ट्राध्यक्ष पुतिन की मौजूदगी इस परिषद के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण मानी जाती है| लेकिन अमरीका और युरोपीय देशों के राष्ट्राध्यक्ष इस परिषद में मौजूद नहीं थे| भारत इस परिषद में शामिल हों, इसके लिए चीन ने बहुत कोशिशें कीं थीं| लेकिन चीन का यह प्रकल्प भारत के संप्रभुत्व को चुनौती देनेवाला होने के कारण भारत ने इस परिषद की ओर पीठ फ़ेर दी थी|

भारत इस परिषद में शामिल हों इसलिए चीन ने ‘चायना पाकिस्तान इकॉनॉमिक कॉरिडार’ प्रकल्प का नाम तक बदलने की तैयारी दिखायी| लेकिन भारत ने इसपर ध्यान नहीं दिया था| इसके बाद चीन के राष्ट्राध्यक्ष ने इस परिषद में, ‘सभी देशों का संप्रभुत्व इतना ही महत्त्वपूर्ण होता है और उसका आदर हर कोई करें’ ऐसी अपेक्षा जताकर भारत को ताना मारा था| उसके बाद चीन का सरकारी अखबार माने जानेवाले ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने इस परिषद की ओर पीठ फेरनेवाले भारत को धमकियाँ देने की शुरुआत की है| भारत ने इस प्रकल्प में शामिल होने से इन्कार करके खुद को ही क्षति पहुँचायी है| आगे चलकर भारत पर पछताने की बारी आयेगी, ऐसा दावा ग्लोबल टाईम्स ने किया है|

भारत यदि इस प्रकल्प में शामिल नहीं हुआ, तो चीन का कुछ भी बिगड़नेवाला नहीं है| लेकिन इससे भारत का काफी नुकसान होगा, ऐसे ग्लोबल टाईम्स ने आगे कहा है| ‘इस प्रकल्प के बाद चीन की कश्मीरसंबंधित भूमिका में बदलाव नही आयेगा, ऐसा भरोसा दिलाने के बाद भी भारत ने इस प्रकल्प में शामिल होने का विचार नहीं किया, यह अफ़सोस की बात है’ ऐसी आलोचना इस अखबार ने की है| इस दौरान चीन के ‘ओबीओआर’ प्रकल्प का हिस्सा माने जानेवाले ‘सीपीईसी’ के खिलाफ़ पाकिस्तान की और पाकिस्तान के कब्ज़ेवाले कश्मीर (पीओके) की जनता खड़ी हुई है| कुछ ही दिन पहले बलुचिस्तान प्रांत में, इस प्रकल्प पर काम करनेवाले १० कामगार को मार दिया गया था| ‘ओबीओआर’ की परिषद शुरू रहते समय, पीओके के गिलगिट-बाल्टिस्तान में चार जगह प्रदर्शन हुए थे| इनमे राजनीतिक और छात्र संगठन भी शामिल थे|

पाकिस्तान ‘सीपीईसी’ में शामिल होते हुए चीन के समर्थन में न खड़ा रहें| क्योंकि यह प्रकल्प अमरीका को मान्य नहीं है और पाकिस्तान के दोस्त रहे खाडी देश भी इस प्रकल्प के खिलाफ रहेंगे’ ऐसा दावा कुछ पाकिस्तानी विशेषज्ज्ञ कर रहे हैं| साथ ही, अमरीका और भारत मिलकर चीन के इस महत्वाकांक्षी प्रकल्प को अंजाम तक नहीं पहुँचने देंगे, ऐसी आशंका इन विशेषज्ज्ञों ने जतायी है| चीन के कुछ विश्लेषकों ने, चीन पाकिस्तान में कर रहे ४६ अरब डॉलर्स के निवेश पर चिंता जतायी थी| सुरक्षा और बुनियादी सुविधाओं में पिछडा हुआ पाकिस्तान क्या इतने निवेश का स्वीकार कर सकेगा, ऐसा सवाल चिनी विश्लेषकों ने किया था|

इस तरह इस प्रकल्प पर दोनो देशों में चिंता जतायी जा रही है| श्रीलंका के हंबंटोटा बंदरगाह के विकास के लिए चीन ने किये निवेश का फ़ँदा आज श्रीलंका के ही गले में अटका होकर, यह देश अब चीन के जाल में फस गया है, इसका उदाहरण कुछ पाकिस्तानी पत्रकार दे रहे हैं| आगे चलकर चीन का निवेश पाकिस्तान के लिए इसी तरह ख़तरनाक साबित होगा, ऐसा डर इन पत्रकारों द्वारा जताया जा रहा है| वहीं, अमरिकी विशेषज्ज्ञ चीन के इस प्रकल्प की ओर बारिक़ी से नज़र रखे हुए हैं|

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