चीन दुनिया भर के देशों को कर्ज के जाल में फंसा रहा है – अमरिकी दैनिक की रिपोर्ट

वॉशिंग्टन/बीजिंग: श्रीलंका को कर्ज के जाल में फंसाकर चीन ने, भारत की सीमा के सिर्फ कुछ ही मीलों की दूरी पर स्थित सामरिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण जगह पाने में सफलता प्राप्त की है। ऐसा दावा अमरीका के अग्रणी दैनिक ने किया है। पिछले वर्ष के अंत में एक अनुबंध के अनुसार, श्रीलंका की सरकार ने ‘हंबंटोटा’ बंदरगाह और उसके पास की १५ हजार एकड़ जगह चीन को ९९ सालों के लिए दी है। यह घटना मतलब चीन दुनिया के विविध देशों को कर्ज के जाल में फंसाकर अपना स्वार्थ पाने के लिए दबाव डाल रहा है, इसका स्पष्ट उदहारण है, इस बात की तरफ इस रिपोर्ट में ध्यान आकर्षित किया गया है।

अमरिका के ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने हाल ही में श्रीलंका के हंबंटोटा पर चीन के कब्जे के सन्दर्भ में स्वतंत्र लेख प्रसिद्ध किया था। इस लेख में, चीन ने श्रीलंकन अर्थव्यवस्था की कमजोरी का फायदा अपने सामरिक हितसंबंध के लिए किस तरह से करके लिया है, इसका पर्दाफाश किया है। हंबंटोटा बंदरगाह व्यापारी और व्यवहारिक दृष्टिकोण से सफल होने वाला नहीं है, इस वजह से भारत ने उसे वित्तीय सहायता देने से इन्कार किया था। लेकिन श्रीलंका के भूतपूर्व राष्ट्राध्यक्ष महिंदा राजपक्षे ने उसके लिए चीन की तरफ माँग करने के बाद आर्थिक सहायता को तुरंत मंजूरी दी गई।

कर्ज, जाल में फंसा, दुनिया, देशों, अमरिकी दैनिक, रिपोर्ट, चीन, भारतचीन ने इस बंदरगाह को केवल व्यवसायिक कारणों के लिए करने का दावा किया है, लेकिन श्रीलंका के साथ होने वाली चर्चा में सामरिक और निगरानी के लिए होने वाला उपयोग यह मुद्दे थे, ऐसा दावा भूतपूर्व श्रीलंकन अधिकारियों ने किया है। सन २०१७ में हुए अनुबंध में हंबंटोटा कब्जे में लेकर उसके लिए श्रीलंका ने लिया एक अरब कर्ज को माफ़ किया है। लेकिन उसी समय श्रीलंका को दिए अन्य अरबों डॉलर्स के कर्जे का शिकंजा अभी भी कायम है और इस वजह से श्रीलंकन अर्थव्यवस्था पर दबाव आ रहा है, ऐसी बात सामने आ रही है।

चीन सरकार ने हंबंटोटा में निवेश करते समय राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे को प्राथमिकता दी है और आने वाले समय में चीन अपना लष्कर इस इलाके में तैनात कर सकता है, ऐसी चिंता भारत के भूतपूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन ने व्यक्त की है। पिछले वर्ष हुए अनुबंध में चीनी लष्कर की तैनाती के मुद्दे को हटाया गया है, फिर भी आगे जाकर दबाव के बल पर चीन यह बात करने के लिए श्रीलंका को मजबूर करेगा, इस बात की तरफ भी लेख में ध्यान आकर्षित किया गया है।

हंबंटोटा का उदहारण चीन की ‘वन बेल्ट, वन रोड’ इस महत्वाकांक्षी नीति का काला पक्ष रेखांकित करने वाला है। खतरनाक राजवट को विकास परियोजनाओं के लिए निवेश और आर्थिक सहायता देकर आगे उसका रूपांतरण कर्ज के जाल में करने की चाल है, ऐसा दावा अमरिकी दैनिक के लेख में किया गया है। हंबंटोटा में निवेश का इस्तेमाल भी श्रीलंका के भूतपूर्व राष्ट्राध्यक्ष महिंदा राजपक्षे की प्रचार मुहीम के दौरान किया गया था, इसका उल्लेख भी इस लेख में किया गया है।

चीन ने विश्व के विविध देशों को दी हुई अर्थ सहायता मतलब खतरे का संकेत है, ऐसी चेतावनी ‘इंटरनेशनल असेसमेंट एंड स्ट्रेटेजी सेंटर’ इस अमरिकी अभ्यास समूह ने दी थी। चीन पैसों का उपयोग हथियार की तरह कर रहा है, ऐसी चिंता भी अमरिका के ‘नेवी सेक्रेटरी’ रॉबर्ट व्ही. स्पेंसर ने अमरिकी संसद के सामने व्यक्त की थी।

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