वैश्विक समुदाय धार्मिक स्वतंत्रता को सर्वाधिक महत्व दे – अमरिका के उपराष्ट्राध्यक्ष और विदेश मंत्री का आवाहन

वॉशिंग्टन: धार्मिक स्वतंत्रता यह वैश्विक और सबसे महत्वपूर्ण मानवी अधिकार होने का दावा करके वैश्विक समुदाय ने भी इस मुद्दे को सर्वाधिक महत्व देना चाहिए, ऐसा आवाहन अमरिका के वरिष्ठ नेताओं ने किया है। अमरिका में मंगलवार से शुरू हुई ‘मिनिस्टीरियल फॉर इंटरनेशनल रिलिजिअस फ्रीडम’ नाम की परिषद गुरुवार को समाप्त हुई। इस दौरान ८० से अधिक देशों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दे पर ‘पोटोमैक डिक्लरेशन’ की घोषणा की गई।

अमरिका के राष्टाध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प की नेतृत्व में अमरिकी प्रशासन ने धार्मिक स्वतंत्रता को सर्वोच्च प्राधान्य देने का दावा करते हुए उपराष्ट्राध्यक्ष माइक पेन्स ने खाड़ी देश और अन्य इलाकों में इसके लिए बड़े पैमाने पर आर्थिक सहायता का प्रावधान किए जाने की जानकारी दी। इस दौरान उन्होंने खाड़ी देशों के लिए दिए ११ करोड़ डॉलर्स के निधि का उल्लेख किया है। उसके अलावा अमरिका ‘जिनोसाइड रिकवरी एंड पर्सेक्युशन रिस्पोंस प्रोग्राम’ योजना शुरू करने की पेन्स ने घोषणा की है।

वैश्विक समुदाय, धार्मिक स्वतंत्रता, सर्वाधिक महत्व, उपराष्ट्राध्यक्ष, विदेश मंत्री, आवाहन, अमरिका, डोनाल्ड ट्रम्पअमरिका के विदेश मंत्री माईक पॉम्पिओ ने इस परिषद के भूमिका को स्पष्ट करते हुए दावा किया है कि, यह धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दे पर शुरू की जा रही मुहीम की शुरुआत है। धार्मिक स्वतंत्रता को नकारने वाले चीन, ईरान और तुर्की पर जोरदार आलोचना की है। तुर्की की सरकार ने जेल में डाले धर्मगुरुओं का उल्लेख करके उनको छोड़ा नहीं गया तो अमरिका तुर्की के खिलाफ प्रतिबन्ध लगाएगा, ऐसी चेतावनी भी पॉम्पिओ ने दी है।

इस परिषद में ‘पोटोमैक डिक्लरेशन’ नाम के अनुबंध की घोषणा करते समय पॉम्पिओ ने, इसमें से अमरिका की धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दे प्रति निष्ठा और वचनबद्धता दिखाई देती है, ऐसा दावा किया है। उसी समय दुनिया के अन्य देशों की सरकारों ने भी धार्मिक स्वतंत्रता को महत्व देकर उसके लिए विशेष कदम उठाने चाहिए, ऐसा आवाहन किया है।

अमरिका में मंगलवार २४ जुलाई से ‘मिनिस्टीरियल फॉर इंटरनेशनल रिलिजिअस फ्रीडम’ नाम की अंतर्राष्ट्रीय परिषद शुरू हुई थी। राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दे पर आक्रामक भूमिका ली है और यह परिषद उसीका ही एक हिस्सा माना जा रहा है।

कुछ दिनों पहले ही धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दे पर चीन की सत्ताधारी राजवट की तरफ से लागू की जा रही नीति गलत है और यह अमरिका के लिए चिंता का विषय है, ऐसी आलोचना पॉम्पिओ ने की थी। उसके बाद एक साक्षात्कार में, ट्रम्प प्रशासन ने धार्मिक स्वतंत्रता को सर्वोच्च प्राधान्य दिया है और इस मुद्दे पर ख्रिस्त धर्मियों के सर्वोच्च धर्मगुरु पोप फ्रांसिस और कैथलिक चर्च महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं, ऐसा आवाहन भी किया था।

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