भारत-तैवान के बढ़ते सहयोग से चीन हुआ बेचैन

बीजिंग/नई दिल्ली – कोरोना का फैलाव और पड़ोसी देशों के साथ विश्‍व के अलग अलग हिस्सों में जारी विस्तारवादी हरकतों की वजह से अंतराष्ट्रीय स्तर पर चीन के विरोध में असंतोष बढ़ रहा है। इस बढ़ती नाराज़गी से विश्‍व के कई देश चीन के विरोध में एकजुट होकर व्यापक मोर्चा बना रहे हैं और एक-दूसरे का सहयोग बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं। बीते कुछ महीनों में भारत और तैवान की भी नज़दिकीयां बढ़ रही हैं और उनके बीच बढ़ रहे सहयोग की वजह से चीन बड़ा बेचैन होता दिख रहा है। कुछ दिन पहले ही यह वृत्त प्रसिद्ध हुआ था कि, तैवान के साथ भारत व्यापारी चर्चा शुरू करेगा। इस पर चीन ने नाराज़गी व्यक्त करते हुए ‘वन चायना प्रिन्सिपल’ को ध्यान में रखकर भारत उचित भूमिका अपनाए, यह इशारा दिया है।

china-taiwan-indiaजून में गलवान की घाटी में हुए संघर्ष के बाद भारत-चीन सीमा पर काफी तनाव बना है और युद्ध की स्थिति भी निर्माण हुई है। इसी बीच चीन ने तैवान के करीबी क्षेत्र में भी बड़ी मात्रा में लष्करी तैनाती की है और लगातार हमले की धमकियां दी जा रही हैं। चीन की इन आक्रामक गतिविधियों की पृष्ठभूमि पर भारत और तैवान दोनों देशों ने चीन पर बनी निर्भरता कम करने के लिए जोरदार गतिविधियां शुरू की हैं। इसी के हिस्से के तौर पर तैवान की सरकार ने नई नीति का ऐलान किया है और इसमें भारत का स्थान अहम होने का बयान तैवान के नेता ने किया है। साथ ही, दूसरी ओर भारत ने तैवान की कंपनियों का स्वागत करने की भूमिका स्वीकारी है और व्यापारी चर्चा करने की तैयारी भी शुरू होने के संकेत दिए हैं। कुछ दिन पहले तैवान के ‘राष्ट्रीय दिवस’ के अवसर पर भारत से जोरदार समर्थन प्राप्त हुआ था।

एक के बाद एक घट रही इन घटानों से चीन काफी बेचैन हुआ है और भारत एवं तैवान की बढ़ती नज़दीकियां चीन को परेशान करती हुई दिख रही हैं। मंगलवार के दिन चीन के विदेश विभाग के प्रवक्ता ने भारत-तैवान मुद्दे पर बोलते समय वन चायना प्रिन्सिपल की याद दिलाना उसी का हिस्सा दिखता है। चीन एक ही है और तैवान चीन का अभिन्न अंग है। किसी भी देश ने तैवान के साथ राजनीतिक संबंध स्थापित करने पर चीन का स्पष्ट विरोध है। किसी भी देश ने तैवान से अधिकृत व्यवहार शुरू करना और किसी भी तरह का समझौता करना चीन बर्दाश्‍त नहीं करेगा, यह इशारा चीन के प्रवक्ता झाओ लिजिअन ने दिया है। ‘वन चायना प्रिन्सिपल’ अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने मंजूर किया है और भारत भी इसका हिस्सा होने की ओर चीन के प्रवक्ता ने ध्यान आकर्षित किया। तैवान का मुद्दा होश रखकर उचित तरीके से भारत संभाले, यह सलाह भी लिजिअन ने दी।

china-taiwan-indiaइस दौरान चीन ने भारत में स्थित तिब्बत के ‘गवर्नमेंट इन एक्झाईल’ के प्रमुख एवं अमरिकी राजदूत की हुई मुलाकात पर भी आलोचना की। भारत में स्थित तिब्बती नागरिकों की सरकार एक अलगाववादी सियासी संगठन है और तिब्बत की आज़ादी के झूठे सपने के पीछे भाग रही है। चीन के संविधान के विरोध में बने इस गुट को किसी ने मंजूरी नहीं दी है। तिब्बत से संबंधित गतिविधियां चीन के अंदरुनि कारोबार का हिस्सा हैं, यह बात चीन के प्रवक्ता ने स्पष्ट की। अमरीका ने वरिष्ठ राजनीतिक अधिकारी रॉबर्ट डेस्रो की तिब्बत के लिए बतौर विशेष समन्वयक नियुक्ती की है। उन्होंने हाल ही में भारत में स्थित तिब्बतीयों के ‘गवर्नमेंट इन एक्झाईल’ के प्रमुख लॉब्संग संगे से मुलाकात की थी।

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