तिब्बत में ‘लाईव फायरिंग’ का युद्धाभ्यास करके चीन ने भारत को उकसाया

नई दिल्ली – प्रत्यक्ष नियंत्रण रेखा पर तनाव अधिक बढ़ाना नहीं है, यह बात स्वीकार कर रहे चीन ने भारत के साथ बना तनाव कम करने के बजाय तनाव बढ़ानेवाली गतिविधियां शुरू की हैं। इसके तहत चीनी सेना ने तिब्बत में ‘लाईव फायरिंग’ का युद्धाभ्यास शुरू किया है। इसके फोटो और वीडियो प्रसिद्ध करके चीन भारत को इशारा दे रहा है, ऐसी चेतावनी भारतीय समाचार चैनलों ने दी है। लेकिन, यह युद्धाभ्यास तय था, यह बात स्पष्ट करके चीन के रक्षा मंत्रालय ने इस पर स्थिति को संभालने की कोशिश की है।

ब्रिगेडियर स्तर की चर्चा के दौरान चीन ने लद्दाख की प्रत्यक्ष नियंत्रण रेखा पर अधिक सैनिक तैनात नहीं करेंगे, यह बात स्वीकार की थी। लेकिन, भारत ने चीन पर बिल्कुल भरोसा ना करें, भारत को असावधान रखकर चीन लद्दाख के क्षेत्र में लष्करी आक्रामकता दिखाए बिना नहीं रहेगा, ऐसा इशारा पूर्व लष्करी अधिरी एवं सामरिक विश्‍लेषक दे रहे हैं। गलवान का संघर्ष और इसके बाद के दिनों में भारतीय सैनिकों ने प्रत्यक्ष नियंत्रण रेखा पर वर्चस्व स्थापित किया था। चीन की आक्रामकता को भारत जोरदार प्रत्युत्तर दे रहा है, यह बात स्वीकार करके अमरीकी सांसदों ने भारत की सराहना की है।

अमरीका, जापान, ऑस्ट्रेलिया एवं आग्नेय एशियाई देशों के साथ चीन का विवाद चरम सीमा पर पहुँचा है, लेकिन, प्रत्यक्ष संघर्ष में चीन के सैनिकों को ढ़ेर करके भारतीय सेना ने शौर्य दिखाया है और हम चीन के लष्करी सामर्थ्य की परवाह नहीं करते, यह बात पूरे विश्‍व को दिखाई है। भारत ने अपनाए इस कड़े रवैये की गूँज पूरे विश्‍व में उठने लगी है और चीन के खिलाफ़ स्वर अधिक तीव्र हो रहा है। इसी बीच चीनी ऐप्स पर पाबंदी एवं चीन से हो रही आयात रोकने के पुख्ता निर्णय करके भारत की सरकार ने चीन को प्रत्यक्ष नियंत्रण रेखा पर की हुई फिज़ूल हरकत की बड़ी किमत चुकाने के लिए मज़बूर किया है।

भारत की इस सख्त भूमिका का अनुकरण करना अन्य देशों ने भी शुरू किया है। इस वजह से भारत ने ड़टकर अपनाई हुई इस भूमिका की गूँज चीन की अंदरुनि राजनीति में उठती हुई भी दिख रही है। राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग ने भारत को लेकर अपनाई नीति पर चीन की शासक कम्युनिस्ट पार्टी में बड़ी नाराज़गी व्यक्त की जा रही है। आरम्भिक दिनों में अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया इन ‘क्वाड़’ सदस्य देशों के साथ सहयोग करके चीन के खिलाफ़ सीधे आक्रामक भूमिका अपनाने के लिए भारत को काफी सोचना पड़ा था। लेकिन, सीमा पर संघर्ष शुरू करके चीन ने इसी ‘क्वाड़’ के सहयोग में शामिल होने के मुद्दे पर भारत ने किए निर्णय को और भी मज़बूती दी है। प्रत्यक्ष नियंत्रण रेखा पर भारत का चीन के साथ संघर्ष हो रहा है तभी ऑस्ट्रेलिया और जापान ने भारत के साथ रक्षा समझौता करके चीन को झटका दिया। अगले दिनों में यही सहयोग अपने खिलाफ़ निर्णायक साबित होगा, इस बात का अहसास चीन को है। इस पृष्ठभूमि पर चीन प्रत्यक्ष नियंत्रण रेखा पर हावी होकर भारत को शिकस्त देने का संदेश पूरे विश्‍व को देना चाहता है। इसके लिए चीन अवसर की प्रतिक्षा में है, यह बात भारत को कभी भी भूलनी नहीं चाहिए, यह बात पूर्व लष्करी और राजनयिक अधिकारी भी काफ़ी जोर देकर कह रहे हैं।

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