चीन के साथ बढ़ रहे तनाव की पृष्ठभूमि पर तैवान की नीति में भारत का स्थान अहम – व्यापारी चर्चा के लिए भारत के संकेत

तैपेई/नई दिल्ली – चीन हमला करने की धमकियां दे रहा है तभी तैवान ने भारत जैसे जनतांत्रिक देश के साथ संबंध मज़बूत करने के लिए तेज़ कदम उठाए हैं। तैवान ने चीन पर बनी निर्भरता और इसके खतरे को रोकने के लिए नई नीति का ऐलान किया है और इसमें भारत को अहम स्थान देने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं। तैवान के वरिष्ठ नेता ने इससे संबंधित बयान किए हैं और इस पर भारत की भी सकारात्मक प्रतिक्रिया प्राप्त होने की बात सामने आयी है। तैवान के साथ व्यापारी समझौते के लिए भारत ने तैयारी शुरू की है, यह वृत्त माध्यमों ने प्रसिद्ध किया है। कुछ दिन पहले तैवान के राष्ट्रीय दिवस पर भारत से प्राप्त हुए समर्थन पर चीन ने धमकाने की कोशिश की थी। इस पृष्ठभूमि पर भारत और तैवान दोनों ने शुरू की हुई गतिविधियां ध्यान आकर्षित करनेवाली साबित होती हैं।

india_taiwanतैवान के विदेशमंत्री जोसेफ वु एवं उप-विदेशमंत्री तिएन चुंग क्वांग ने हाल ही में दिए साक्षात्कार के दौरान न्यू साउथबाऊंड पॉलिसी में भारत का विशेष स्थान रेखांकित किया। विदेशमंत्री जोसेफ वु ने भारतीय समाचार चैनल को दिए साक्षात्कार में क्वाड का ज़िक्र करके भारत जैसे जनतांत्रिक एवं समविचारी देश के साथ संबंध अधिक मज़बूत करने के लिए कोशिश शुरू होने की बात कही थी। तैवानी उद्योगों के लिए भारत काफी उचित स्थान है। भौगोलिक नज़रिये से भी भारत का स्थान बड़ा अहम है, बड़ी मात्रा में उपलब्ध मनुष्यबल एवं जनतंत्र की व्यवस्था के घटक भी निर्णायक साबित होते हैं। भारत में बदलाव की हवा बह रही है। कोरोना की महामारी की पृष्ठभूमि पर चीन की तुलना में तैवान ने किए काम का भारत में अच्छी तरह से संज्ञान लिया गया है, इन शब्दों में उप-विदेशमंत्री तिएन चुंग क्वांग ने भारत की सराहना की। उप-विदेशमंत्री तिएन चुंग क्वांग ने इससे पहले भारत में तैवान के राजदूत की ज़िम्मेदारी संभाली है और इस वजह से उनका बयान अहमियत रखता है।

भारत में नियुक्त तैवान के नए राजदूत बाउशुआन गेर ने भी नज़दिकी दिनों में भारत और तैवान इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में मज़बूत साझेदार देश के तौर पर सामने आएंगे, यह भरोसा व्यक्त किया। भारत और तैवान दोनों नैसर्गिक एवं विश्‍वासार्ह सहयोगी देश होने का दावा भी उन्होंने किया। तैवानी नेता एवं अधिकारियों से भारत को लेकर हो रहे बयानों की पृष्ठभूमि पर भारत ने भी सकारात्मक प्रतिक्रिया देने के संकेत दिए हैं। भारत के राजनीतिक दायरे में तैवान के साथ व्यापारी समझौता करने की दिशा में गतिविधियां जारी होने का वृत्त कुछ माध्यमों ने दिया है।

china-taiwanचार महीने पहले गलवान की घाटी में चीन के विरोध में हुए संघर्ष के बाद भारतीय दायरे में गतिविधियां तेज़ हुई हैं। इस संघर्ष के बाद भारत ने चीन पर बनी व्यापारी निर्भरता कम करने दी दिशा में कदम उठाए हैं। इसमें चीनी कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने के साथ ही चीन से हो रहे आयात पर लगाए गए प्रतिबंधों का भी समावेश है। चीन का प्रभाव रोकने की कोशिशों के हिस्से के तौर पर भारत ने तैवानी कंपनियों को अहम क्षेत्र में प्रवेश देना भी शुरू किया है। फिलहाल तैवानी कंपनियों ने भारत में किया निवेश २.३ अरब डॉलर्स से अधिक हुआ है और द्विपक्षीय व्यापार ७.२ अरब डॉलर्स हुआ है।

भारत ने तैवान के साथ व्यापारी समझौता करने के लिए चर्चा शुरू करने पर तैवान के लिए यह बड़ी राजनीतिक जीत साबित होगी, यह दावा सूत्रों ने किया है। कुछ सप्ताह पहले अमरीका ने भी तैवान के साथ व्यापारी समझौते से संबंधित चर्चा शुरू करने के संकेत दिए थे। इसके बाद अमरीका के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ शिष्टमंडल ने तैवान का दौरा भी किया था।

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