रशिया, चीन और ईरान तालिबान की हुकूमत को स्वीकृति देने की तैयारी में

तालिबान की हुकूमतमास्को/बीजिंग/काबुल – तालिबान ने अफ़गानिस्तान पर कब्ज़ा करने के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने तीव्र चिंता जताई हैं और तभी रशिया, चीन और ईरान ने तालिबानी हुकूमत को स्वीकृति देने के संकेत दिए हैं। रशियन अफ़सरों ने तालिबान के संपर्क में होने का दावा करके मंगलवार के दिन रशियन राजदूत तालिबान से मुलाकात करेंगे, यह ऐलान भी किया। चीन ने तालिबानी हुकूमत के साथ मित्रता के संबंध रखने की तैयारी जताई है। इसी बीच ईरान के राष्ट्राध्यक्ष इब्राहिम रईसी ने अमरीका की हार का ज़िक्र करके अब अफ़गानिस्तान की शांति के लिए अवसर उपलब्ध हुआ है, ऐसा अपने बयान में कहा है।

तालिबान की हुकूमततालिबान के सदस्यों ने सोमवार से राजधानी काबुल के साथ करीबी इलाकों में सशस्त्र गश्‍त करने की बात भी सामने आयी है। तालिबानी हुकूमत के ड़र से कई अफ़गान एवं विदेशी नागरिक बाहर निकलने की कड़ी कोशिश कर रहे हैं। तालिबान की हुकूमत पर अविश्‍वास ही इसका प्रमुख कारण समझा जा रहा है। इस पृष्ठभूमि पर संयुक्त राष्ट्र संगठन एवं पश्‍चिमी देशों ने तालिबान के खिलाफ कार्रवाई के संकेत दिए हैं। लेकिन, दूसरी ओर रशिया, चीन और ईरान ने अफ़गानिस्तान की तालिबानी हुकूमत को स्वीकृति देने की तैयारी शुरू की है।

रविवार के दिन अन्य देश अपने दूतावास की सुरक्षा का ध्यान रखने के साथ इसे बंद करने की कड़ी कोशिश करने में जुटे होने की स्थिति में रशियन दूतावास आम पद्धति से कार्यरत था, यह जानकारी भी सामने आयी है। रशिया का दूतावास तालिबानी हुकूमत के प्रतिनिधियों से संपर्क बनाए रखने की जानकारी रशिया के विशेष दूत ज़ामिर काबुलोव ने प्रदान की।

तालिबान की हुकूमततालिबान का सशस्त्र दल रशियन दूतावास के बाहर तैनात होने की जानकारी भी काबुलोव ने साझा की। मंगलवार के दिन अफ़गानिस्तान में रशिया के राजदूत ने तालिबान के प्रतिनिधियों से मुलाकात करेंगे, यह भी उन्होंने कहा। साथ ही तालिबान की हुकूमत में आतंकी संगठन ‘आयएस’ अपने पैर जमाने की संभावना ना होने का दावा भी उन्होंने किया। रशिया के बाद चीन ने भी तालिबान की हुकूमत को स्वीकृति देने की गतिविधियाँ शुरू की हैं।

तालिबान की हुकूमतचीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने अफ़गानिस्तान की नई हुकूमत से मित्रता एवं सहयोग के ताल्लुकात रखने के लिए चीन उत्सुक होने का बयान किया है। ‘तालिबान ने चीन के साथ अच्छे ताल्लुकात रखने की इच्छा लगातार व्यक्त की है। अफ़गानिस्तान के विकास और पुनर्निर्माण में चीन भी शामिल होगा, यह उम्मीद तालिबान ने व्यक्त की है। हम इसका स्वागत करते हैं। अपना भविष्य स्वतंत्र पद्धति से तय करने के अफ़गान जनता के अधिकार का हम सम्मान करते हैं’, यह बयान भी हुआ चुनयिंग ने किया।

बीते महीने में तालिबान के प्रमुख मुल्ला अब्दुल गनी बरादर और उसके शिष्टमंडल ने चीन की यात्रा की थी। इस पृष्ठभूमि पर चीन ने तालिबान को मंजूरी देने के दिए संकेत अहमियत रखते हैं। अफ़गानिस्तान के पड़ोसी ईरान ने भी तालिबान को स्वीकृति देने की तैयारी दिखाई है। ईरान के विदेशमंत्री जवाद ज़रिफ ने रविवार के दिन अफ़गानिस्तान में शांति से सत्ता का हस्तांतरण होगा, यह बयान किया था। इसके बाद सोमवार के दिन राष्ट्राध्यक्ष इब्राहिम रईसी ने अमरीका की हार का ज़िक्र करके अफ़गानिस्तान को सुरक्षित, नया जावन एवं शांति के लिए अच्छा अवसर उपलब्ध होने का दावा किया।

पड़ोसी एवं बंधुता का रिश्‍ता रखनेवाले देश के तौर पर अफ़गानिस्तान की एकजुट के लिए सभी गुटों को ईरान बढ़ावा देगा, यह बयान ईरान के राष्ट्राध्यक्ष ने किया है। लेकिन, सोमवार के दिन ईरान-अफ़गानिस्तान की सीमा पर गोलीबारी होने की खबरें प्रसिद्ध हुईं थी। लेकिन, ईरान ने इन खबरों से इन्कार किया है और ऐसी घटना हुईं ही नहीं, यह ऐलान भी किया।

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