चार्ल्स् रिश्टर (१९००-१९८५)

पृथ्वी के भूगर्भ में किसी कारणवश क्षोभ होकर भूमि के अंतर्गत होनेवाले पत्थरों को अचानक धक्का लग जाते ही धक्के के स्थान पर निर्माण होनेवाले कंपन सर्वत्र फ़ैल जाते हैं, इसे ही भूकंप कहते हैं। शांत रहनेवाले जलाशय में जैसे किसी कंकड़ के गिरते ही पानी के पृष्ठभाग पर लहरें निर्माण होकर आगे की ओर बढ़ जाती हैं। बिलकुल वैसा ही भूकंप की लहरों के साथ भी होता है। भूकंप की तरंगें पृथ्वी के पृष्ठभाग से प्रवास करते समय ज़मीन थर्रा उठती है। उगमस्थान से होनेवाली दूरी और मूल धक्के की तीव्रता के अनुसार भूकंप के झटके विभिन्न स्थानों पर कम-अधिक प्रमाण में दिखायी देते हैं, जिसका अहसास हमें होता रहता है।

rischter- चार्ल्स रिश्टर

भूकंप से संबंधित अध्ययन करते समय विभिन्न प्रकार के भूकंपों की तुलना एवं उनका वर्गीकरण करने के लिए भूकंप के परिणामों का परिक्षण एवं मापन करना ज़रूरी होता है। भूकंप के झटके का ज़ोर अथवा उसकी तीव्रता भूकंप के परिणामों की अपेक्षा उस झटके से कितनी ऊर्जा विमुक्त हुई इस बात पर निश्‍चित करना यह अधिक शास्त्रीय है। भूवैज्ञानिक चार्र्ल्स् एफ़ रिश्टर ने १९३५ में भूकंप की तीव्रता निश्‍चित करनेवाला एक नया मापक्रम तैयार किया। इसी मापक्रम का सभी भूकंपीय अध्ययन के अन्तर्गत उपयोग किया जाता है।

सुप्रसिद्ध भूकंपशास्त्रज्ञ चार्ल्स फ़्रान्सीस रिश्टर का जन्म २६ अप्रैल १९०० में हेमिल्टन में हुआ था। उम्र के सोलहवे वर्ष चार्ल्स् रिश्टर अपनी माँ के साथ कॅलिफ़ोर्निया में दाखिल हुए। दक्षिण कॅलिफ़ोर्निया विश्‍वविद्यालय में उन्होंने प्रवेश प्राप्त किया। इसके पश्‍चात् स्टैनफ़ोर्ड विश्‍वविद्यालय में शिक्षा हासिल करने के पश्‍चात् उन्होंने कॅलिफ़ोर्निया इन्स्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नॉलॉजी से सैद्धांतिक भौतिक विज्ञान में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। इस इन्स्टिट्यूट की भूकंप शास्त्रीय प्रयोगशाला में भौतिक विज्ञान विशेषज्ञ का स्थान खाली थी। भूकंपशास्त्र यह उनका क्षेत्र न होने के बावजूद भी इस पद की ज़िम्मेदारी उन्होंने संभाल ली।

आरंभिक समय में भूकंप की प्रखरता का मापन करनेवाला निश्‍चित ऐसा कोई भी शास्त्रीय परिमाण नहीं था। ढह चुकी इमारतें, पहाड़ियों के मलबे, मकान, ज़मीन में पड़नेवाली दरारें, मृत जानवर, मानव, जख़्मी लोग, ढह चुके घरों आदि के आधार पर सामने आनेवाले आँकड़ों के अनुसार भूकंप की प्रखरता का अनुमान करने की पद्धति प्रचलित थी। स्वाभाविक है कि इस प्रकार से अंदाज किए गए आँकड़े कुछ निश्‍चित नहीं होते, गलत भी हो सकते हैं। कभी घनी बस्ती होनेवाले क्षेत्र में अल्प भूकंप की तीव्रता होने पर भी अधिक लोगों की जानें जाती हैं। ऐसी स्थिति में भूकंप की तीव्रता अधिक होने का ही अनुमान किया जाता था। इसके विरुद्ध अधिक तीव्रता का भूकंप होने पर भी कम आबादी वाले क्षेत्र में पहले की तुलना में कम हानि दर्ज की जाती थी। ऐसे में होनेवाले भूकंप की तीव्रता को ऊपरी तौर पर देखनेवाले प्रत्यक्षदर्शी भूकंप की तीव्रता के कम होने का ही अनुमान वर्णित करते थे।

इस प्रकार से स्थूल रूप में मापन करके भूकंप का दर्जा निश्‍चित करने की अयोग्य पद्धति प्रचलित थी। भूकंप के झटके की तीव्रता यह परिणाम की अपेक्षा उसके झटके से कितनी ऊर्जा विमुक्त हुई इससे अंदाजा लगाना यह अधिक शास्त्रीय है।

उस समय डॉ. रिश्टर अमेरिका से सेस्मॉलॉजिक प्रयोगशाला में संशोधन कर रहे थे। कॅलिफ़ोर्निया में उस समय तक दर्ज किए गए भूकंप के केन्द्र निश्‍चित करने की ज़िम्मेदारी उन्हीं को सौंपी गयी थी। वुड अँडरर्सन सेस्मोग्राफ़ उस समय अनुपातयुक्त माना जाता था। भूकंप का झटका लगने पर कम-अधिक अँप्लिट्यूड की लहरें सेस्मोग्राफ़ पर रेखांकित हो उठती थीं। भूकंप की तीव्रता का रिश्टर परिणाम यह पूरी तरह सेस्मोग्राफ़ के दर्ज पर निर्भर करता है। लॉगॅरिथम के आधार पर ही यह परिणाम निश्‍चित किया गया है। भूकंप के केन्द्र से लेकर १०० किलोमीटर की दूरी पर वुड अँडरर्सन सेस्मोग्राफ़ भूकंप लहरों के कितना अँप्लिट्यूड मायक्रोमीटर में (१०-६ मीटर) नापनी चाहिए ऐसी रिश्टर की सूचना थी।

भूकंप की रिश्टर तीव्रता, परिणाम यह निम्नलिखित बातों पर निर्भर करता है।

१) वुड-अँडरर्सन सेस्मोग्राफ़ से एपिसेंटर तक १०० किलो मीटर की दूरी पर दर्ज किया गया उच्चतम अँप्लिट्यूड।
२) भूकंप के उगम का स्वरूप।
३) भूकंप के केन्द्र के भूगर्भ की गहराई।
४) भूकंप लहरों का आवर्तन काल।

रिश्टर के सूत्रों में कुछ सुधार करके इस मापक यंत्र का ६०० किलो मीटर तक की दूरी तक ही उपयोग करना संभव है। भूकंप मापन के रिश्टर परिमाण में दो महत्त्वपूर्ण त्रुटियाँ थीं। इसमें सुधार करके भूकंप की तीव्रता का मापन करने के लिए रिश्टर एवं उनके सहकारी बेनो गुटेनबगर्र् ने मिलकर एक नया परिमाण ढूँढ़ा। यह परिणाम भूपृष्ठ लहरों के आधार पर ही निश्‍चित किया गया था। इससे कितनी भी दूरी, उसी तरह किसी भी सेस्मोग्राफ़ के लिए भी इसका उपयोग किया जा सकता था। आगे चलकर भूकंप की तीव्रता को दर्शाने के लिए विभिन्न प्रकार के परिणाम भी निश्‍चित किए गए। परन्तु आज भी भूकंप की तीव्रता का मापन रिश्टर परिणाम के अन्तर्गत ही किया जाता है।

भूकंप की तीव्रता २.५ रिश्टर स्केल होने पर इसके झटके का अहसास नहीं होता है, परन्तु सेस्मोग्राफ़ पर यह दर्ज किया जाता है। ३.५ रिश्टर स्केल तीव्रता के झटके का पता का़फ़ी लोगों को चल जाता है। ४.५ रिश्टर स्केल वाली तीव्रता के झटके से छप्परों के गिर जाने की भी संभावना होती है। ६.० रिश्टर स्केल तीव्रतावाला भूकंप विध्वंसक माना जाता है। ७.० रिश्टर स्केल तीव्रतावाले भूकंप का झटका काफ़ी बड़ा एवं घातक साबित होता है। ८.० रिश्टर स्केल तीव्रतावाला भूकंप का झटका काफ़ी तीव्र होकर यह काफ़ी नुकसान भी पहुँचाता है।

रिश्टर परिणाम के अनुसार १० की अपेक्षा अधिक तीव्र झटका लगना असंभव है। १९६० में चीन में ९.५ रिश्टर तीव्रता का झटका लगा था, जो सब से बड़ा भूकंप माना जाता है।

मानवी सुरक्षा के दृष्टिकोण से यह सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण एवं सबसे अधिक परिपूर्ण तालिका बनानेवाले इस संशोधक ने सन १९८५ में इस दुनिया से बिदाई ले ली।

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