‘अ वुमन इन मेन्स इंग्लंड’ – मेरी अ‍ॅनिंग इतिहासकालीन अवशेषों की संशोधिका

‘प्राचीन अवशेषों की खोज करनेवाली दुनिया की सर्वश्रेष्ठ संशोधिका’ के रुप में मान-सम्मान प्राप्त करनेवाली मेरी अ‍ॅनिंग ने प्राचीन अवशेषों के संशोधन से इस क्षेत्र में बहुत बड़ी क्रान्ति की। लेकिन मेरी ने जिस तरह बड़े पैमाने पर काम किया, लेख लिखे उसकी तुलना में उनके बारे में उपलब्ध जानकारी और उनके संशोधन का संपूर्ण वृत्तांत बहुत कम दिखाई देता है। अनेक लोगों को मेरी अ‍ॅनिंग के बारे में जानकारी है ही नहीं। परन्तु मेरी ने अश्मीभूत अवशेषों से संबंधित अभ्यास करने के लिए अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर दिया।

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मेरी के बारे में ‘अ वुमन इन मेन्स इंग्लैंड’ ऐसे प्रसन्नता भरे उद्गार निकलते हैं। मेरी ने जिस दौर में प्राचीन अवशेषों की खोज की, वह समय पुरुषप्रधान संस्कृति का था। इंग्लैंड में भी संशोधन के समान अत्यन्त भिन्न एवं अत्यन्त निश्‍चित घेरे से बाहर के क्षेत्र में पुरुष संशोधकों का ही वर्चस्व था। ऐसी परिस्थिति में मेरी अ‍ॅनिंग के बहुमूल्य कार्य का महत्त्व अनन्यसाधारण है।

ग्रेट ब्रिटन के दक्षिणी समुद्र किनारे वाले प्रदेश में मेरी का जन्म हुआ था। इस क्षेत्र में ज्युरासिक काल से अनगिनत अवशेषों का संग्रह दिखाई दिया। मेरी के पिता रिचर्ड विविध प्रकार के केबिनेट तैयार करने का स्थानिक व्यवसाय करते थे। साथ ही उदरनिर्वाह हेतु इन अवशेषों को जमा करके वे बेचते भी थे।

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सन १८१० में रिचर्ड का निधन हो गया, इससे उनकी पत्नी एवं दो बच्चों पर सडक पर आ जाने की नौबत आ गयी। रिचर्ड ने अपनी पत्नी एवं दोनों बच्चों को अवशेष ढूँढ़ने की कला सिखायी थी। इससे ही आगे चलकर प्राचीन संशोधन क्षेत्र में निपुणता हासिल करना मेरी के लिए सहज ही संभव हुआ। अत्यन्त दरिद्रतापूर्ण जीवन व्यतीत करनेवाले अ‍ॅनिंग परिवार का समय धीरे-धीरे ही क्यों ना हो मगर सुधरने लगा। मेरी ने प्राचीन संशोधन के अपने अंगीभूत गुणों का उपयोग अपने व्यवसाय के लिए करना शुरु कर दिया। इससे उनकी पारिवारिक स्थिति में भी काफी सुधार आया। सन १८०९ से लेकर १८११ तक इचथिओसॉर नामक प्राणियों के अवशेषों के महत्त्वपूर्ण संशोधन में मेरी का भी विशेष सहयोग था। यहीं से मेरी के करिअर की शुरुआत हुई। इस समय मेरी की उम्र कुछ दस से बारह साल ही थी। संपूर्ण अ‍ॅनिंग परिवार ही इन प्राचीन अवशेषों के संशोधन में व्यस्त रहता था, फिर भी मेरी का इस क्षेत्र में होनेवाला कौशल्य एवं उसकी प्रगति बखान के काबिल थी।

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मेरी द्वारा संशोधित किए गए अनेक अवशेष बड़े-बड़े संग्रहालयों में रखे गए। साथ ही वे शास्त्रज्ञों (खोजकर्ताओं) के कार्य के प्रति भी काफी महत्त्वपूर्ण साबित हुए। नोबेल पुरस्कार प्राप्त अनेक शास्त्रज्ञों के कार्य में मेरी का कौशल्यपूर्ण संशोधन का बहुमूल्य योगदान है। मेरी का सबसे अमूल्य संशोधन था ‘प्लेसिओसॉर’। आरंभ में इन प्राणियों के अवशेषों एवं अस्तित्व के प्रति शास्त्रज्ञों ने आशंका उपस्थित की थी।

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परन्तु, जॉर्जेस क्युव्हियर नामक फ्रेंच शरीररचनाशास्त्रज्ञ ने इस संशोधन को सत्य मानकर उसके सत्य होने का दावा किया। वहीं से मेरी अ‍ॅनिंग यह नाम शास्त्रज्ञों के साथ जुड़ गया और उनका नाम भी आदरपूर्वक लिया जाने लगा। एक तो निर्धनावस्था, शिक्षा भी गिनीचुनी और उस पर एक स्त्री होने के बावजूद भी मेरी की बुद्धिमत्ता एवं संशोधन क्षमता अपार थी।

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मेरी केवल प्राचीन अवशेषों का संग्रह ही नहीं करती थी, बल्कि उन प्राणियों के वर्गीकरण के बारे में अध्ययन भी करती थीं। इसी कारण कोई भी अवशेष हाथ में लेते ही उन्हें इस बात का पता चल जाता था कि वह किस प्राणी का है। उनका ज्ञान बड़े-बड़े प्राध्यापकों भी अचंभित कर देता था, इतना अधिक गहराई तक का ज्ञान उनके पास हुआ करता था। लेकिन उनकी कला का, संशोधन का सबूत अथवा कागज़ात के रूप में, लिखित रुप में न होने के कारण एक समय शास्त्रज्ञों के स्तर पर काम करनेवाली मेरी का नाम तथा उनका व्यक्तित्व समय की बहती धारा के साथ समाजमानस ने कुछ भुला सा दिया।

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