श्‍वसनसंस्था- ६

श्‍वसनसंस्था- ६

पिछले लेख में हमने मुख्य श्‍वसननलिका की रचना का अध्ययन किया। आज हम इसके अगले भाग की जानकारी प्राप्त करेंगे। छाती और रीढ़ की पाँचवीं हड्डी के स्तर पर मुख्य श्‍वसन नलिका दो विभागों में विभाजित हो जाती है। इन विभागों को ब्रोंकस कहते हैं। ऊपर दी हुयी आकृती में श्‍वसन नलिका की अगली रचना […]

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श्‍वसनसंस्था- ५

श्‍वसनसंस्था- ५

श्वसनसंस्था के बारे में जानकारी लेते समय हमनें देखा कि रचना की दृष्टि से इसे दो भागों में बाँटा गया है। इनमें से ऊपरी भाग की जानकारी हमने पिछले लेख में प्राप्त की। आज से हम श्वसन संस्था के निचले भाग की जानकारी प्राप्त करनेवाले हैं, श्वसनसंस्था के निचले भाग में निम्नांकित अवयव आते हैं-श्‍वसननलिका, […]

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श्‍वसनसंस्था- ४

श्‍वसनसंस्था- ४

हम अभी अपनी श्‍वसनसंस्था के ऊपरी भाग के बारे में जानकारी प्राप्त कर रहे हैं। लॅरिन्क्स अथवा स्वरयंत्र की संक्षिप्त जानकारी हमनें प्राप्त की। स्वरयंत्र हवा का मार्ग ही है। जब हम नाक के द्वारा श्‍वास लेते हैं तो अंदर ली गयी हवा स्वरयंत्र से ही श्‍वसननलिका में जाती है। जब हवा बाहर निकाली जाती […]

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श्‍वसनसंस्था- ३

श्‍वसनसंस्था- ३

हम अपनी श्वसनसंस्था के बारे में जानकारी प्राप्त कर रहे हैं। रचना को समझने में आसानी हो इसलिए श्वसनसंस्था को दो भागों में बांटा गया है। नाक से लेकर स्वरयंत्र तक के भाग को ऊपरी श्वसन संस्था अथवा upper Respiratory Tract कहते हैं। स्वरयंत्र से नीचे के भाग को निचली श्वसनसंस्था अथवा Lower Respriatory Tract […]

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श्‍वसनसंस्था-२

श्‍वसनसंस्था-२

हम हमारी श्‍वसनसंस्था का अध्ययन कर रहे हैं। श्‍वसन-संस्था की रचना और कार्य दोनों के बारे में हम जानकारी प्राप्त करनेवाले हैं। हमारी श्‍वसनसंस्था की शुरुआत हमारी नाक से होती है। फेफड़ें, श्‍वसनसंस्था के मुख्य अवयव हैं। नाक से लेकर फेफडों तक जो जो अवयव इसमें सम्मिलित होते हैं, उन सभी को मिलाकर वायु मार्ग […]

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श्‍वसनसंस्था

श्‍वसनसंस्था

‘श्‍वास-उच्छ्श्‍वास अवघा तुझा, तूचि चालवावे प्राणा।’ भक्तमाता की आरती लिखते समय कवि ने कितना अचूक वर्णन किया है ना! ‘श्‍वासोच्छ्श्‍वास अवघा तुझा’ यानी श्‍वास (साँस लेना) और उच्छ्श्‍वास (साँस छोड़ना) दोनों आपके ही हैं यानी आपकी वजह से ही चलते हैं और उस श्‍वास पर ही मेरे प्राण, मेरा जीव कार्यरत है। तात्पर्य यह है […]

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रक्त एवं रक्तघटक – ६४

रक्त एवं रक्तघटक – ६४

हम रक्त और रक्तघटक मालिका के अंतिम चरण में पहुँच चुके हैं। इसमें हम रक्त से संबंधित चीजों का अध्ययन करेंगें। हमारी बीमारी के दौरान हमारे रक्त की जाँच कराने की आवश्यकता कभी ना कभी पड़ती ही है। वहाँ पर उपस्थित व्यक्ति हमारा रक्त निकालने से पहले टेबल पर काँच की कुछ शीशियाँ अथवा काँच […]

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रक्त एवं रक्तघटक – ६३

रक्त एवं रक्तघटक – ६३

हम हमारे शरीर के रक्त जमनें की प्रक्रिया की जानकारी ले रहे हैं। हमने रक्त के ना जमने के कारणों तथा उसके विकारों के बारे में जानकारी ली। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि रक्त गलत स्थान पर अथवा अचानक जम जाता है। यदि किसी रक्तवाहिनी में ऐसा हो जाता है तो उसमें होनेवाला रक्त-प्रवाह […]

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रक्त एवं रक्तघटक – ६२

रक्त एवं रक्तघटक – ६२

अब तक हमने देखा कि रक्त किस प्रकार जमता है। रक्तवाहनियों में बहता हुआ रक्त क्यों नहीं जम जाता है? रक्त में तैयार होनेवाले क्लॉट की वृद्धि को कौन रोकता है? नॉर्मल रक्तवाहिनी के रक्त को अँटिकोअ‍ॅग्युलंटस् नामक घटक पतला रखता है। परन्तु बने हुए क्लॉट की वृद्धि को सीमित रखने का काम कौन करता […]

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रक्त एवं रक्तघटक – ६१

रक्त एवं रक्तघटक – ६१

हमारे शरीर की रक्तवाहिनियों को चोट लगने से जो रक्तस्राव होता है, वह किस तरह रुकता है, इसकी जानकारी हम प्राप्त कर रहें हैं। अब तक हमने देखा कि इस क्रिया को हिमोस्टेसिस कहते हैं। हमने हिमास्टेसिस का पहला पड़ाव पार कर लिया। अब हम अगली क्रियाओं की जानकारी प्राप्त करेंगें। २) प्लेटलेट पेशी की […]

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