क्रान्तिगाथा-४५

क्रान्तिगाथा-४५

भारतीयों की विचार-स्वतन्त्रता पर अँग्रेज़ों के द्वारा लगायी गयी पाबंदी का एक और उदाहरण १९०७ में सामने आ गया। १९०७ में ‘प्रिव्हेन्शन ऑफ सेडीटीयस मिटींग्ज्स् अ‍ॅक्ट’ यह क़ानून पारित किया गया। इसके ज़रिये प्रत्येक प्रान्त में वहाँ के स्थानीय प्रशासन के द्वारा निश्‍चित किये गये इलाक़े में २० से ज़्यादा लोगों की सभा को अनधिकृत […]

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क्रान्तिगाथा- ४४

क्रान्तिगाथा- ४४

कोर्ट में सुनवाई के समय मदनलाल धिंगरा ने जो कहा, उसका भावार्थ कुछ इस तरह था- हमारी मातृभूमि को ग़ुलामी की ज़ंजीरों में जकड़नेवाले दुश्मन के ख़िलाफ जंग छेडना यह कोई गुनाह नहीं है। मातृभूमि की स्वतन्त्रता के लिए क्रान्तिकारियों के द्वारा किये जा रहे स्वतन्त्रता-आन्दोलनरूपी यज्ञ में मेरे प्राणों की आहुति अर्पण करने का […]

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क्रान्तिगाथा- ४३

क्रान्तिगाथा- ४३

१ जुलाई १९०९ को लंदन में आयोजित किये गये ‘इंडियन नॅशनल असोसिएशन’ के वार्षिक समारोह में समारोह स्थल पर पहुँचते ही इंग्लैंड़ स्थित अँग्रेज़ अफ़सर कर्ज़न वायली पर गोलियाँ चलायी गयीं। गोलियाँ चलानेवाला युवक ख़ुद पर गोलियाँ चलाने ही वाला था कि उसे ग़िरफ्तार कर लिया गया। उस युवक का नाम था, ‘मदनलाल धिंगरा’! सन […]

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क्रान्तिगाथा- ४२

क्रान्तिगाथा- ४२

इन क्रान्तिकारी संगठनों का कार्य बहुत ही गुप्त रूप से चलता था। इन संगठनों से जुड़े क्रान्तिवीर बहादुर और मौत से न डरनेवाले थे। क्योंकि वे जानते थे कि यह बलिदान अपनी मातृभूमि को विदेशियों की ग़ुलामी में से मुक्त करने के लिए स्वतन्त्रतायज्ञ में दी गयी आहुति है। अपनी मातृभूमि के लिए जान की […]

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क्रान्तिगाथा- ४१

क्रान्तिगाथा- ४१

बंगाल के विभाजन के बाद ‘अनुशीलन’ और ‘युगान्तर’ बहुत बड़े पैमाने पर सक्रिय हो चुके थे। सशस्त्र संघर्ष के अन्तर्गत ही किंग्सफोर्ड के वध की योजना बनायी गयी। इसमें खुदीराम बोस के पकड़े जाने के बाद अँग्रेज़ तेज़ी से सक्रिय हो गये। गुप्त क्रान्तिकारी संगठनों का अतापता खोजना अँग्रेज़ों ने शुरू कर दिया। ‘माणिकतला’ में […]

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क्रान्तिगाथा- ४०

क्रान्तिगाथा- ४०

अब तक खुदीराम को लग रहा था कि प्रफुल्ल शायद अँग्रेज़ों की गिरफ्त में नहीं आया होगा और इस वध की ज़िम्मेदारी उसने अपने सिर पर ले ही ली थी; मग़र दुर्भाग्यवश उसे जल्द ही इस बात का पता चल गया कि उसका साथी प्रफुल्ल तो कब का यह दुनिया छोड़कर जा चुका था। अत […]

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क्रान्तिगाथा- ३९

क्रान्तिगाथा- ३९

३० अप्रैल १९०८ की शाम को हुई उस घटना के पीछे बहुत बड़ा इतिहास था। उस शाम मोतीझील में स्थित युरोपीय क्लब के मुख्य प्रवेशद्वार में से बाहर निकली घोड़े की बग्गी पर का़फ़ी क़रीब से फ़ेंके गये बम का लक्ष्य था, मुझफ़्फ़रपुर का मॅजिस्ट्रेट, किंग्सफ़ोडर्र्। लेकिन दुर्भाग्यवश वह बम अपना लक्ष्य साध्य कर नहीं […]

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क्रान्तिगाथा – ३८

क्रान्तिगाथा – ३८

भारत को आज़ादी दिलाने के लिए तेज़ी से चल रहे ‘इंडिया हाऊस’ के कार्य में मॅडम कामा का अहम योगदान था। उस वक़्त दादाभाई नौरोजी ‘ब्रिटिश कमिटी ऑफ इंडियन नॅशनल काँग्रेस’ के अध्यक्ष थे। मॅडम कामा उनकी सहायता करने लगीं। इस वजह से अब मॅडम कामा पर अँग्रेज़ सरकार की कड़ी नज़र थी। इसीलिए जब […]

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क्रान्तिगाथा- ३७

क्रान्तिगाथा- ३७

भारत को आज़ाद करने के लिए भारत में ही जब तेज़ी से कोशिशें शुरू हो गयी थीं, तब भारत के बाहर रहनेवाले भारतीयों का ख़ून भी अपनी मातृभूमि को स्वतन्त्रता दिलाने के लिए खौलने लगा था। २० वीं सदी के प्रारंभ में ही ये कोशिशें शुरू हो गयी और थोडे ही समय में उन कोशिशों […]

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क्रान्तिगाथा- ३६

क्रान्तिगाथा- ३६

भारतीयों की इस भारतभूमि को अनेक सहस्रकों की भक्ति की परंपरा है और भारतीयों की वीरता इस भक्ति की बुनियाद पर ही खड़ी है। देश की स्वतन्त्रता के लिए की जानेवालीं कोशिशों में भारतीय समाज को भक्तिमार्ग का मार्गदर्शन करनेवाले अनेक श्रेष्ठ मार्गदर्शक प्राप्त हुए थे। बंगाल में १९वी सदी में ही रामकृष्ण परमहंस ने […]

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