क्रान्तिगाथा-५५

क्रान्तिगाथा-५५

‘दिल्ली कॉन्स्पिरसी’ अथवा ‘दिल्ली-लाहोर कॉन्स्पिरसी’ के मुकदमे का फैसला अँग्रेज़ सरकार के पक्ष में ही होगा, इस बात को अब हर एक भारतीय कई अनुभवों के बाद जान ही चुका था और हुआ भी वैसे ही। अंग्रेज़ों के किसी अफसर या किसी आम सैनिक के खिलाफ यदि कोई भारतीय व्यक्ति कोई साधारण सी कृति भी […]

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क्रान्तिगाथा-५४

क्रान्तिगाथा-५४

इंग्लंड में जन्मी डॉ. अ‍ॅनी बेझंट को भारत के प्रती इतनी आत्मीयता थी की भारत के विषय में उन्होंने सन १८७८ में ही अपने विचार प्रकट किये थे। सन १८८३ में उन्होंने ‘सोशालिस्ट डिफेन्स’ नामक संगठन की स्थापना की। इस संगठन के माध्यम से इंग्लंड के मजदूरों और दीन-दुर्बलों के लिए उनका कार्य तेज़ी से […]

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क्रान्तिगाथा-५३

क्रान्तिगाथा-५३

‘भारत देश में भारतीयों का ही शासन हो’ इस विषय में लोगों में जागृति करना यह होमरुल आंदोलन का मुख्य उद्देश्य था। साथ ही भारत में उस समय विद्यमान शिक्षाविषयक स्थिति को देखते हुए भारतीय लोगों को शिक्षा देना यह भी इस आंदोलन का एक मुख्य उद्देश था। देश की स्वतंत्रता के लिए निरंतर कोशिशों […]

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क्रान्तिगाथा-५२

क्रान्तिगाथा-५२

अंदमान के सेल्युलर जेल में सावरकरजी ने प्रवेश किया और तब से ही ब्रिटिश सरकार के ज़ुल्मों का उन्हें सामना करना पडा। इस कारावास के दौरान कारागार में उन्हें विभिन्न प्रकार के काम करने पडे। शारीरिक श्रमों के साथ साथ उन्हें कारागार में कई तकलीफों का सामना करना पडा। कोलू चलाकर तेल निकालना, रस्सी आदि […]

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क्रान्तिगाथा-५१

क्रान्तिगाथा-५१

‘जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसि’ ऐसा एक संस्कृत सुभाषित है। स्वर्ग भी जिसके सामने गौण है, ऐसी अपनी मातृभूमि जब गुलामी की जंजिरों में जकडी हुई थी तब भारतीय क्या हाथ पर हाथ धरे बैठे थे? यकिनन ही नहीं। वह वक्त ही कुछ ऐसा था। हर किसी को एक ही निदिध्यास था, मेरी भारतमाता की स्वतंत्रता […]

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क्रान्तिगाथा-५०

क्रान्तिगाथा-५०

भारतमाता के कई सुपुत्र जो शिक्षा(एज्युकेशन) प्राप्त करने के लिए या नौकरी-व्यवसाय के हेतु भारत के बाहर अन्य देशों में गये हुए थे, वे भारत की स्वतंत्रता के लिए लगातार कोशिशें कर रहे थे, कई योजनाएँ बना रहे थे और उन योजनाओं को अंजाम भी दे रहे थे। सरदार सोहनसिंह भाकना, गदर पार्टी के संस्थापक […]

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क्रान्तिगाथा-४९

क्रान्तिगाथा-४९

‘गदर पार्टी’ के द्वारा एक समाचार पत्र भी प्रकाशित किया जाता था। इसका नाम भी ‘गदर’ ही था और वह हफ़्ते में एक बार (विकली) प्रकाशित किया जाता था। पंजाबी और उर्दू इन भाषाओं में प्रकाशित होनेवाले इस समाचार पत्र का पहला अंक १ नवंबर १९१३ के दिन सॅनफान्सिस्को से प्रकाशित किया गया। ‘गदर पार्टी’ […]

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क्रान्तिगाथा-४८

क्रान्तिगाथा-४८

दिल्ली दरबार’ का आयोजन केवल सन १९११ में ही किया गया था, ऐसा नहीं, तो उससे पहले भी दो बार दिल्ली में इस प्रकार के दरबार का आयोजन किया गया था। ‘दिल्ली दरबार’-दिल्ली में ब्रिटन के राजा और रानी के सम्मान में आयोजित किया गया दरबार। ब्रिटन के राजा और रानी के द्वारा भारत की […]

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क्रान्तिगाथा-४७

क्रान्तिगाथा-४७

अनेक भारतीय युवक स्वातन्त्र्यवीर सावरकर द्वारा स्थापित किये गये ‘अभिनव भारत संगठन’ के सदस्य थे। स्वातन्त्र्यवीर सावरकर को काले पानी की यानी उम्र कैद की सज़ा सुनायी जाने के बाद अभिनव भारत संगठन के अनेक युवा सदस्य अँग्रेज़ों के अत्याचारों से बेचैन हो गये थे। अनन्त कान्हेरे का जन्म अंजनी/अयनी इस छोटे से गाँव में […]

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क्रान्तिगाथा-४६

क्रान्तिगाथा-४६

‘अलिपुर बम केस’ में बारीन्द्र घोष अँग्रेज़ों की दृष्टि से अहम आरोपी थे। क्योंकि बम, शस्त्र-अस्त्र जहाँ बनाये जाते थे, वह जगह बारीन्द्र घोष की थी यह बात सामने आ गयी और इसीलिए अँग्रेज़ों की दृष्टि से वे इस मुक़दमे में अहम आरोपी थे। स्वाभाविक रूप से अँग्रेज़ सरकार से विद्रोह करनेवाले को सुनायी जानेवाली […]

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